उन्नाव। नहर सफाई में अब विभागीय अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। नहरों को कब और कहां सफाई की जरूरत है यह अब जिला स्तरीय समिति तय करेगी। पिछले कई सालों में नहरों की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपया तो खर्च किया गया लेकिन इसका लाभ आम किसान तक नहीं पहुंच सका था। इससे शासन ने जिला स्तरीय समिति द्वारा नहरों की सफाई तय करने की विकेंद्रीकृत प्रक्रिया अपनाने का फैसला लिया है।
नहरों व ड्रेनों की सिल्ट सफाई के लिए अभी तक केंद्रीकृत व्यवस्था संचालित थी। इसके तहत विभागीय अधिकारी स्थानीय प्रशासन से विचार-विमर्श करते थे। इसके बाद योजना के अनुमोदन के लिए मुख्य अभियंता से और बजट के लिए प्रमुख अभियंता से अनुरोध किया जाता था। नहरों और ड्रेनों की सफाई के लिए प्रमुख अभियंता को बजट उपलब्ध कराया जाता था। जांच में पाया गया कि विभागीय अधिकारी ज्यादातर पुरानी पद्धति से आधुनिक मशीनों का प्रयोग किए बिना नहरों की सफाई कराई जाती है। इसके अलावा विभाग को काफी कम धनराशि आवंटित होने के कारण नहरों व ड्रेनों की सिल्ट पूरी तरह साफ न कराने की समस्या भी सामने आई। प्रमुख बात यह कि वर्तमान प्रक्रिया में स्थानीय प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की कोई प्रभावी भूमिका न होने के कारण पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव पाया गया। मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन जावेद उस्मानी ने जिलाधिकारी अनामिका सिंह को शासनादेश संख्या 960/12-27-सिं-4-46 (डब्ल्यू)/12 जारी कर नहरों की सिंचाई के लिए विकेंद्र्रीकृत व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी किए हैं। इसके तहत नहरों व ड्रेनों की सिल्ट सफाई के लिए कार्ययोजना में प्राथमिकता का निर्धारण, कार्य योजना का अनुमोदन, क्रियान्वयन और सत्यापन जिला समिति द्वारा तय किया जाएगा। समिति सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित पारदर्शी अनुश्रवण भी सुनिश्चित करेगी। समिति की अध्यक्ष जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, सीडीओ, जिले में पड़ने वाली वाली नहरों/ड्रेनों से संबंधित खंडों के सभी अधिशासी अभियंता सदस्य होंगे। इसके अलावा जनपद स्तरीय नोडल अधिशासी अभियंता सिंचाई सदस्य सचिव होंगे। जिलाधिकारी अनामिका सिंह ने बताया कि अक्सर यह शिकायत आती थी कि नहरों की सफाई नहीं कराई गई जबकि विभाग सफाई कराने की बात बताता था। समिति बन जाने से नहरों की सफाई की प्राथमिकता और खर्च तय किया जाएगा। इसके अलावा नहर सफाई की वीडियोग्राफी आदि कराके अधिक पारदर्शिता लाई जाएगी।
उन्नाव। नहर सफाई में अब विभागीय अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। नहरों को कब और कहां सफाई की जरूरत है यह अब जिला स्तरीय समिति तय करेगी। पिछले कई सालों में नहरों की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपया तो खर्च किया गया लेकिन इसका लाभ आम किसान तक नहीं पहुंच सका था। इससे शासन ने जिला स्तरीय समिति द्वारा नहरों की सफाई तय करने की विकेंद्रीकृत प्रक्रिया अपनाने का फैसला लिया है।
नहरों व ड्रेनों की सिल्ट सफाई के लिए अभी तक केंद्रीकृत व्यवस्था संचालित थी। इसके तहत विभागीय अधिकारी स्थानीय प्रशासन से विचार-विमर्श करते थे। इसके बाद योजना के अनुमोदन के लिए मुख्य अभियंता से और बजट के लिए प्रमुख अभियंता से अनुरोध किया जाता था। नहरों और ड्रेनों की सफाई के लिए प्रमुख अभियंता को बजट उपलब्ध कराया जाता था। जांच में पाया गया कि विभागीय अधिकारी ज्यादातर पुरानी पद्धति से आधुनिक मशीनों का प्रयोग किए बिना नहरों की सफाई कराई जाती है। इसके अलावा विभाग को काफी कम धनराशि आवंटित होने के कारण नहरों व ड्रेनों की सिल्ट पूरी तरह साफ न कराने की समस्या भी सामने आई। प्रमुख बात यह कि वर्तमान प्रक्रिया में स्थानीय प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की कोई प्रभावी भूमिका न होने के कारण पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव पाया गया। मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन जावेद उस्मानी ने जिलाधिकारी अनामिका सिंह को शासनादेश संख्या 960/12-27-सिं-4-46 (डब्ल्यू)/12 जारी कर नहरों की सिंचाई के लिए विकेंद्र्रीकृत व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी किए हैं। इसके तहत नहरों व ड्रेनों की सिल्ट सफाई के लिए कार्ययोजना में प्राथमिकता का निर्धारण, कार्य योजना का अनुमोदन, क्रियान्वयन और सत्यापन जिला समिति द्वारा तय किया जाएगा। समिति सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित पारदर्शी अनुश्रवण भी सुनिश्चित करेगी। समिति की अध्यक्ष जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, सीडीओ, जिले में पड़ने वाली वाली नहरों/ड्रेनों से संबंधित खंडों के सभी अधिशासी अभियंता सदस्य होंगे। इसके अलावा जनपद स्तरीय नोडल अधिशासी अभियंता सिंचाई सदस्य सचिव होंगे। जिलाधिकारी अनामिका सिंह ने बताया कि अक्सर यह शिकायत आती थी कि नहरों की सफाई नहीं कराई गई जबकि विभाग सफाई कराने की बात बताता था। समिति बन जाने से नहरों की सफाई की प्राथमिकता और खर्च तय किया जाएगा। इसके अलावा नहर सफाई की वीडियोग्राफी आदि कराके अधिक पारदर्शिता लाई जाएगी।