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बछौरा (उन्नाव)। लगभग ढाई सौ गांवों को बिजली आपूर्ति करने वाला मौरावां पावर हाउस अव्यवस्था का शिकार है। जर्जर तार आए दिन टूटते हैं। कर्मचारियों के पास पर्याप्त उपकरण भी नहीं है। इससे उन्हें लाइन मरम्मतमें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस उपकेंद्र पर कर्मचारियों की कमी के चलते क्षेत्र की आपूर्ति प्राय: ठप रहती है।
करीब छह दशक पूर्व मौरावां विद्युत उपकेंद्र की स्थापना की गई थी। इस उपकेंद्र से 250 के आसपास गांवों को आपूर्ति की जाती है। करीब 7000 उपभोक्ताओं को इस उपकेंद्र से रोशनी मिल रही है। उपकेंद्र पर अव्यवस्था के चलते पावर कारपोरेशन के शेडयूल के मुताबिक 8 घंटे समुचित आपूर्ति नहीं हो पाती है। मौरावां उपकेंद्र से गांवों में चालीस वर्ष पुराने जर्जर तारों से बिजली दी जा रही है। जर्जर तारों का अक्सर टूटना या फिर लाइन में फाल्ट विभागीय व्यवस्था की पोल खोलता है। हालात यह हैं कि क्षेत्र में लगे निजी विद्युत नलकूप भी किसान डीजल इंजन से चला रहे हैं। किसानों को बिजली बिल के साथ ही महंगा डीजल खरीद कर सिंचाई करनी पड़ रही है। लाइन मेें खराबी को दुरुस्त करते समय पूर्व में कार्यरत दो प्राइवेट लाइनमैन रामसजीवन महरानीखेड़ा व शोभनाथ मौरावां की मौत भी हो चुकी है। लेकिन आज तक लाइन में एमसीबी नहीं लगाई जा सकी है। तार गिरने से ना जाने कितनी बार फसलों में आग लग चुकी है और ना जाने कितने मवेशी लाइन की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं। फिर भी विभागीय अधिकारी अपने रवैये में सुधार जरूरी नहीं समझते हैं। विद्युत उपकेंद्र पर मात्र एक एसएसओ की तैनाती है जबकि नियमानुसार इस केंद्र पर चार एसएसओ होने चाहिए। यही हाल लाइनमैन व पेट्रोलमैन का है। किसी तरह जर्जर लाइन से जैसे-तैसे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इस संबंध में अवर अभियंता रामखेलावन ने बताया कि विभाग के उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
बछौरा (उन्नाव)। लगभग ढाई सौ गांवों को बिजली आपूर्ति करने वाला मौरावां पावर हाउस अव्यवस्था का शिकार है। जर्जर तार आए दिन टूटते हैं। कर्मचारियों के पास पर्याप्त उपकरण भी नहीं है। इससे उन्हें लाइन मरम्मतमें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस उपकेंद्र पर कर्मचारियों की कमी के चलते क्षेत्र की आपूर्ति प्राय: ठप रहती है।
करीब छह दशक पूर्व मौरावां विद्युत उपकेंद्र की स्थापना की गई थी। इस उपकेंद्र से 250 के आसपास गांवों को आपूर्ति की जाती है। करीब 7000 उपभोक्ताओं को इस उपकेंद्र से रोशनी मिल रही है। उपकेंद्र पर अव्यवस्था के चलते पावर कारपोरेशन के शेडयूल के मुताबिक 8 घंटे समुचित आपूर्ति नहीं हो पाती है। मौरावां उपकेंद्र से गांवों में चालीस वर्ष पुराने जर्जर तारों से बिजली दी जा रही है। जर्जर तारों का अक्सर टूटना या फिर लाइन में फाल्ट विभागीय व्यवस्था की पोल खोलता है। हालात यह हैं कि क्षेत्र में लगे निजी विद्युत नलकूप भी किसान डीजल इंजन से चला रहे हैं। किसानों को बिजली बिल के साथ ही महंगा डीजल खरीद कर सिंचाई करनी पड़ रही है। लाइन मेें खराबी को दुरुस्त करते समय पूर्व में कार्यरत दो प्राइवेट लाइनमैन रामसजीवन महरानीखेड़ा व शोभनाथ मौरावां की मौत भी हो चुकी है। लेकिन आज तक लाइन में एमसीबी नहीं लगाई जा सकी है। तार गिरने से ना जाने कितनी बार फसलों में आग लग चुकी है और ना जाने कितने मवेशी लाइन की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं। फिर भी विभागीय अधिकारी अपने रवैये में सुधार जरूरी नहीं समझते हैं। विद्युत उपकेंद्र पर मात्र एक एसएसओ की तैनाती है जबकि नियमानुसार इस केंद्र पर चार एसएसओ होने चाहिए। यही हाल लाइनमैन व पेट्रोलमैन का है। किसी तरह जर्जर लाइन से जैसे-तैसे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इस संबंध में अवर अभियंता रामखेलावन ने बताया कि विभाग के उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।