सोनभद्र। करीब डेढ़ दशक से पांच राज्यों में ताबड़तोड़ नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस और आम आदमी के जेहन में खौफ पैदा करने वाला नक्सली लालब्रत कोल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। बुधवार को पेशी के दौरान कचहरी परिसर पुलिस छावनी तब्दील रहा। सीआरपीएफ समेत कई थानों की फोर्स पुलिस रिकार्ड में दो-दो बार मरने वाले नक्सली की सुरक्षा में लगी रही। न्यायालय सुनवाई करने के बाद लालब्रत को जेल भेज दिया। मिर्जापुर कारागार में नक्सली के पहुंचने के बाद पुलिसकर्मियों ने राहत की सांस ली।
मंगलवार को चोपन थाना क्षेत्र के छिकड़ा जंगल में बुधवार को नक्सली लालब्रत कोल को गिरफ्तार किया गया। लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसके पकड़े जाने की पुष्टि घंटों बाद की। वजह मिर्जापुर जिले के भवानीपुर गांव में वर्ष 2001 में मुठभेड़ कांड में पुलिस ने लालब्रत कोल को मार गिराने का दावा किया था। इसके बाद वर्ष 2004 में लालब्रत कोल के मारे जाने की चर्चाएं जोरों पर रही। विगत 24 मई को मुठभेड़ के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़े तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा, पचास हजार के इनामी अजीत कोल ने अपने गुरु लालब्रत कोल की पहचान कर पुलिस के जी में जान भर दिया। बुधवार को पिपरी सीओ प्रमोद यादव और सीआरपीएफ के उप सेनानायक पवन कुमार उपाध्याय ने नक्सली को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश किया। पांच राज्यों की पुलिस को चकमा देकर नक्सली घटनाओं को अंजाम देने वाला नक्सली हाथ से फिसल न जाए, इसका डर पुलिस को सता रहा था। पुलिसकर्मी किसी को नक्सली से बात करने नही दे रहे थे। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने लालब्रत को मिर्जापुर जेल पुहंचा दिया।
मरन नाही बचवा के एतना कहां कम बा
सोनभद्र। राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर में बुधवार को लालब्रत से मिलने के लिए उसकी वृद्ध मां रमावती पहुंची थी। रमावती का कहना रहा कि करीब 20 वर्ष से मैं अपने लड़के की सूरत नही देखी हूं। हालांकि घर पर अक्सर कई जगह से साहब लोग जाते थे और कहते थे कि लालब्रत के बारे में जानकारी दो, वरना जब भी मिलेगा मार दिया जाएगा। मंगलवार को पुलिस वालों ने खबर दी कि लालब्रत को जिंदा पकड़ लिया गया है, तो विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसका कहना था कि नक्सली बनल रहन त पकड़ाई गईन। चल पुलिस बचवा के मरले से नाही एतना कहां कम बाई।
पुलिसकर्मियों ने मंसूबे पर फेरा पानी
सोनभद्र। पांच राज्यों के पुलिस के नाक में दम कर ताबड़तोड़ नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर नक्सल संगठन को मजबूत बनाने वाला नक्सली लालब्रत कोल को देखने के लिए लोग लालायित रहे। दोपहर करीब एक बजे कचहरी परिसर में पुलिसकर्मी लालब्रत कोल को लेकर पहुंचे। नक्सली का सूरत देखने के लिए लोग बेकरार रहे। हर व्यक्ति लालब्रत को करीब से देखना और उसकी भावनाओं को जानना चाह रहा था, लेकिन पुलिस वालों ने सभी के मंसूबे पर पानी फेर दिया। पुलिसकर्मी नक्सली को चेहरा ढक कर उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल पहुंचा दिए।
शुरू हमी ने की और अंत भी
सोनभद्र। पुलिस कस्टडी में कचहरी पहुंचे नक्सली लालब्रत कोल ने अमर उजाला टीम को बताया कि करीब एक डेढ़ दशक पूर्व वह नक्सली संगठन से जुड़ा। सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जिले में संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी मेरे ही कंधे पर रही। उसने कहा कि यूपी में नक्सलवाद की शुरूआत हमी ने की थी और अंत भी मेरे गिरफ्तारी के बाद हो गया। अब यूपी में संगठन का कोई भी बंदा नहीं रह गया है। हालांकि शासन से अधिकारी और कर्मचारी खुद को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नक्सलियों का नाम जिंदा रखना के पूरा प्रयास करेंगे।
पुलिस को करता रहा गुमराह
सोनभद्र। अब तक केेंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा एक लाख रुपये के इनामी नक्सली लालब्रत कोल को पकड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो वर्ष 2001 में मिर्जापुर जिले के भवानीपुर गांव में हुए मुठभेड़ कांड में लालब्रत ने खुद अपने लोगों से मरने की पुष्टि कराई थी, ताकि पुलिस का उसके तरफ से ध्यान हट जाए। बावजूद इसके पुलिस का शक उसके जिंदा होने की तरफ रहा तो उसने 2004 में खुद के मरने की अफवाह उड़वा दी। इसके बाद लालब्रत कोल साथियों के साथ चंदौली जिले के नौगढ़ थाना क्षेत्र में तीन वनकर्मियों और 16 पुलिसकर्मियों की हत्या कर शासन व प्रशासन को हिला कर रख दिया था। नक्सल क्षेत्र में निवास करने वाले लालब्रत कोल का नाम सुन कर कांप जा रहे थे।
लालब्रत की पत्नी कोर्ट का खटखटाएगी दरवाजा
सोनभद्र। राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर में हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल को देखने के लिए परिजनों और रिश्तेदारों की भीड़ लगी रही। कड़ी धूप में घंटों संबंधित सफेद कलर की बोलरो वाहन में बैठे लालब्रत कोल को निहारते रहे। वाहन से पुलिसकर्मी लालब्रत कोल को लेकर कोर्ट के तरफ जैसे चले सभी उसके पास पहुंच गए। पुलिस के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एकांत में लालब्रत को पत्नी ज्ञानदेवी और अन्य रिश्तेदारों से मुलाकात करवाया गया। ज्ञान देवी का कहना रहा कि पति को निर्दोष साबित करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगी। पुलिस ओन के ऊपर ज्यादा केस मुकदमा न करई, प्रयास रही की जल्द से जल्द घरे आई जाई।
जमीन के खातिर लाल की जिंदगी हुई बर्बाद
सोनभद्र। कचहरी परिसर में नम आंखों से बहन अमरावती ने बताया कि उसका भाई लालव्रत मजबूरी में पार्टी में शामिल हुए थे। गांव के एक यादव ने जमीन को कब्जा कर लिया था। नौगढ़ थाना की पुलिस की मौजूदगी में कई बार पंचायत हुई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल पाया। पुलिस विपक्षी से मिल कर हरदम हमरे भाई को परेशान करती रही। करीब 15 वर्ष पूर्व नौगढ़ थाने में पंचायत हो रही थी, उसी दौरान एक पुलिसकर्मी ने लालब्रत के कंधे पर बंदूक रख कर बोला की जान चाहिए की जमीन, तो भाई ने कहा कि जान और वहां वापस आने के बाद संगठन से जुड़े लोगों के संपर्क में चला गया। जमीन के लिए मेरे भाई की जिंदगी बर्बाद हो गई।
लालब्रत की पहचान लुंगी, डंडा, कुर्ती
सोनभद्र। पांच राज्यों की पुलिस रिकार्ड में नक्सलियों के आका के नाम से पहचान बनाने वाले एक लाख का इनामी नक्सली लालब्रत कोल की पहचान लुंगी, डंडा और कुर्ती रही। लालब्रत संगठन से जुड़े लोगों से मिलने के लिए जब भी गैर प्रांत जाता था तो उसकी शिनाख्त पहनावे से नक्सली करते थे। पुलिस के पास से लालव्रत कोल मवेशियों को चराते हुए दर्जनों बार निकला, लेकिन पुलिसकर्मी उसकी शिनाख्त नही कर सके थे। लालब्रत ने साथियों के साथ कभी भी किसी प्रकार की फोटों नही खिचवाया, वजह उसकी फोटो किसी के पास न चली जाय। लालब्रत की फोटो न होने की वजह से पुलिस डेढ़ दशक से उसे पकड़ने के लिए हवा में तीर चलाती रही।
संगठन कमजोर होना गिरफ्तारी का बना कारण
सोनभद्र। दर्जनों लोगों को मौत की नंीद सुलाने वाला नक्सली लालब्रत कोल के गिरफ्तारी का कारण संगठन का कमजोर होना है। लालब्रत ने बताया कि विगत एक वर्ष में यूपी और बिहार पुलिस ने दर्जन भर साथियों को मय असलहा के गिरफ्तार करके संगठन को कमजोर कर दिया है। मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल के गिरफ्तार होने के बाद यूपी का कोई भी सहयोगी न होने से अकेला हो गया था। इसी का फायदा पुलिस महकमे ने उठाते हुए गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। लालब्रत ने बताया कि उसकी तबीयत भी कुछ महीनों से खराब चल रही थी, जिससे वह पुलिस के चंगुल से भाग नही सका।
लालब्रत कोल चार दिन रिमांड पर
सोनभद्र। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने विवेचक के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए पुलिस को हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल को चार दिन रिमांड पर दे दिया। न्यायालय के आदेश पर बुधवार की शाम पुलिस ने मिर्जापुर जेल से लालब्रत कोल को रिमांड पर ले लिया। उधर सदर इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह चंदेल ने 30 मई को दुर्दांत नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और अभय कोल का रिमांड समाप्त होने पर दोनों ने को मिर्जापुर जेल में ले जाकर दाखिल करा दिया।
नक्सलियों से सफेदपोश लेते हैं सुविधा शुल्क
सोनभद्र। पुलिस प्रशासन ने हार्डकोर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल से चार दिनों तक संगठन के बारे में गहन पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो पूछताछ के दौरान नक्सलियों ने बताया कि कुछ सफेदपोश नक्सलियों के पकड़े जाने पर विरोध करने के लिए संगठन से सुविधा शुल्क लेते हैं। इतना ही नही संगठन की बैठक में शिरकत कर नक्सली घटनाओं को अंजाम देने के लिए रूपरेखा तैयार कराते हैं। नेताओं का संगठन हर स्तर से मदद करता है। इस बारे में पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे का कहना रहा कि मुन्ना और अजीत ने संगठन से धन लेकर पुलिस का विरोध करने वाले नेताओं का नाम बताया है। नक्सलियों द्वारा बताए गए सफेदपोश को बेनकाब करने की तैयारी की जा रही है।
संगठन का वसूल गरीबों की मदद करना
सोनभद्र। हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल ने बताया कि संगठन का वसूल गरीबों की मदद करना है। पूंजीपतियों के धन को लूट कर गरीबों में बांटना उद्ेश्य है। पुलिसकर्मी जो पीडि़तों की मदद करने के बजाय, प्रताडि़त करते है, उन्हें दंडित किया जाता है। जन चौपाल लगा कर ग्रामीणों के समस्याओं का निपटारा किया जाता है। पंचायत में हुए फैसले को नजरअंदाज करने वालों को बख्शा नही जाता। संगठन का वसूल पीडि़तों को न्याय दिलाना और दोषियों को सजा देना है।
पेड़ में बांधकर पुलिसकर्मियों का सिर कलम किया
सोनभद्र। पांच राज्यों की पुलिस को दर्जनों बार मात देने वाला वाला हार्डकोर नक्सली लालव्रत कोल ने पूर्व में नक्सलियों द्वारा की गई घटनाओं को बताया तो पुलिसकर्मी के पैर तले जमीन खिसक गई। पुलिस सूत्रों की मानें तो नक्सली ने बताया कि वर्ष 2009-12 में साथियों ने झारखंड और बिहार प्रांत में आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को पेड़ से बांध कर उनका सिर कलम कर दिया था। पुलिसकर्मियों के मरने के बाद से पुलिस प्रशासन संगठन को जड़ से समाप्त करने के में जुट गई है। हालांकि यूपी से नक्सली समाप्त हो गए, लेकिन बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का अभी साम्र्राज्य स्थापित है।
सोनभद्र। करीब डेढ़ दशक से पांच राज्यों में ताबड़तोड़ नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस और आम आदमी के जेहन में खौफ पैदा करने वाला नक्सली लालब्रत कोल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। बुधवार को पेशी के दौरान कचहरी परिसर पुलिस छावनी तब्दील रहा। सीआरपीएफ समेत कई थानों की फोर्स पुलिस रिकार्ड में दो-दो बार मरने वाले नक्सली की सुरक्षा में लगी रही। न्यायालय सुनवाई करने के बाद लालब्रत को जेल भेज दिया। मिर्जापुर कारागार में नक्सली के पहुंचने के बाद पुलिसकर्मियों ने राहत की सांस ली।
मंगलवार को चोपन थाना क्षेत्र के छिकड़ा जंगल में बुधवार को नक्सली लालब्रत कोल को गिरफ्तार किया गया। लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसके पकड़े जाने की पुष्टि घंटों बाद की। वजह मिर्जापुर जिले के भवानीपुर गांव में वर्ष 2001 में मुठभेड़ कांड में पुलिस ने लालब्रत कोल को मार गिराने का दावा किया था। इसके बाद वर्ष 2004 में लालब्रत कोल के मारे जाने की चर्चाएं जोरों पर रही। विगत 24 मई को मुठभेड़ के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़े तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा, पचास हजार के इनामी अजीत कोल ने अपने गुरु लालब्रत कोल की पहचान कर पुलिस के जी में जान भर दिया। बुधवार को पिपरी सीओ प्रमोद यादव और सीआरपीएफ के उप सेनानायक पवन कुमार उपाध्याय ने नक्सली को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश किया। पांच राज्यों की पुलिस को चकमा देकर नक्सली घटनाओं को अंजाम देने वाला नक्सली हाथ से फिसल न जाए, इसका डर पुलिस को सता रहा था। पुलिसकर्मी किसी को नक्सली से बात करने नही दे रहे थे। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने लालब्रत को मिर्जापुर जेल पुहंचा दिया।
मरन नाही बचवा के एतना कहां कम बा
सोनभद्र। राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर में बुधवार को लालब्रत से मिलने के लिए उसकी वृद्ध मां रमावती पहुंची थी। रमावती का कहना रहा कि करीब 20 वर्ष से मैं अपने लड़के की सूरत नही देखी हूं। हालांकि घर पर अक्सर कई जगह से साहब लोग जाते थे और कहते थे कि लालब्रत के बारे में जानकारी दो, वरना जब भी मिलेगा मार दिया जाएगा। मंगलवार को पुलिस वालों ने खबर दी कि लालब्रत को जिंदा पकड़ लिया गया है, तो विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसका कहना था कि नक्सली बनल रहन त पकड़ाई गईन। चल पुलिस बचवा के मरले से नाही एतना कहां कम बाई।
पुलिसकर्मियों ने मंसूबे पर फेरा पानी
सोनभद्र। पांच राज्यों के पुलिस के नाक में दम कर ताबड़तोड़ नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर नक्सल संगठन को मजबूत बनाने वाला नक्सली लालब्रत कोल को देखने के लिए लोग लालायित रहे। दोपहर करीब एक बजे कचहरी परिसर में पुलिसकर्मी लालब्रत कोल को लेकर पहुंचे। नक्सली का सूरत देखने के लिए लोग बेकरार रहे। हर व्यक्ति लालब्रत को करीब से देखना और उसकी भावनाओं को जानना चाह रहा था, लेकिन पुलिस वालों ने सभी के मंसूबे पर पानी फेर दिया। पुलिसकर्मी नक्सली को चेहरा ढक कर उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल पहुंचा दिए।
शुरू हमी ने की और अंत भी
सोनभद्र। पुलिस कस्टडी में कचहरी पहुंचे नक्सली लालब्रत कोल ने अमर उजाला टीम को बताया कि करीब एक डेढ़ दशक पूर्व वह नक्सली संगठन से जुड़ा। सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जिले में संगठन को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी मेरे ही कंधे पर रही। उसने कहा कि यूपी में नक्सलवाद की शुरूआत हमी ने की थी और अंत भी मेरे गिरफ्तारी के बाद हो गया। अब यूपी में संगठन का कोई भी बंदा नहीं रह गया है। हालांकि शासन से अधिकारी और कर्मचारी खुद को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नक्सलियों का नाम जिंदा रखना के पूरा प्रयास करेंगे।
पुलिस को करता रहा गुमराह
सोनभद्र। अब तक केेंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा एक लाख रुपये के इनामी नक्सली लालब्रत कोल को पकड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो वर्ष 2001 में मिर्जापुर जिले के भवानीपुर गांव में हुए मुठभेड़ कांड में लालब्रत ने खुद अपने लोगों से मरने की पुष्टि कराई थी, ताकि पुलिस का उसके तरफ से ध्यान हट जाए। बावजूद इसके पुलिस का शक उसके जिंदा होने की तरफ रहा तो उसने 2004 में खुद के मरने की अफवाह उड़वा दी। इसके बाद लालब्रत कोल साथियों के साथ चंदौली जिले के नौगढ़ थाना क्षेत्र में तीन वनकर्मियों और 16 पुलिसकर्मियों की हत्या कर शासन व प्रशासन को हिला कर रख दिया था। नक्सल क्षेत्र में निवास करने वाले लालब्रत कोल का नाम सुन कर कांप जा रहे थे।
लालब्रत की पत्नी कोर्ट का खटखटाएगी दरवाजा
सोनभद्र। राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर में हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल को देखने के लिए परिजनों और रिश्तेदारों की भीड़ लगी रही। कड़ी धूप में घंटों संबंधित सफेद कलर की बोलरो वाहन में बैठे लालब्रत कोल को निहारते रहे। वाहन से पुलिसकर्मी लालब्रत कोल को लेकर कोर्ट के तरफ जैसे चले सभी उसके पास पहुंच गए। पुलिस के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एकांत में लालब्रत को पत्नी ज्ञानदेवी और अन्य रिश्तेदारों से मुलाकात करवाया गया। ज्ञान देवी का कहना रहा कि पति को निर्दोष साबित करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगी। पुलिस ओन के ऊपर ज्यादा केस मुकदमा न करई, प्रयास रही की जल्द से जल्द घरे आई जाई।
जमीन के खातिर लाल की जिंदगी हुई बर्बाद
सोनभद्र। कचहरी परिसर में नम आंखों से बहन अमरावती ने बताया कि उसका भाई लालव्रत मजबूरी में पार्टी में शामिल हुए थे। गांव के एक यादव ने जमीन को कब्जा कर लिया था। नौगढ़ थाना की पुलिस की मौजूदगी में कई बार पंचायत हुई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल पाया। पुलिस विपक्षी से मिल कर हरदम हमरे भाई को परेशान करती रही। करीब 15 वर्ष पूर्व नौगढ़ थाने में पंचायत हो रही थी, उसी दौरान एक पुलिसकर्मी ने लालब्रत के कंधे पर बंदूक रख कर बोला की जान चाहिए की जमीन, तो भाई ने कहा कि जान और वहां वापस आने के बाद संगठन से जुड़े लोगों के संपर्क में चला गया। जमीन के लिए मेरे भाई की जिंदगी बर्बाद हो गई।
लालब्रत की पहचान लुंगी, डंडा, कुर्ती
सोनभद्र। पांच राज्यों की पुलिस रिकार्ड में नक्सलियों के आका के नाम से पहचान बनाने वाले एक लाख का इनामी नक्सली लालब्रत कोल की पहचान लुंगी, डंडा और कुर्ती रही। लालब्रत संगठन से जुड़े लोगों से मिलने के लिए जब भी गैर प्रांत जाता था तो उसकी शिनाख्त पहनावे से नक्सली करते थे। पुलिस के पास से लालव्रत कोल मवेशियों को चराते हुए दर्जनों बार निकला, लेकिन पुलिसकर्मी उसकी शिनाख्त नही कर सके थे। लालब्रत ने साथियों के साथ कभी भी किसी प्रकार की फोटों नही खिचवाया, वजह उसकी फोटो किसी के पास न चली जाय। लालब्रत की फोटो न होने की वजह से पुलिस डेढ़ दशक से उसे पकड़ने के लिए हवा में तीर चलाती रही।
संगठन कमजोर होना गिरफ्तारी का बना कारण
सोनभद्र। दर्जनों लोगों को मौत की नंीद सुलाने वाला नक्सली लालब्रत कोल के गिरफ्तारी का कारण संगठन का कमजोर होना है। लालब्रत ने बताया कि विगत एक वर्ष में यूपी और बिहार पुलिस ने दर्जन भर साथियों को मय असलहा के गिरफ्तार करके संगठन को कमजोर कर दिया है। मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल के गिरफ्तार होने के बाद यूपी का कोई भी सहयोगी न होने से अकेला हो गया था। इसी का फायदा पुलिस महकमे ने उठाते हुए गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। लालब्रत ने बताया कि उसकी तबीयत भी कुछ महीनों से खराब चल रही थी, जिससे वह पुलिस के चंगुल से भाग नही सका।
लालब्रत कोल चार दिन रिमांड पर
सोनभद्र। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने विवेचक के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए पुलिस को हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल को चार दिन रिमांड पर दे दिया। न्यायालय के आदेश पर बुधवार की शाम पुलिस ने मिर्जापुर जेल से लालब्रत कोल को रिमांड पर ले लिया। उधर सदर इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह चंदेल ने 30 मई को दुर्दांत नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और अभय कोल का रिमांड समाप्त होने पर दोनों ने को मिर्जापुर जेल में ले जाकर दाखिल करा दिया।
नक्सलियों से सफेदपोश लेते हैं सुविधा शुल्क
सोनभद्र। पुलिस प्रशासन ने हार्डकोर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल से चार दिनों तक संगठन के बारे में गहन पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो पूछताछ के दौरान नक्सलियों ने बताया कि कुछ सफेदपोश नक्सलियों के पकड़े जाने पर विरोध करने के लिए संगठन से सुविधा शुल्क लेते हैं। इतना ही नही संगठन की बैठक में शिरकत कर नक्सली घटनाओं को अंजाम देने के लिए रूपरेखा तैयार कराते हैं। नेताओं का संगठन हर स्तर से मदद करता है। इस बारे में पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे का कहना रहा कि मुन्ना और अजीत ने संगठन से धन लेकर पुलिस का विरोध करने वाले नेताओं का नाम बताया है। नक्सलियों द्वारा बताए गए सफेदपोश को बेनकाब करने की तैयारी की जा रही है।
संगठन का वसूल गरीबों की मदद करना
सोनभद्र। हार्डकोर नक्सली लालब्रत कोल ने बताया कि संगठन का वसूल गरीबों की मदद करना है। पूंजीपतियों के धन को लूट कर गरीबों में बांटना उद्ेश्य है। पुलिसकर्मी जो पीडि़तों की मदद करने के बजाय, प्रताडि़त करते है, उन्हें दंडित किया जाता है। जन चौपाल लगा कर ग्रामीणों के समस्याओं का निपटारा किया जाता है। पंचायत में हुए फैसले को नजरअंदाज करने वालों को बख्शा नही जाता। संगठन का वसूल पीडि़तों को न्याय दिलाना और दोषियों को सजा देना है।
पेड़ में बांधकर पुलिसकर्मियों का सिर कलम किया
सोनभद्र। पांच राज्यों की पुलिस को दर्जनों बार मात देने वाला वाला हार्डकोर नक्सली लालव्रत कोल ने पूर्व में नक्सलियों द्वारा की गई घटनाओं को बताया तो पुलिसकर्मी के पैर तले जमीन खिसक गई। पुलिस सूत्रों की मानें तो नक्सली ने बताया कि वर्ष 2009-12 में साथियों ने झारखंड और बिहार प्रांत में आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को पेड़ से बांध कर उनका सिर कलम कर दिया था। पुलिसकर्मियों के मरने के बाद से पुलिस प्रशासन संगठन को जड़ से समाप्त करने के में जुट गई है। हालांकि यूपी से नक्सली समाप्त हो गए, लेकिन बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का अभी साम्र्राज्य स्थापित है।