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सुल्तानपुर। अतिरिक्त बीपीएल योजना के खाद्यान्न को कुंभ मेले में भेजे जाने की बात कहकर कोटेदार राशन हजम कर रहे हैं। पात्रों को दुकान से लौटा दिया जा रहा है। पर्यवेक्षक व पूर्ति निरीक्षकों की ओर से दुकानों की जांच नहीं करने से कोटेदारों के हौसले और बुलंद हैं। मामला शहर के विनोबापुरी व लोलेपुर क्षेत्र में सामने आया है।
आपूर्ति विभाग की तरफ से राशन वितरण के लिए निर्धारित तिथि के बीच पात्रों के राशन कोटे पर पहुंचने पर कहा गया कि योजना का राशन कुंभ मेले को भेज दिया गया है। बताया गया कि फरवरी माह से गेहूं व चावल की पूरी मात्रा दी जाएगी। मोहल्ले के रमेश तिवारी ने बताया कि जनवरी में दो माह का राशन मिलने की बात कही गई थी। एपीएल कार्ड पर अतिरिक्त बीपीएल योजना की मुहर लगने से उम्मीद जगी थी, लेकिन अब कोटेदार राशन का आवंटन कुंभ मेले में भेजे जाने की बात कह रहे हैं। निषाद बस्ती के राम अंजोरकहते हैं कि कोटेदार ने अगले माह से पूरा राशन मिलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गेहूं चावल के लिए परिवार दो महीने से आस लगाए बैठा था। यहीं के जगराम ने बताया कि राशन नहीं मिल पाने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पर्यवेक्षक व पूर्ति निरीक्षक की ओर से नियमित जांच नहीं कराने से कोटेदार बेलगाम हो गए हैं।
सुल्तानपुर। अतिरिक्त बीपीएल योजना के खाद्यान्न को कुंभ मेले में भेजे जाने की बात कहकर कोटेदार राशन हजम कर रहे हैं। पात्रों को दुकान से लौटा दिया जा रहा है। पर्यवेक्षक व पूर्ति निरीक्षकों की ओर से दुकानों की जांच नहीं करने से कोटेदारों के हौसले और बुलंद हैं। मामला शहर के विनोबापुरी व लोलेपुर क्षेत्र में सामने आया है।
आपूर्ति विभाग की तरफ से राशन वितरण के लिए निर्धारित तिथि के बीच पात्रों के राशन कोटे पर पहुंचने पर कहा गया कि योजना का राशन कुंभ मेले को भेज दिया गया है। बताया गया कि फरवरी माह से गेहूं व चावल की पूरी मात्रा दी जाएगी। मोहल्ले के रमेश तिवारी ने बताया कि जनवरी में दो माह का राशन मिलने की बात कही गई थी। एपीएल कार्ड पर अतिरिक्त बीपीएल योजना की मुहर लगने से उम्मीद जगी थी, लेकिन अब कोटेदार राशन का आवंटन कुंभ मेले में भेजे जाने की बात कह रहे हैं। निषाद बस्ती के राम अंजोरकहते हैं कि कोटेदार ने अगले माह से पूरा राशन मिलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गेहूं चावल के लिए परिवार दो महीने से आस लगाए बैठा था। यहीं के जगराम ने बताया कि राशन नहीं मिल पाने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पर्यवेक्षक व पूर्ति निरीक्षक की ओर से नियमित जांच नहीं कराने से कोटेदार बेलगाम हो गए हैं।