सोनभद्र। जिला प्रशासन ने वैध पत्थर, बालू की खदानें बंद करा कर लाखों के मुंह का निवाला छीन लिया है। खनन कार्य बंद होने से प्रदेश सरकार को लगभग 32 करोड़ की राजस्व क्षति हुई है। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद वैध खदानें शुरू नहीं हो रही है। ऐसे में खनन पर निर्भर लोगों का गुस्सा कभी भी विकराल रूप धारण कर सकता है।
फरवरी के अंत में ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली खनन क्षेत्र में एक खदान धसक गई थी। हादसे में लगभग दस श्रमिकों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। जिला प्रशासन ने मामले की नजाकत को भांपते हुए सीमाकंन के बाद खनन कार्य होगा कि बात कहते हुए सभी अवैध के साथ वैध बालू और पत्थर की खदानों को बंद करा दिया। खनन कार्य बंद होने से एक लाख से अधिक श्रमिक समेत अन्य बेरोजगार होकर घूमने लगे। हालांकि अप्रैल में तत्कालीन डीएम वीवी पंत और एडीएम डा. वेदपति मिश्र ने बेरोजगार के दुख, दर्द को गंभीरता से लेते हुए क्रशर मालिकों के साथ बैठक कर परिवहन कराने का आदेश देकर कुछ राहत दिया। द्वय अधिकारियों ने शीघ्र ही राजस्व, वन और माइंस विभाग की सामूहिक सीमांकन करा कर वैध खदानें चालू कराने का शुरू कराया गया। इसी बीच दोनों अधिकारियों का स्थानांतरण गैर जनपद हो गया और खनन कार्य शुरू नही हुआ। वर्तमान में पचास अधिक श्रमिक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। प्रतिमाह सरकार को करीब दस करोड़ रुपये राजस्व की क्षति हो रही है। अभी तक 32 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति हो चुकी है। खान अधिकारी एसके सिंह राजस्व क्षति की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द से जल्द वैध बालू, पत्थर की खदानें चालू करा कर राजस्व नुकसान रोकने के साथ ही श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।