सोनभद्र। हर ओर आजादी का जशभन था, वहीं कई महिलाएं प्रसव पीड़ा से गुजर रहीं थी। अपना बच्चा देखने के बाद देशभक्ति के गीत सुनकर उन्हें अपने बच्चों में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अन्ना हजारे की झलक दिखाई दी। अस्पतालों में भी आजादी के पर्व पर कार्यक्रम हो रहे थे। इनमें खुशी दोगुना हो गई। एक तो आजादी के पर्व की खुशियां, तो दूसरी ओर अपनी औलाद का सुख। अस्पताल के कर्मचारी भी इन्हें दो मुबारकबाद दे रहे थे।
पिनरी गांव के धर्मशीला ने जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। इनके पति सुदामा साधारण किसान हैं। इनमें बच्चे की खुशी दिख रही थी। धर्मशीला बच्चे का मुंह देखकर बोली कि मेरा बेटा अन्ना की तरह बनेगा। अपने लिए सभी जीते हैं देश के लिए जिए वहीं सच्चा इंसान है। इनके सपने के बारे में पूछने पर बताया कि हर मां बेटे को आगे बढ़ना चाहती है। देश और समाज के बारे में काम करने पर खुशी अलग है।
कैथी गांव की सुनीता अपने को सौभाग्यशाली मानती हैं। इनके पति अनिल काफी खुश थे। लोग दोहरी मुबारकवाद दे रहे थे। सुुनीता कहती हैं कि सोचा नहीं था कि इतने बड़े पर्व पर मेरी बेटी भी इस दुनिया में आ जाएगी। इसे मैं पढ़ा लिखा कर ऊंचे मुकाम पर पहुंचाऊंगी। समाज में फैली बुराइयों को आवाज उठाने का जज्बा पैदा करूंगी। गरीबों की आवाज बनकर समाज में मेरा नाम ऊंचा करेगी। वैसे कई मां ने अपने बेटे को आजाद और गांधीजी बनने को भी सपना सजाया है।
सोनभद्र। हर ओर आजादी का जशभन था, वहीं कई महिलाएं प्रसव पीड़ा से गुजर रहीं थी। अपना बच्चा देखने के बाद देशभक्ति के गीत सुनकर उन्हें अपने बच्चों में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और अन्ना हजारे की झलक दिखाई दी। अस्पतालों में भी आजादी के पर्व पर कार्यक्रम हो रहे थे। इनमें खुशी दोगुना हो गई। एक तो आजादी के पर्व की खुशियां, तो दूसरी ओर अपनी औलाद का सुख। अस्पताल के कर्मचारी भी इन्हें दो मुबारकबाद दे रहे थे।
पिनरी गांव के धर्मशीला ने जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। इनके पति सुदामा साधारण किसान हैं। इनमें बच्चे की खुशी दिख रही थी। धर्मशीला बच्चे का मुंह देखकर बोली कि मेरा बेटा अन्ना की तरह बनेगा। अपने लिए सभी जीते हैं देश के लिए जिए वहीं सच्चा इंसान है। इनके सपने के बारे में पूछने पर बताया कि हर मां बेटे को आगे बढ़ना चाहती है। देश और समाज के बारे में काम करने पर खुशी अलग है।
कैथी गांव की सुनीता अपने को सौभाग्यशाली मानती हैं। इनके पति अनिल काफी खुश थे। लोग दोहरी मुबारकवाद दे रहे थे। सुुनीता कहती हैं कि सोचा नहीं था कि इतने बड़े पर्व पर मेरी बेटी भी इस दुनिया में आ जाएगी। इसे मैं पढ़ा लिखा कर ऊंचे मुकाम पर पहुंचाऊंगी। समाज में फैली बुराइयों को आवाज उठाने का जज्बा पैदा करूंगी। गरीबों की आवाज बनकर समाज में मेरा नाम ऊंचा करेगी। वैसे कई मां ने अपने बेटे को आजाद और गांधीजी बनने को भी सपना सजाया है।