उन्नाव। केंद्र सरकार की ओर से गठित टीम ने सोमवार को जिले का दौरा कर प्रदूषित जल का नमूना लिया। टीम ने लोन नदी व औद्योगिक क्षेत्रों का दौराकर हकीकत परखी। लिए गए नमूनों को अपने साथ जांच के लिए ले गई है। रिपोर्ट विभाग के उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्ट्रियों से भारी मात्रा में प्रदूषित जल बिना शोधन के गंगा व अन्य नदियों में पहुंचाया जा रहा है। इससे जिले का ग्राउंड वाटर काफी हद तक विषैला होता जा रहा है। शायद यही कारण है कि जिले के पानी में फ्लोराइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ समय पहले सांसद अन्नू टंडन ने जिले के ग्राउंड वाटर के प्रदूषित होने का मुद्दा संसद में उठाया था। मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के लिए एक टीम गठित कर दी। सोमवार को केंद्रीय भूगर्भ आयोग के डा. रामप्रकाश की अगुवाई में केंद्रीय वाटर कमीशन(सीडब्ल्यूसी), नेशनल इंस्टीटयूट आफ हाईड्रो (एनआईएस) के सदस्य ने लोन नदी पर पहुंचकर उसमें गिर रहे नाले का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने नाले के पानी का नमूना लिया। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र का भ्रमण कर जगह-जगह से निकले नालों की भी पड़ताल की। टीम के सदस्यों ने इंडिस्ट्रयल एरिया का सर्वे किया। प्रदूषण की जांच की। कुछ ग्राउंड वाटर के सैंपल लिए। टीम के एक सदस्य ने बताया कि फैक्ट्री संचालक ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं जिससे गंदा पानी शुद्ध होकर निकल सके। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। गंदा पानी सीधे नदियों में बहाया जा रहा है। इसलिए टीम के सदस्यों ने गंदे पानी का नमूना लिया। जांच के बाद इसकी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी जाएगी।