सोनभद्र। स्वास्थ्य महकमा मरीजों के उपचार के नाम पर पानी की तरह धन खर्च कर रहा है। बावजूइ इसके सरकारी अस्पतालों में मरीजों को नाममात्र की दवाईयां उपलब्ध हो रही है। स्वास्थ्य टीम दुरूह और नक्सल क्षेत्र के गांवों में गंभीर बीमारी होने पर भी नहीं पहुंच रही है। उपचार के अभाव में मरीजों की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ रही है। मामले को गंभीरता से लेते हुए नवागत सीएमओ ने जन प्रतिनिधियों के माध्यम से रोगियोें को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने का प्रयास शुरू कर दिया है।
वर्तमान में पूरे जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। बसपा के शासन काल में मरीजों के सुविधाएं के लिए चलाई गई एम्बुलेंस बंद होने से दुरूह, नक्सल क्षेत्र के मरीजों को इलाज कराने में दिक्कतेें हो रही है। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में दवा होने के बाद भी मरीजों को नाममात्र की दवाईयां दी जा रही है। अति नक्सल प्रभावित नगवां, घोरावल, दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, कोन, चतरा पीएचसी समेत अन्य अस्पतालों में जेनरेटर की सुविधाएं नही है। जिन अस्पतालों में जेनरेटर है, वहां चलता नही है। बिजली जाने के बाद अस्पतालों में अंधेरा पसरा रहता है। बिहार, झारखंड, एमपी और छत्तीसगढ़ बार्डर पर स्थित गांवों के मरीज इलाज कराने को लेकर परेशान हैं। हालांकि सीएमओ डा. रामअवध यादव ने सरकारी सुविधाओं को लाभ मरीजों को देने के लिए एएनएम और आशाओं के माध्यम से सीएचसी और पीएचसी प्रभारियों का मोबाइल नंबर, प्रधान, बडीसी, ग्राम पंचायत सदस्य समेत अन्य जन प्रतिनिधियों तक पहुंचवाने लगे हैं। सीएमओ का कहना है कि जनप्रतिनिधि गांव में किसी प्रकार की बीमारी होने की सूचना प्रभारियों के मोबाइल नंबर दे सकते हैं। सूचना मिलते ही स्वास्थ्य टीम मौके पर पहुंच कर मरीजों का इलाज करेगी।