पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
उन्नाव। समेकित बाल विकास पुष्टाहार विभाग की शहर परियोजना में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती में नियमों की जमकर अनदेखी की गई। जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित अभ्यर्थियों की सूची में भी सीडीपीओ ने काट छांट की। आरटीआई में यह बात सामने आने के बाद सीडीपीओ से प्रभारी डीएम हेमंत कुमार द्विवेदी ने स्पष्टीकरण भी मांगा है।
शहर के आवास विकास कालोनी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार सिंह ने शहर परियोजना में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए सहायक निदेशक बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार से जांच की मांग की है। राजकुमार सिंह ने बताया कि शहर परियोजना मेें कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया मार्च 2011 में शुरू की गई थी। सीडीपीओ मालती साहनी ने 42 कार्यकत्रियों और 49 सहायिकाओं की चयन सूची तैयार का डीपीओ के माध्यम से डीएम को अनुमोदन के लिए भेजी थी। तत्कालीन डीएम ने 25 नवंबर 2011 को इसका अनुमोदन कर दिया था। इस सूची को दरकिनार करते हुए सीडीपीओ शहर ने 23 जुलाई 2012 को नई सूची जारी कर दी। इसमें डीएम की सूची में अनुमोदित तीन-तीन कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के नाम हटा दिए गए। इस पर श्री सिंह ने आरटीआई से सूचना मांगी। तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी पल्लवी मिश्रा के जवाब में खुलासा हुआ कि सीडीपीओ ने अनुमोदित सूची को दरकिनार कर नई सूची जारी की। यह भी बताया गया कि डीएम से अनुमोदित सूची में परिवर्तन या किसी अभ्यर्थी का नाम हटाने, जोड़ने का अधिकार सीडीपीओ को नहीं है। सूची में एक और खामी सामने आई शासनादेश के मुताबिक चयन के बाद नियुक्ति पत्र जारी करने से पहले अभ्यर्थियों के आय जाति और निवास प्रमाण पत्रों की जांच उपजिलाधिकारी या तहसीलदार से कराई जाना आवश्यक है। राजकुमार सिंह ने बताया कि यह बात सामने आई कि जिलाधिकारी के अनुमोदन से पहले इनमें से किसी भी कार्यकत्री या सहायिका के निवास आय, जाति प्रमाणपत्र का सत्यापन नहीं कराया गया था।
इस संबंध में सीडीपीओ शहर मालती साहनी का कहना है कि उन्होंने सभी कार्रवाई नियमों के तहत की हैं। जिन कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का नाम अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया वह अपना आय जाति और निवास प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत कर सकीं थीं। बताया कि इस संबंध में वह तत्कालीन डीपीओ पल्लवी मिश्रा को स्पष्टीकरण भी दे चुकी हैं।
उन्नाव। समेकित बाल विकास पुष्टाहार विभाग की शहर परियोजना में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती में नियमों की जमकर अनदेखी की गई। जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित अभ्यर्थियों की सूची में भी सीडीपीओ ने काट छांट की। आरटीआई में यह बात सामने आने के बाद सीडीपीओ से प्रभारी डीएम हेमंत कुमार द्विवेदी ने स्पष्टीकरण भी मांगा है।
शहर के आवास विकास कालोनी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार सिंह ने शहर परियोजना में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए सहायक निदेशक बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार से जांच की मांग की है। राजकुमार सिंह ने बताया कि शहर परियोजना मेें कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया मार्च 2011 में शुरू की गई थी। सीडीपीओ मालती साहनी ने 42 कार्यकत्रियों और 49 सहायिकाओं की चयन सूची तैयार का डीपीओ के माध्यम से डीएम को अनुमोदन के लिए भेजी थी। तत्कालीन डीएम ने 25 नवंबर 2011 को इसका अनुमोदन कर दिया था। इस सूची को दरकिनार करते हुए सीडीपीओ शहर ने 23 जुलाई 2012 को नई सूची जारी कर दी। इसमें डीएम की सूची में अनुमोदित तीन-तीन कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के नाम हटा दिए गए। इस पर श्री सिंह ने आरटीआई से सूचना मांगी। तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी पल्लवी मिश्रा के जवाब में खुलासा हुआ कि सीडीपीओ ने अनुमोदित सूची को दरकिनार कर नई सूची जारी की। यह भी बताया गया कि डीएम से अनुमोदित सूची में परिवर्तन या किसी अभ्यर्थी का नाम हटाने, जोड़ने का अधिकार सीडीपीओ को नहीं है। सूची में एक और खामी सामने आई शासनादेश के मुताबिक चयन के बाद नियुक्ति पत्र जारी करने से पहले अभ्यर्थियों के आय जाति और निवास प्रमाण पत्रों की जांच उपजिलाधिकारी या तहसीलदार से कराई जाना आवश्यक है। राजकुमार सिंह ने बताया कि यह बात सामने आई कि जिलाधिकारी के अनुमोदन से पहले इनमें से किसी भी कार्यकत्री या सहायिका के निवास आय, जाति प्रमाणपत्र का सत्यापन नहीं कराया गया था।
इस संबंध में सीडीपीओ शहर मालती साहनी का कहना है कि उन्होंने सभी कार्रवाई नियमों के तहत की हैं। जिन कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का नाम अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया वह अपना आय जाति और निवास प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत कर सकीं थीं। बताया कि इस संबंध में वह तत्कालीन डीपीओ पल्लवी मिश्रा को स्पष्टीकरण भी दे चुकी हैं।