सोनभद्र। शिक्षा सत्र 2010-11 परिषदीय विद्यालयों के नए भवन में पढ़ाई पर तलवार लटक रही है। खनन हादसे के बाद गिट्टी-बालू के दाम में अप्रत्याशित इजाफा होने के कारण भवनों का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। जनवरी 2013 तक भवनों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन 499 भवनों में से अब तक महज 343 भवन ही बन सके हैं। शेष 156 भवनों अधूरे पड़े हैं।
प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने शिक्षा सत्र 2010-11 में नए प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकार ने 499 प्राथमिक विद्यालय भवनों का निर्माण कराने का निर्देश दिया था। इसके तहत पूर्व निर्धारित बजट भी दिया गया था लेकिन ज्यादातर विद्यालय अब तक नहीं बन सके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय भवन निर्माण का कार्य शिक्षकों को ही दिया जाता है लेकिन सूत्रों की मानें तो शिक्षक पूर्व निर्धारित दर को वर्तमान के लिहाज से काफी कम मान रहे हैं और विद्यालय भवन निर्माण करवाने से कतरा रहे हैं। तमाम शिक्षक तो इस बात को लेकर परेशान हैं कि यदि वे विद्यालय भवन निर्माण कराते हैं तो घर से पैसा देना पड़ेगा। नहीं बनवाते हैं तो निलंबन और अन्य विभागीय कार्यवाही उनके गले मढ़ दी जाएगी। ऐसे में शिक्षकों की सुस्ती की मार विद्यालय भवनों पर पड़ रही है। बेसिक शिक्षा विभाग से मिली जानकारी पर गौर करें तो जनवरी 2013 तक 499 विद्यालय भवनों में से 156 विद्यालयों का निर्माण कार्य अब भी अधूरा है। शिक्षक इसके पीछे अलग ही वजह गिना रहे हैं। शिक्षकों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग से गिट्टी-बालू और अन्य निर्माण सामग्रियों के दाम पुराने दर पर ही दिए गए हैं जबकि वर्तमान दर में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है। ओबरा में फरवरी माह में हुए खनन हादसे के बाद जिले की सभी खदानें बंद हो गई थीं। काफी जद्दोजहद के बाद खनन व्यवसाय चालू हुआ तो गिट्टी बालू के दाम आसमान पर पहुुंच गए। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष तीन गुना से ज्यादा दर पर खनन सामग्रियां बिक रही हैं। ऐसे में पुराने दर पर नया भवन मानक के अनुरूप कैसे बन पाएगा।
सोनभद्र। शिक्षा सत्र 2010-11 परिषदीय विद्यालयों के नए भवन में पढ़ाई पर तलवार लटक रही है। खनन हादसे के बाद गिट्टी-बालू के दाम में अप्रत्याशित इजाफा होने के कारण भवनों का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। जनवरी 2013 तक भवनों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन 499 भवनों में से अब तक महज 343 भवन ही बन सके हैं। शेष 156 भवनों अधूरे पड़े हैं।
प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने शिक्षा सत्र 2010-11 में नए प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकार ने 499 प्राथमिक विद्यालय भवनों का निर्माण कराने का निर्देश दिया था। इसके तहत पूर्व निर्धारित बजट भी दिया गया था लेकिन ज्यादातर विद्यालय अब तक नहीं बन सके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय भवन निर्माण का कार्य शिक्षकों को ही दिया जाता है लेकिन सूत्रों की मानें तो शिक्षक पूर्व निर्धारित दर को वर्तमान के लिहाज से काफी कम मान रहे हैं और विद्यालय भवन निर्माण करवाने से कतरा रहे हैं। तमाम शिक्षक तो इस बात को लेकर परेशान हैं कि यदि वे विद्यालय भवन निर्माण कराते हैं तो घर से पैसा देना पड़ेगा। नहीं बनवाते हैं तो निलंबन और अन्य विभागीय कार्यवाही उनके गले मढ़ दी जाएगी। ऐसे में शिक्षकों की सुस्ती की मार विद्यालय भवनों पर पड़ रही है। बेसिक शिक्षा विभाग से मिली जानकारी पर गौर करें तो जनवरी 2013 तक 499 विद्यालय भवनों में से 156 विद्यालयों का निर्माण कार्य अब भी अधूरा है। शिक्षक इसके पीछे अलग ही वजह गिना रहे हैं। शिक्षकों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग से गिट्टी-बालू और अन्य निर्माण सामग्रियों के दाम पुराने दर पर ही दिए गए हैं जबकि वर्तमान दर में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है। ओबरा में फरवरी माह में हुए खनन हादसे के बाद जिले की सभी खदानें बंद हो गई थीं। काफी जद्दोजहद के बाद खनन व्यवसाय चालू हुआ तो गिट्टी बालू के दाम आसमान पर पहुुंच गए। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष तीन गुना से ज्यादा दर पर खनन सामग्रियां बिक रही हैं। ऐसे में पुराने दर पर नया भवन मानक के अनुरूप कैसे बन पाएगा।