सफीपुर (उन्नाव)। शासन के सख्त आदेशों के बावजूद गर्मी में इंसानों, जानवरों और पक्षियों की प्यास बुझाने वाले संसाधनों को दुरुस्त रखने की तरफ से संबंधित अधिकारी बेखबर हैं। करोड़ाें रुपए खर्चकर खुदवाए गए क्षेत्र के अधिकांश माडल तालाब सूखे पड़े हैं। तीन सैकड़ा से अधिक इंडियामार्का हैंडपंप खराब पड़े हैं। क्षेत्रीय लोगों ने शासन व प्रशासन से संबंधित संसाधनों को दुरुस्त रखने की मांग की है।
शासन की ओर से पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त रखने के सख्त आदेश हैं। इसी के मद्देनजर प्रत्येक ग्राम सभाओं में तालाब खुदवाए गए। केंद्र सरकार के योगदान से भी ग्राम सभाओं में संसाधन तैयार किए गए। इन्हें सुचारु और उपयोग लायक बनाए रखने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की थी। तालाबों की स्थिति यह है कि पक्षियों और पालतू पशुओं को तालाब में इतना भी पानी नहीं मिलता कि वे अपनी प्यास बुझा सकें। इसी तरह इंडिया मार्का हैंडपंपों की स्थिति भी ठीक नहीं है। शासन की ओर से विभिन्न योजनाओं से क्षेत्र में 2216 इंडिया मार्का हैंडपंप लगवा कर ग्राम सभा समिति के हवाले कर दिए गए। मौजूदा स्थिति यह है कि तीन सैकड़ा से अधिक हैंडपंप खराब पड़े हैं। मानक के विपरीत बोरिंग के कारण प्रदूषित पानी और बालू देने वाले हैंडपंपों की भी संख्या तीन सैकड़ा से अधिक है। हालांकि खंड विकास अधिकारी कार्यालय में आने वाले प्रार्थना पत्रों के आधार पर बीडीओ जगन्नाथ कुरील ने जिम्मेदार कर्मचारियों की बैठक बुलाकर क्षेत्रवार खराब पड़े हैंडपंपों की सूची बनवाई। इसमें थोड़ी खराबी वाले लगभग 125 हैंडपंपों को ग्राम सभा समिति के माध्यम से ठीक कराने के आदेश जारी किए। वहीं लगभग 175 की सूची अधिशाषी अभियंता जलनिगम को भेजकर रिबोर कराने की संस्तुति की है। बदलते दौर मेें गांव को पानी की सुविधा देने वाले कुएं सूख गए हैं और यहां तक कि पाट भी दिए गए। उसके बाद चाहे इंसान हो या जानवर सभी गांव में लगे इंडिया मार्का हैंडपंपों पर ही आश्रित हो गए।
सूखी पड़ी शारदा नहर ब्रांच
सफीपुर। तालाब, हैंडपंपों की समस्या थी ही, साथ-साथ शारदा नहर ब्रांच के लंबे अरसे से सूखे पड़े होने के चलते सबसे बड़ी समस्या तो बाग वालों के सामने खड़ी हो चुकी है। जबकि उससे प्रभावित होने वाले किसानों की फसल भी है। यहां तक इस नहर से निकलने वाले छोटे-छोटे नाले भी बड़े क्षेत्रफल को सिंचाई सुविधा प्रदान करते हैं।
सफीपुर (उन्नाव)। शासन के सख्त आदेशों के बावजूद गर्मी में इंसानों, जानवरों और पक्षियों की प्यास बुझाने वाले संसाधनों को दुरुस्त रखने की तरफ से संबंधित अधिकारी बेखबर हैं। करोड़ाें रुपए खर्चकर खुदवाए गए क्षेत्र के अधिकांश माडल तालाब सूखे पड़े हैं। तीन सैकड़ा से अधिक इंडियामार्का हैंडपंप खराब पड़े हैं। क्षेत्रीय लोगों ने शासन व प्रशासन से संबंधित संसाधनों को दुरुस्त रखने की मांग की है।
शासन की ओर से पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त रखने के सख्त आदेश हैं। इसी के मद्देनजर प्रत्येक ग्राम सभाओं में तालाब खुदवाए गए। केंद्र सरकार के योगदान से भी ग्राम सभाओं में संसाधन तैयार किए गए। इन्हें सुचारु और उपयोग लायक बनाए रखने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की थी। तालाबों की स्थिति यह है कि पक्षियों और पालतू पशुओं को तालाब में इतना भी पानी नहीं मिलता कि वे अपनी प्यास बुझा सकें। इसी तरह इंडिया मार्का हैंडपंपों की स्थिति भी ठीक नहीं है। शासन की ओर से विभिन्न योजनाओं से क्षेत्र में 2216 इंडिया मार्का हैंडपंप लगवा कर ग्राम सभा समिति के हवाले कर दिए गए। मौजूदा स्थिति यह है कि तीन सैकड़ा से अधिक हैंडपंप खराब पड़े हैं। मानक के विपरीत बोरिंग के कारण प्रदूषित पानी और बालू देने वाले हैंडपंपों की भी संख्या तीन सैकड़ा से अधिक है। हालांकि खंड विकास अधिकारी कार्यालय में आने वाले प्रार्थना पत्रों के आधार पर बीडीओ जगन्नाथ कुरील ने जिम्मेदार कर्मचारियों की बैठक बुलाकर क्षेत्रवार खराब पड़े हैंडपंपों की सूची बनवाई। इसमें थोड़ी खराबी वाले लगभग 125 हैंडपंपों को ग्राम सभा समिति के माध्यम से ठीक कराने के आदेश जारी किए। वहीं लगभग 175 की सूची अधिशाषी अभियंता जलनिगम को भेजकर रिबोर कराने की संस्तुति की है। बदलते दौर मेें गांव को पानी की सुविधा देने वाले कुएं सूख गए हैं और यहां तक कि पाट भी दिए गए। उसके बाद चाहे इंसान हो या जानवर सभी गांव में लगे इंडिया मार्का हैंडपंपों पर ही आश्रित हो गए।
सूखी पड़ी शारदा नहर ब्रांच
सफीपुर। तालाब, हैंडपंपों की समस्या थी ही, साथ-साथ शारदा नहर ब्रांच के लंबे अरसे से सूखे पड़े होने के चलते सबसे बड़ी समस्या तो बाग वालों के सामने खड़ी हो चुकी है। जबकि उससे प्रभावित होने वाले किसानों की फसल भी है। यहां तक इस नहर से निकलने वाले छोटे-छोटे नाले भी बड़े क्षेत्रफल को सिंचाई सुविधा प्रदान करते हैं।