उन्नाव/फतेहपुरचौरासी। गुरुवार को फतेहपुर चौरासी में सामने आई घटना ने एक बार फिर से शिक्षा जगत को कलंकित करने का काम किया है। पूर्व में कस्तूरबा विद्यालयों में घटित हुई अन्य घटनाओं की तर्ज पर इस बार भी विभागीय अधिकारियों का वही रवैया रहा। घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जब बीएसए से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका स्थानांतरण होने का मामला सामने आया। प्रभारी बीएसए ने जानकारी में होने की बात कही। जबकि बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक हमेशा की तरह ही अपना मोबाइल काल डायवर्ट पर लगाए रहे।
शिक्षा जगत के लिए कलंक मानी जा रही फतेहपुर चौरासी की घटना को लेकर शिक्षकों में ही नहीं अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि ऐसी समाज को शर्मसार करने वाली घटनाओं के बाद भी विभागीय आला अधिकारी और शासन के नुमाइंदे क्यों जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई नहीं करते हैं। समाजसेवी पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष रामकुमार वर्मा, पूर्व ब्लाक प्रमुख नागेंद्र सिंह, जिला पंचायत सदस्य अतुल मिश्रा और ब्लाक प्रमुख सुनीता वर्मा आदि का कहना है कि इस तरह के मामलों में सर्वप्रथम तो स्कूल की वार्डेन पर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि स्कूल की छात्राओं की सुरक्षा उन्हीं की जिम्मेदारी है। दूसरे खंड शिक्षाधिकारी जो कि ब्लाक के स्कूलों की व्यवस्थाओं और उनमें योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालते हैं। बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक और बीएसए को भी लोग दोषी इसलिए मान रहे हैं क्योंकि निरीक्षणों के नाम पर लाखों रुपए व्यय करने के बाद उनकी भी तो कुछ जिम्मेदारी बनती है। मालूम हो कि बालिका शिक्षा के मामले में केवल कागजी कोरम पूरा रखने वाले डीसी मुईन अहमद ने इस बार फिर पुरानी कला का प्रयोग किया। पूर्व में घटित हुई घटनाओं के बाद भी उन्होंने अपना मोबाइल काल डायवर्ट में लगा लिया था। कस्तूरबा विद्यालय मौरावां में हुई घटना के अलावा अन्य घटनाओं में भी पूरा मामला निपटाने के बाद ही उनसे मोबाइल पर बात संभव हो सकी थी। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली कहीं गरीब बालिकाओं को आवासीय सुविधा देकर शिक्षित करने वाली योजना को गर्त में न पहुंचा दें।
उन्नाव/फतेहपुरचौरासी। गुरुवार को फतेहपुर चौरासी में सामने आई घटना ने एक बार फिर से शिक्षा जगत को कलंकित करने का काम किया है। पूर्व में कस्तूरबा विद्यालयों में घटित हुई अन्य घटनाओं की तर्ज पर इस बार भी विभागीय अधिकारियों का वही रवैया रहा। घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जब बीएसए से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका स्थानांतरण होने का मामला सामने आया। प्रभारी बीएसए ने जानकारी में होने की बात कही। जबकि बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक हमेशा की तरह ही अपना मोबाइल काल डायवर्ट पर लगाए रहे।
शिक्षा जगत के लिए कलंक मानी जा रही फतेहपुर चौरासी की घटना को लेकर शिक्षकों में ही नहीं अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि ऐसी समाज को शर्मसार करने वाली घटनाओं के बाद भी विभागीय आला अधिकारी और शासन के नुमाइंदे क्यों जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई नहीं करते हैं। समाजसेवी पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष रामकुमार वर्मा, पूर्व ब्लाक प्रमुख नागेंद्र सिंह, जिला पंचायत सदस्य अतुल मिश्रा और ब्लाक प्रमुख सुनीता वर्मा आदि का कहना है कि इस तरह के मामलों में सर्वप्रथम तो स्कूल की वार्डेन पर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि स्कूल की छात्राओं की सुरक्षा उन्हीं की जिम्मेदारी है। दूसरे खंड शिक्षाधिकारी जो कि ब्लाक के स्कूलों की व्यवस्थाओं और उनमें योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालते हैं। बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक और बीएसए को भी लोग दोषी इसलिए मान रहे हैं क्योंकि निरीक्षणों के नाम पर लाखों रुपए व्यय करने के बाद उनकी भी तो कुछ जिम्मेदारी बनती है। मालूम हो कि बालिका शिक्षा के मामले में केवल कागजी कोरम पूरा रखने वाले डीसी मुईन अहमद ने इस बार फिर पुरानी कला का प्रयोग किया। पूर्व में घटित हुई घटनाओं के बाद भी उन्होंने अपना मोबाइल काल डायवर्ट में लगा लिया था। कस्तूरबा विद्यालय मौरावां में हुई घटना के अलावा अन्य घटनाओं में भी पूरा मामला निपटाने के बाद ही उनसे मोबाइल पर बात संभव हो सकी थी। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली कहीं गरीब बालिकाओं को आवासीय सुविधा देकर शिक्षित करने वाली योजना को गर्त में न पहुंचा दें।