उन्नाव। प्रदेश की सपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डा. राम मनोहर लोहिया गांव विकास से अभी कोसों दूर हैं। अफसरों ने चुने गए 24 लोहिया गांवों के विकास का खाका तैयार कर लिया है लेकिन अभी तक किसी भी विभाग को बजट नहीं मिला है। वित्तीय वर्ष की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और लोहिया गांव विभिन्न योजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों पर कोई हलचल नहीं है, इससे इन गांवों का विकास चालू वित्तीय वर्ष में संभव नहीं दिख रहा है।
प्रदेश सरकार ने अंबेडकर गांवों की तर्ज पर पिछड़े गांवों को विकसित करने की योजना बनाई है। इस विकास कार्यक्रम में डा. राम मनोहर लोहिया समग्र विकास योजना नाम दिया गया है। डा. लोहिया के नाम की यह योजना प्रदेश में सपा की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही घोषित कर दी गई थी। गांवों के चयन का कोई ठोस पैमाना न होने से योजना शुरू से ही लड़खड़ा गई। सत्ताधारी दल के विधायकों, सांसदों में खींचतान पर गांवों के चयन का जिम्मा जिलों के प्रभारी मंत्रियों को सौंप दिया गया। जिले में 24 गांवों को डा. लोहिया योजना में शामिल किया गया। इन गांवों में ग्राम्य विकास, पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी, विद्युत, लघु सिंचाई सहित करीब दो दर्जन विभागों को विकासोन्मुखी कार्य कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
पंचायती राज विभाग ने गांव की आंतरिक गलियों व नालियों के निर्माण और शौचालय बनवाने का खाका तैयार कर लिया है। 23 गांवों में गलियों और नालियों के निर्माण पर 20 लाख और एक गांव पर 30 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इस प्रस्ताव को शासन को भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक न ही इसे प्रशासन की स्वीकृत मिली है और न ही वित्तीय अनुमति। इसी तरह लोहिया गांवों में एपीएल परिवारों के लिए 4601 और बीपीएल के लिए 1246 शौचालय बनाए जाने हैं। इसके लिए भी अभी तक पैसा नहीं मिला है। ग्राम्य विकास विभाग को भी हैंडपंप खनन, बिजली विभाग को विद्युतीकरण, बेसिक शिक्षा विभाग को स्कूल भवन निर्माण और लघु सिंचाई विभाग को निशुल्क बोरिंग के लिए डा. लोहिया गांवों के लिए अलग से कोई बजट नहीं आवंटित किया जा सका है, जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र 94 दिन शेष बचे हैं। सूत्रों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में लोहिया गांवों के लिए अलग से बजट का आवंटन होना मुश्किल ही दिख रहा है। शासन पहले बोरोजगारी भत्ता, कन्या विद्याधन, लैपटाप जैसी योजनाओं की शुरुआत पर ज्यादा जोर दे रही है। फिलहाल अधिकारियों को मौखिक रूप सेे यह आदेश दिए जा रहे हैं कि पहले से चल रही ग्रामीण विकास योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा मद लोहिया गांवों में खर्च किया जाए। इससे जनता को यह प्रतीत हो कि लोहिया गांवों में विकास कार्य शुरू हो गए हैं।
लोहिया गांवों में विकास के लिए सभी विभागों ने खाका तैयार कर लिया है। सभी प्रस्ताव प्रशासकीय और वित्तीय अनुमति के लिए शासन के पास भेजे जा चुके हैं। सरकार से पैसा मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अभी समय है, शासन की मंसानुरूप समय पर सभी काम पूरे करा लिए जाएंगे।
अवधेश बहादुर सिंह, प्रभारी पीडी
उन्नाव। प्रदेश की सपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डा. राम मनोहर लोहिया गांव विकास से अभी कोसों दूर हैं। अफसरों ने चुने गए 24 लोहिया गांवों के विकास का खाका तैयार कर लिया है लेकिन अभी तक किसी भी विभाग को बजट नहीं मिला है। वित्तीय वर्ष की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और लोहिया गांव विभिन्न योजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों पर कोई हलचल नहीं है, इससे इन गांवों का विकास चालू वित्तीय वर्ष में संभव नहीं दिख रहा है।
प्रदेश सरकार ने अंबेडकर गांवों की तर्ज पर पिछड़े गांवों को विकसित करने की योजना बनाई है। इस विकास कार्यक्रम में डा. राम मनोहर लोहिया समग्र विकास योजना नाम दिया गया है। डा. लोहिया के नाम की यह योजना प्रदेश में सपा की सरकार बनने के कुछ समय बाद ही घोषित कर दी गई थी। गांवों के चयन का कोई ठोस पैमाना न होने से योजना शुरू से ही लड़खड़ा गई। सत्ताधारी दल के विधायकों, सांसदों में खींचतान पर गांवों के चयन का जिम्मा जिलों के प्रभारी मंत्रियों को सौंप दिया गया। जिले में 24 गांवों को डा. लोहिया योजना में शामिल किया गया। इन गांवों में ग्राम्य विकास, पंचायती राज, पीडब्ल्यूडी, विद्युत, लघु सिंचाई सहित करीब दो दर्जन विभागों को विकासोन्मुखी कार्य कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
पंचायती राज विभाग ने गांव की आंतरिक गलियों व नालियों के निर्माण और शौचालय बनवाने का खाका तैयार कर लिया है। 23 गांवों में गलियों और नालियों के निर्माण पर 20 लाख और एक गांव पर 30 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इस प्रस्ताव को शासन को भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक न ही इसे प्रशासन की स्वीकृत मिली है और न ही वित्तीय अनुमति। इसी तरह लोहिया गांवों में एपीएल परिवारों के लिए 4601 और बीपीएल के लिए 1246 शौचालय बनाए जाने हैं। इसके लिए भी अभी तक पैसा नहीं मिला है। ग्राम्य विकास विभाग को भी हैंडपंप खनन, बिजली विभाग को विद्युतीकरण, बेसिक शिक्षा विभाग को स्कूल भवन निर्माण और लघु सिंचाई विभाग को निशुल्क बोरिंग के लिए डा. लोहिया गांवों के लिए अलग से कोई बजट नहीं आवंटित किया जा सका है, जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र 94 दिन शेष बचे हैं। सूत्रों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में लोहिया गांवों के लिए अलग से बजट का आवंटन होना मुश्किल ही दिख रहा है। शासन पहले बोरोजगारी भत्ता, कन्या विद्याधन, लैपटाप जैसी योजनाओं की शुरुआत पर ज्यादा जोर दे रही है। फिलहाल अधिकारियों को मौखिक रूप सेे यह आदेश दिए जा रहे हैं कि पहले से चल रही ग्रामीण विकास योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा मद लोहिया गांवों में खर्च किया जाए। इससे जनता को यह प्रतीत हो कि लोहिया गांवों में विकास कार्य शुरू हो गए हैं।
लोहिया गांवों में विकास के लिए सभी विभागों ने खाका तैयार कर लिया है। सभी प्रस्ताव प्रशासकीय और वित्तीय अनुमति के लिए शासन के पास भेजे जा चुके हैं। सरकार से पैसा मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अभी समय है, शासन की मंसानुरूप समय पर सभी काम पूरे करा लिए जाएंगे।
अवधेश बहादुर सिंह, प्रभारी पीडी