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माहौल न बिगाड़ दे कुर्सी की जंग
Unnao
Updated Fri, 18 May 2012 12:00 PM IST
उन्नाव। ब्लाकों में सत्ता पलट की कोशिशें में अपनाए जा रहे हर हथकंडे जनपद का माहौल न बिगाड़ दें। सूबे की सत्ता नीले से लाल होने साथ ही बदले की भावनाएं बलवती हो चली हैं। ऐसे में कुर्सी के लिए आपसी जंग की आशंका बढ़ गई है। कई शिकायतें प्रशासन तक पहुंची लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। कार्रवाई न होने से बीडीसी भी गुस्से में हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ ही क्षेत्र पंचायतों (ब्लाकों) और जिला पंचायतों में तख्ता पलट का सिलसिला शुरू हो गया। उन्नाव जिला पंचायत के तख्त का रंग चुनाव के पहले ही लाल हो गया था, सो वहां का माहौल शांत है। अब ब्लाकों में प्रमुख की कुर्सी पर सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की निगाहें टिकीं हैं। इसके लिए मुहिम भी छिड़ी है और हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत असोहा से हुई। असोहा ब्लाक की सत्ता पर काबिज नीटू वाजपेयी उत्तर प्रदेश ब्लाक प्रमुख संघ के अध्यक्ष थे। नीटू ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले हथियार डाल दिए। नीटू के बाद बसपा के दिग्गज नेता के करीबी सरोसी ब्लाक प्रमुख राजेश रावत पर निशाने पर आ गए। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तारीख तय होते ही कई ब्लाकों के बीडीसी धमकाए जाने लगे। इस पर सुमेरपुर ब्लाक क्षेत्र के बीडीसी बृजेंद्र अवस्थी और रामबरन पासी ने डीएम से शिकायत की थी। बताते हैं इसकी जांच को अधिकारी बिहार थाना क्षेत्र गए थे। धमकाने वालों पर तो कार्रवाई नहीं हुई फरियादी को एक पुराने मामले में आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया। इसी तरह मियांगज प्रमुख समर्थक बीडीसी मुंशीलाल, उसकी पत्नी और भाई को घर में घुसकर पीटा गया। पीड़ित ने नामजद तहरीर दी लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। मामले में सुनवाई न होते देख ब्लाक प्रमुख ने पचास बीडीसी सदस्यों के साथ जिलाधिकारी व एसपी कार्यालय पर शक्ति प्रदर्शन किया। लेकिन, हरकत में आई पुलिस ने आरोपी पक्ष के साथ-साथ पीड़ित पक्ष के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कर ली। अफसरों के इस रवैये से सक्षम बीडीसी में आक्रोश पनप रहा है। ऐसे में ब्लाक प्रमुख बनने को आतुर नेताओं और प्रमुख समर्थकों में जंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कई कमजोर तबके के बीडीसी भूमिगत हो गए हैं, तो कई मोर्चा संभालने को कमर कसे हुए हैं। प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
उन्नाव। ब्लाकों में सत्ता पलट की कोशिशें में अपनाए जा रहे हर हथकंडे जनपद का माहौल न बिगाड़ दें। सूबे की सत्ता नीले से लाल होने साथ ही बदले की भावनाएं बलवती हो चली हैं। ऐसे में कुर्सी के लिए आपसी जंग की आशंका बढ़ गई है। कई शिकायतें प्रशासन तक पहुंची लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। कार्रवाई न होने से बीडीसी भी गुस्से में हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ ही क्षेत्र पंचायतों (ब्लाकों) और जिला पंचायतों में तख्ता पलट का सिलसिला शुरू हो गया। उन्नाव जिला पंचायत के तख्त का रंग चुनाव के पहले ही लाल हो गया था, सो वहां का माहौल शांत है। अब ब्लाकों में प्रमुख की कुर्सी पर सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की निगाहें टिकीं हैं। इसके लिए मुहिम भी छिड़ी है और हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत असोहा से हुई। असोहा ब्लाक की सत्ता पर काबिज नीटू वाजपेयी उत्तर प्रदेश ब्लाक प्रमुख संघ के अध्यक्ष थे। नीटू ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले हथियार डाल दिए। नीटू के बाद बसपा के दिग्गज नेता के करीबी सरोसी ब्लाक प्रमुख राजेश रावत पर निशाने पर आ गए। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तारीख तय होते ही कई ब्लाकों के बीडीसी धमकाए जाने लगे। इस पर सुमेरपुर ब्लाक क्षेत्र के बीडीसी बृजेंद्र अवस्थी और रामबरन पासी ने डीएम से शिकायत की थी। बताते हैं इसकी जांच को अधिकारी बिहार थाना क्षेत्र गए थे। धमकाने वालों पर तो कार्रवाई नहीं हुई फरियादी को एक पुराने मामले में आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया। इसी तरह मियांगज प्रमुख समर्थक बीडीसी मुंशीलाल, उसकी पत्नी और भाई को घर में घुसकर पीटा गया। पीड़ित ने नामजद तहरीर दी लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। मामले में सुनवाई न होते देख ब्लाक प्रमुख ने पचास बीडीसी सदस्यों के साथ जिलाधिकारी व एसपी कार्यालय पर शक्ति प्रदर्शन किया। लेकिन, हरकत में आई पुलिस ने आरोपी पक्ष के साथ-साथ पीड़ित पक्ष के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कर ली। अफसरों के इस रवैये से सक्षम बीडीसी में आक्रोश पनप रहा है। ऐसे में ब्लाक प्रमुख बनने को आतुर नेताओं और प्रमुख समर्थकों में जंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कई कमजोर तबके के बीडीसी भूमिगत हो गए हैं, तो कई मोर्चा संभालने को कमर कसे हुए हैं। प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो स्थिति गंभीर हो सकती है।