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घोरावल। खरुआंव के समीप सोमवार को हुई ह्रदयविदारक घटना की गवाह घोरावल सीएचसी से नसबंदी करा कर लौट रही उर्मिला बनी। उर्मिला ने दिलेरी दिखाते हुए एंबुलेंस में सवार अपने चाचा को बचा लिया। लेकिन बेटी और दादी को नहीं बचा सकी। उर्मिला के सामने बेटी और उसकी दादी जलकर मर गईं। घायल अंतिम सांस तक मदद की गुहार लगाते रहे।
जिला अस्पताल में भर्ती घोरावल थाना क्षेत्र के सोतिल गांव की उर्मिला पत्नी बब्बू ने बताया कि बबूल के पेड़ से टकराने के बाद एंबुलेंस हवा में उछली तो वह नीचे गिर कर जख्मी हो गई। इसके बाद एंबुलेंस पलटी खाते हुए कुछ दूरी पर जा पहुंची। किसी तरह एंबुलेंस के पास गई तो देखा उसमें सवार सभी खून से लथपथ होकर कराह रहे थे। उर्मिला ने अचेत चाचा भूलन को खींच कर निकाल रही थी। उसी समय एंबुलेंस में आग लग गई। उसने हिम्मत नहीं हारी और चाचा को घसीटते हुए कुछ दूरी पर आई। इसके बाद ग्रामीण भी आ गए थे। थोड़ी ही देर में भूलन को होश आया तो देखा कि एंबुलेंस आग का गोला बन चुकी है। उर्मिला की आंख के सामने उसकी सात माह की बच्ची उषा, भूलन के सामने उसकी मां चंपा, चालक केशव और राजमणी जल गए। लपटों को देख घायलों का कलेजा दहल जा रहा था। घटनास्थल के आसपास सुनसान होने से घायलों की आवाज किसी ने नहीं सुनी। अस्पताल में भर्ती चाचा-भतीजी की बात सुन कर लोगों का कलेजा फटा जा रहा था। भूलन का कहना रहा कि कैंप में साढ़े दस बजे उर्मिला का नसबंदी हुआ था। रात्रि में घर आने की तैयारी नही थी लेकिन एंबुलेंस राबर्ट्सगंज जा रही थी, इसलिए उसमें मरीज को लेकर सवार हो गए।
घोरावल। खरुआंव के समीप सोमवार को हुई ह्रदयविदारक घटना की गवाह घोरावल सीएचसी से नसबंदी करा कर लौट रही उर्मिला बनी। उर्मिला ने दिलेरी दिखाते हुए एंबुलेंस में सवार अपने चाचा को बचा लिया। लेकिन बेटी और दादी को नहीं बचा सकी। उर्मिला के सामने बेटी और उसकी दादी जलकर मर गईं। घायल अंतिम सांस तक मदद की गुहार लगाते रहे।
जिला अस्पताल में भर्ती घोरावल थाना क्षेत्र के सोतिल गांव की उर्मिला पत्नी बब्बू ने बताया कि बबूल के पेड़ से टकराने के बाद एंबुलेंस हवा में उछली तो वह नीचे गिर कर जख्मी हो गई। इसके बाद एंबुलेंस पलटी खाते हुए कुछ दूरी पर जा पहुंची। किसी तरह एंबुलेंस के पास गई तो देखा उसमें सवार सभी खून से लथपथ होकर कराह रहे थे। उर्मिला ने अचेत चाचा भूलन को खींच कर निकाल रही थी। उसी समय एंबुलेंस में आग लग गई। उसने हिम्मत नहीं हारी और चाचा को घसीटते हुए कुछ दूरी पर आई। इसके बाद ग्रामीण भी आ गए थे। थोड़ी ही देर में भूलन को होश आया तो देखा कि एंबुलेंस आग का गोला बन चुकी है। उर्मिला की आंख के सामने उसकी सात माह की बच्ची उषा, भूलन के सामने उसकी मां चंपा, चालक केशव और राजमणी जल गए। लपटों को देख घायलों का कलेजा दहल जा रहा था। घटनास्थल के आसपास सुनसान होने से घायलों की आवाज किसी ने नहीं सुनी। अस्पताल में भर्ती चाचा-भतीजी की बात सुन कर लोगों का कलेजा फटा जा रहा था। भूलन का कहना रहा कि कैंप में साढ़े दस बजे उर्मिला का नसबंदी हुआ था। रात्रि में घर आने की तैयारी नही थी लेकिन एंबुलेंस राबर्ट्सगंज जा रही थी, इसलिए उसमें मरीज को लेकर सवार हो गए।