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उन्नाव। समय से मानसून आने से जिले में रिकार्ड क्षेत्रफल में धान की बेड़ लगाई जाएगी। बुआई का रकबा बढ़ने से इस बार धान की रिकार्ड पैदावार हो सकती है। किसानों ने बेड़ लगाने का काम शुरू कर दिया है। खेतों में रौनक दिखने लगी है। कृषि विभाग के अधिकारी भी धान की फसल पर नजर रखे हैं। वहीं खरीफ की अन्य फसलों की बुआई का काम भी तेज हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस साल एक लाख हेक्टेअर में धान की बेड़ लगाई जाएगी।
इस बार समय से मानसून आने से धान के रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद जगी है। जून में रिकार्ड बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। जुलाई की शुरुआत में भी ठीकठाक पानी बरसा जिससे खेत खलियान तक पानी से लबालब हो गए। झमाझम बारिश होने से खेतों में रौनक लौट आई और धान की बेड़ लगाने का काम शुरू हो गया। कृषि विभाग के अनुसार इस बार जिले में रिकार्ड क्षेत्रफल में धान की बेड़ लगाई जा रही है। पिछली बार जहां धान का रकबा 80 हजार हेक्टेअर था जो इस खरीफ सीजन में बढ़कर 1,00,000 हेक्टेअर हो गया है। रिकार्ड उत्पादन होने से किसानों को निकट भविष्य में खासा फायदा होगा। जिला कृषि अधिकारी डॉ. डीपी मिश्रा ने बताया कि 10,000 हेक्टेअर में शंकर धान, 1500 हेक्टेअर में सुगंधित, 83,000 हेक्टेअर में सामान्य धान और 5500 हेक्टेयर में धान की दूसरी प्रजाति बोई जाएगी। इस साल जून में रिकार्ड पानी बरसा। जून में 170 मिलीमीटर बारिश हुई जो एक रिकार्ड है। पिछले साल जून में मात्र 11 मिलीमीटर बारिश हुई थी। झमाझम बारिश से किसानों को फायदा पहुंचा है और समय से बुआई चालू हो गई है। जिला कृषि अधिकारी का कहना था कि धान की बेड़ लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए। किसान कम दिन की नर्सरी लगाएं।
अच्छे धान उत्पादन के लिए टिप्स
1- नर्सरी की तैयारी के लिए सड़ी गोबर की खाद में थोड़ी बालू मिलाएं।
2- इसे खेत में डालें और उसके बाद नर्सरी गिरानी चाहिए जिससे बाद में नर्सरी आसानी से निकलती है।
3- 20-25 दिन की नर्सरी लगाएं।
4- एक वर्गमीटर खेत में 55-56 पौधों की ही रोपाई करें।
5- संतुलित मात्रा में उर्वरक डालें।
6- पलेवा से पहले ही खेत में उर्वरक मिलाएं।
7- धान की फसल में एनपीके का ही प्रयोग करें।
8- रोपाई का समय 15 जून से 30 जुलाई तक हो जाना चाहिए।
9- रोपाई में देरी हो धान का उत्पादन घटने की संभावना अधिक होती है।
उन्नाव। समय से मानसून आने से जिले में रिकार्ड क्षेत्रफल में धान की बेड़ लगाई जाएगी। बुआई का रकबा बढ़ने से इस बार धान की रिकार्ड पैदावार हो सकती है। किसानों ने बेड़ लगाने का काम शुरू कर दिया है। खेतों में रौनक दिखने लगी है। कृषि विभाग के अधिकारी भी धान की फसल पर नजर रखे हैं। वहीं खरीफ की अन्य फसलों की बुआई का काम भी तेज हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस साल एक लाख हेक्टेअर में धान की बेड़ लगाई जाएगी।
इस बार समय से मानसून आने से धान के रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद जगी है। जून में रिकार्ड बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। जुलाई की शुरुआत में भी ठीकठाक पानी बरसा जिससे खेत खलियान तक पानी से लबालब हो गए। झमाझम बारिश होने से खेतों में रौनक लौट आई और धान की बेड़ लगाने का काम शुरू हो गया। कृषि विभाग के अनुसार इस बार जिले में रिकार्ड क्षेत्रफल में धान की बेड़ लगाई जा रही है। पिछली बार जहां धान का रकबा 80 हजार हेक्टेअर था जो इस खरीफ सीजन में बढ़कर 1,00,000 हेक्टेअर हो गया है। रिकार्ड उत्पादन होने से किसानों को निकट भविष्य में खासा फायदा होगा। जिला कृषि अधिकारी डॉ. डीपी मिश्रा ने बताया कि 10,000 हेक्टेअर में शंकर धान, 1500 हेक्टेअर में सुगंधित, 83,000 हेक्टेअर में सामान्य धान और 5500 हेक्टेयर में धान की दूसरी प्रजाति बोई जाएगी। इस साल जून में रिकार्ड पानी बरसा। जून में 170 मिलीमीटर बारिश हुई जो एक रिकार्ड है। पिछले साल जून में मात्र 11 मिलीमीटर बारिश हुई थी। झमाझम बारिश से किसानों को फायदा पहुंचा है और समय से बुआई चालू हो गई है। जिला कृषि अधिकारी का कहना था कि धान की बेड़ लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए। किसान कम दिन की नर्सरी लगाएं।
अच्छे धान उत्पादन के लिए टिप्स
1- नर्सरी की तैयारी के लिए सड़ी गोबर की खाद में थोड़ी बालू मिलाएं।
2- इसे खेत में डालें और उसके बाद नर्सरी गिरानी चाहिए जिससे बाद में नर्सरी आसानी से निकलती है।
3- 20-25 दिन की नर्सरी लगाएं।
4- एक वर्गमीटर खेत में 55-56 पौधों की ही रोपाई करें।
5- संतुलित मात्रा में उर्वरक डालें।
6- पलेवा से पहले ही खेत में उर्वरक मिलाएं।
7- धान की फसल में एनपीके का ही प्रयोग करें।
8- रोपाई का समय 15 जून से 30 जुलाई तक हो जाना चाहिए।
9- रोपाई में देरी हो धान का उत्पादन घटने की संभावना अधिक होती है।