सोनभद्र। भले ही निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष और सभासद प्रत्याशियों के लिए चुनावी खर्च सीमा तय कर दी हो। मगर जिले में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। प्रत्याशियाें ने शुरुआती दौर में ही खर्च सीमा का कई गुना खर्च कर दिया है। बावजूद इसके निर्वाचन आयोग की टीम की नजर इस ओर नहीं जा रही है। एक तरफ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विभिन्न नगर पंचायतों में पहुंचकर प्रत्याशियों को चुनावी आचार संहिता के अनुपालन का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वहीं चुनावी खर्च को लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है।
शहरी और कस्बाई इलाकों के विकास के लिए नगर निकायाें की स्थापना की गई है। प्रत्येक पांच वर्ष में अध्यक्ष और सभासद पद के लिए चुनाव कराए जाते हैं। चुनावों में धन के अत्यधिक प्रयोग को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस वर्ष नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए चार लाख रुपये, सभासद पद के प्रत्याशी के बीस हजार और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए एक लाख और सभासद पद के प्रत्याशी के लिए दस हजार तक खर्च की सीमा तय कर दी है। यही नहीं खर्च का हिसाब रखने के लिए उड़ाका दल का भी गठन किया गया है। प्रत्याशियों के लिए प्रतिदिन खर्च का हिसाब किताब रजिस्टर पर अंकित करने को कहा गया है। बावजूद इसके प्रत्याशी इससे इतर हट कर खर्च करने से नहीं चूक रहे हैं। अंतिम चरण में होने वाले चुनाव के लिए छह जून को जनपद में अधिसूचना जारी की गई थी। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों नेवैसे तो पहले से ही पोस्टर बैनर पर हजारों रुपये खर्च कर चुके थे। अधिसूचना जारी होने के बाद खर्च पर कुछ अंकुश लगा। 17 जून को जैसे ही प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित हुआ चुनाव प्रचार में तेजी आ गई। यदि राबर्ट्सगंज नगर पालिका की बात करें तो प्रत्याशियों ने दो से पांच सौ रुपये प्रतिदिन पर पचास से सौ लड़कों की टीम तैयार कर रखी है। इसके अलावा दर्जनों महिलाओं को प्रचार में लगा रखा है। इन दोनों पर प्रतिदिन बीस से तीस हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। इसके अलावा वाहनों को किराए पर लेकर प्रचार में लगाने के अलावा प्रचार के लिए हजारों रुपये खर्च कर गायकों की टीम बुक कर रखी है। इस पर भी दस से पंद्रह हजार रुपये प्रतिदिन खर्च हो रहे हैं। अन्य खर्च अलग से। एक अनुमान के मुताबिक पांच से दस हजार रुपये तक इस पर भी खर्च हो रहा है। कुल मिलाकर प्रत्याशी प्रतिदिन पचास हजार रुपये तक खर्च कर दे रहे हैं।
प्रचार की तिथि नजदीक आ रही है और प्रचार आक्रामक होता जा रहा है। अभी तक मात्र दस दिन हुए प्रचार शुरू हुए। यदि हिसाब लगाया जाए तो एक प्रत्याशी अब तक पांच लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है जबकि पूरा खर्च सिर्फ चार लाख करना था। यही हाल नगर पंचायतों का भी है। यहां भी नामांकन जुलूस से लेकर अब तक के प्रचार में खर्च के सापेक्ष दोगुना तक खर्च कर दिए हैं। ऐसे में चुनाव खर्चे को लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है।
सोनभद्र। भले ही निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष और सभासद प्रत्याशियों के लिए चुनावी खर्च सीमा तय कर दी हो। मगर जिले में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। प्रत्याशियाें ने शुरुआती दौर में ही खर्च सीमा का कई गुना खर्च कर दिया है। बावजूद इसके निर्वाचन आयोग की टीम की नजर इस ओर नहीं जा रही है। एक तरफ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विभिन्न नगर पंचायतों में पहुंचकर प्रत्याशियों को चुनावी आचार संहिता के अनुपालन का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वहीं चुनावी खर्च को लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है।
शहरी और कस्बाई इलाकों के विकास के लिए नगर निकायाें की स्थापना की गई है। प्रत्येक पांच वर्ष में अध्यक्ष और सभासद पद के लिए चुनाव कराए जाते हैं। चुनावों में धन के अत्यधिक प्रयोग को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस वर्ष नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए चार लाख रुपये, सभासद पद के प्रत्याशी के बीस हजार और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए एक लाख और सभासद पद के प्रत्याशी के लिए दस हजार तक खर्च की सीमा तय कर दी है। यही नहीं खर्च का हिसाब रखने के लिए उड़ाका दल का भी गठन किया गया है। प्रत्याशियों के लिए प्रतिदिन खर्च का हिसाब किताब रजिस्टर पर अंकित करने को कहा गया है। बावजूद इसके प्रत्याशी इससे इतर हट कर खर्च करने से नहीं चूक रहे हैं। अंतिम चरण में होने वाले चुनाव के लिए छह जून को जनपद में अधिसूचना जारी की गई थी। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों नेवैसे तो पहले से ही पोस्टर बैनर पर हजारों रुपये खर्च कर चुके थे। अधिसूचना जारी होने के बाद खर्च पर कुछ अंकुश लगा। 17 जून को जैसे ही प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित हुआ चुनाव प्रचार में तेजी आ गई। यदि राबर्ट्सगंज नगर पालिका की बात करें तो प्रत्याशियों ने दो से पांच सौ रुपये प्रतिदिन पर पचास से सौ लड़कों की टीम तैयार कर रखी है। इसके अलावा दर्जनों महिलाओं को प्रचार में लगा रखा है। इन दोनों पर प्रतिदिन बीस से तीस हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। इसके अलावा वाहनों को किराए पर लेकर प्रचार में लगाने के अलावा प्रचार के लिए हजारों रुपये खर्च कर गायकों की टीम बुक कर रखी है। इस पर भी दस से पंद्रह हजार रुपये प्रतिदिन खर्च हो रहे हैं। अन्य खर्च अलग से। एक अनुमान के मुताबिक पांच से दस हजार रुपये तक इस पर भी खर्च हो रहा है। कुल मिलाकर प्रत्याशी प्रतिदिन पचास हजार रुपये तक खर्च कर दे रहे हैं।
प्रचार की तिथि नजदीक आ रही है और प्रचार आक्रामक होता जा रहा है। अभी तक मात्र दस दिन हुए प्रचार शुरू हुए। यदि हिसाब लगाया जाए तो एक प्रत्याशी अब तक पांच लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है जबकि पूरा खर्च सिर्फ चार लाख करना था। यही हाल नगर पंचायतों का भी है। यहां भी नामांकन जुलूस से लेकर अब तक के प्रचार में खर्च के सापेक्ष दोगुना तक खर्च कर दिए हैं। ऐसे में चुनाव खर्चे को लेकर लोगों में तरह तरह की चर्चा है।