उन्नाव। परिषदीय विद्यालयों व अतिरिक्त कक्षाें के कराए गए निर्माण कार्य में पाई गई धांधली और स्पष्टीकरण में अनुकूल व्यवहार न पाए जाने पर जिलाधिकारी ने जिला समन्वयक निर्माण की संविदा समय से पहले ही समाप्त कर दी। जिला समन्वयक को कई बार निर्माण कार्य दुरूस्त कराने की चेतावनी भी दी जा चुकी थी। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ और इसकी गाज संविदा समाप्त होने के रूप में गिरी।
वर्ष 2007 में संविदा के तहत हुई भर्ती में कौशलेन्द्र कटियार ने ज्वाइन किया था। उन्हें जिला समन्वयक निर्माण का प्रभारी बनाया गया था। अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कौशलेंद्र ने 150 प्राइमरी, 25 जूनियर व 800 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराया था। जिसमें मानक के सापेक्ष न तो मैटेरियल लगाया जा रहा था और न ही फर्श सही बनवाई जा रही थी। जिसकी शिकायत प्रधानों ने कई बार बीएसए से की थी। जिस पर बीएसए ने जांच कराने के आदेश दिए थे। साथी श्री कटियार को सही से निर्माण कार्य कराने की चेतावनी भी दी थी। उसके बाद भी निर्माण कार्य प्रभारी लगातार धांधली करते रहे। डीएम तक शिकायत पहुंचने के बाद कौशलेंद्र कटियार से स्पष्टीकरण मांगा गया। जिस पर डीएम को दिए गए स्पष्टीकरण में उन्होंने लिखा की यदि हमारा कार्य पसंद नहीं आ रहा है तो हमारी संविदा समाप्त कर दी जाए। जिस पर जिलाधिकारी ने इसे अनुकूल व्यवहार न मानते हुए समय से पहले ही संविदा समाप्त कर दी। मालूम हो कि जिला समन्वयक निर्माण की 6 नवंबर को संविदा समाप्त हो रही थी।
जानकारों की मानी जाए तो मानक के अनुकूल कार्य पाए जाने पर संविदा आगे बढ़ाई जा सकती थी। बेसिक शिक्षाधिकारी डा. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर निर्माण कार्य को समयावधि व गुणवत्ता पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए थे। जिस पर शिकायत मिलने पर निर्माण प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगा गया था। कटियार की ओर से दिया गया स्पष्टीकरण अनुकूल न पाए जाने पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई की है।
उन्नाव। परिषदीय विद्यालयों व अतिरिक्त कक्षाें के कराए गए निर्माण कार्य में पाई गई धांधली और स्पष्टीकरण में अनुकूल व्यवहार न पाए जाने पर जिलाधिकारी ने जिला समन्वयक निर्माण की संविदा समय से पहले ही समाप्त कर दी। जिला समन्वयक को कई बार निर्माण कार्य दुरूस्त कराने की चेतावनी भी दी जा चुकी थी। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ और इसकी गाज संविदा समाप्त होने के रूप में गिरी।
वर्ष 2007 में संविदा के तहत हुई भर्ती में कौशलेन्द्र कटियार ने ज्वाइन किया था। उन्हें जिला समन्वयक निर्माण का प्रभारी बनाया गया था। अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कौशलेंद्र ने 150 प्राइमरी, 25 जूनियर व 800 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराया था। जिसमें मानक के सापेक्ष न तो मैटेरियल लगाया जा रहा था और न ही फर्श सही बनवाई जा रही थी। जिसकी शिकायत प्रधानों ने कई बार बीएसए से की थी। जिस पर बीएसए ने जांच कराने के आदेश दिए थे। साथी श्री कटियार को सही से निर्माण कार्य कराने की चेतावनी भी दी थी। उसके बाद भी निर्माण कार्य प्रभारी लगातार धांधली करते रहे। डीएम तक शिकायत पहुंचने के बाद कौशलेंद्र कटियार से स्पष्टीकरण मांगा गया। जिस पर डीएम को दिए गए स्पष्टीकरण में उन्होंने लिखा की यदि हमारा कार्य पसंद नहीं आ रहा है तो हमारी संविदा समाप्त कर दी जाए। जिस पर जिलाधिकारी ने इसे अनुकूल व्यवहार न मानते हुए समय से पहले ही संविदा समाप्त कर दी। मालूम हो कि जिला समन्वयक निर्माण की 6 नवंबर को संविदा समाप्त हो रही थी।
जानकारों की मानी जाए तो मानक के अनुकूल कार्य पाए जाने पर संविदा आगे बढ़ाई जा सकती थी। बेसिक शिक्षाधिकारी डा. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर निर्माण कार्य को समयावधि व गुणवत्ता पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए थे। जिस पर शिकायत मिलने पर निर्माण प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगा गया था। कटियार की ओर से दिया गया स्पष्टीकरण अनुकूल न पाए जाने पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई की है।