उन्नाव। 25 हजार वोल्ट की ओएचई लाइन काटने की घटना को रेल प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया है। तार काटने वाले बदमाशों की धरपकड़ के लिए (क्राइम इंवेस्टीगेशन ब्यूरो) सीआईबी को लगाया गया है। सीआईबी इंस्पेक्टर की अगुवाई में करीब 15 तेजतर्रार सिपाहियों ने सोमवार रात को गंगाघाट से लेकर अजगैन स्टेशन तक रेलवे ट्रैक की कांबिंग की। उधर लाख प्रयासों के बाद भी कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। आरपीएफ ने फौरी तौर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया है।
रविवार की रात उन्नाव-सोनिक के बीच अप लाइन की ओएचई केबिल काट ली गई थी लेकिन समय से आरपीएफ जवानों के पहुंचने पर बदमाश तार छोड़कर भाग निकले थे। इस दौरान चार घंटे तक ट्रेनों का आवागमन बंद रहा था। रेलवे पुलिस ने घटना की जानकारी कोतवाली पुलिस को भी दी थी लेकिन कोतवाल ने रेलवे का मामला बताकर रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया। उधर रेलवे पुलिस बदमाशों के सिविल क्षेत्र का होने की बात कहकर रिपोर्ट दर्ज करने से कतरा रही थी। मंगलवार को किसी तरह से आरपीएफ ने रेलवे एक्ट की धारा 174 के तहत अज्ञात में मामला दर्ज कर लिया। उधर घटना को लखनऊ मुख्यालय के अधिकारियों ने गंभीरता से लिया और बदमाशों को पकड़ने के लिए सीआईबी टीम को लगाया। सोमवार को सीआईबी इंस्पेक्टर प्रताप सिंह के साथ 15 सिपाहियों की टीम ने रेलवे ट्रैक का निरीक्षण किया। आरपीएफ के साथ सीआईबी टीम पूरी रात कांबिंग करती रही। सूत्रों की मानें तो जब से ओएचई लाइन बिछाई गई तब से यह पहली ऐसी घटना है। अधिकारियों ने खुलासे के लिए रेलवे पुलिस व सीआईबी अफसरों को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
रेलवे ट्रैक पर गश्त बढ़ाई
उन्नाव। पहले संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में लूट, उसके बाद ओएचई लाइन के तार काटा जाना। एक माह के भीतर दो घटनाएं पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाने को काफी हैं। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए रेलवे ट्रैकों पर गश्त बढ़ा दी गई है। सूरज ढलते ही प्रमुख प्वाइंटों पर सिपाहियों की तैनाती कर दी गई है। इसके अलावा घटनास्थल के आसपास काफी संख्या में सिपाहियों को तैनात किया गया है। सूत्रों की मानें तो आरपीएफ सिपाहियों को पूरी रात रेलवे ट्रैकों का सघन निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। उधर 24 घंटे के बाद भी तार कटर गिरोह का पुलिस सुराग नहीं लगा सकी है। आरपीएफ इंस्पेक्टर संजय गुप्ता ने बताया कि रेलवे पुलिस के पास आईपीसी की कोई धारा नहीं है। इसलिए ऐसे मामले सिविल पुलिस को दिए जाते हैं। यदि कोतवाली पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं करती है तो उच्चाधिकारियों के माध्यम से मामला पंजीकृत कराया जाएगा।