आसनडीह। बभनी वनक्षेत्र में तेंदु पत्ता तुड़ान शुरू होने के साथ ही विभाग द्वारा उपलब्ध सेवाओं की पोल खुल गई है। फड़ों पर पेयजल व्यवस्था, प्राथमिक उपचार आदि सुविधाएं कागजों तक सिमट कर रह गई हैं। ऐसे में तेंदु पत्ता तुड़ान में लगे श्रमिकोें को तरह-तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। श्रमिक पेट की आग बुझाने के लिए जी जान से मेहनत कर रहे हैं।
वन्य क्षेत्र में संचालित होने वाले फड़ों पर शासन द्वारा उपलब्ध सेवाओं का अभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। सीमावर्ती राज्य के गांव में तेंदु पत्ता का पारिश्रमिक अपेक्षाकृत अधिक होने से बिचौलियों की गिद्ध दृष्टि फड़ों पर जम गई है। फड़ इंचार्ज व बिचौलियों की मिलीभगत से श्रमिक अपना पारिश्रमिक पाने के लिए परेशान हैं, जिससे श्रमिकों में असंतोष व्याप्त है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तेंदु पत्ता का मूल्य जहां 110 रुपये बताया जा रहा है, वहीं यूपी में 40 से 50 रुपये प्रति सैकड़ा है। ऐसे में अधिकतर श्रमिकोें का रुझान छत्तीसगढ़ राज्य की ओर अधिक दिख रहा है। शेष श्रमिक तुड़ान कर इन फड़ों को कम दाम में बिक्री करने को विवश हैं। श्रमिकों के पलायन व बिचौलियों की सक्रियता के चलते विभाग को लक्ष्य हासिल करना फिलहाल मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में ग्रामीण श्रमिकों ने संबंधित विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बिचौलियों पर अंकुश लगाने की मांग की है।
आसनडीह। बभनी वनक्षेत्र में तेंदु पत्ता तुड़ान शुरू होने के साथ ही विभाग द्वारा उपलब्ध सेवाओं की पोल खुल गई है। फड़ों पर पेयजल व्यवस्था, प्राथमिक उपचार आदि सुविधाएं कागजों तक सिमट कर रह गई हैं। ऐसे में तेंदु पत्ता तुड़ान में लगे श्रमिकोें को तरह-तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। श्रमिक पेट की आग बुझाने के लिए जी जान से मेहनत कर रहे हैं।
वन्य क्षेत्र में संचालित होने वाले फड़ों पर शासन द्वारा उपलब्ध सेवाओं का अभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। सीमावर्ती राज्य के गांव में तेंदु पत्ता का पारिश्रमिक अपेक्षाकृत अधिक होने से बिचौलियों की गिद्ध दृष्टि फड़ों पर जम गई है। फड़ इंचार्ज व बिचौलियों की मिलीभगत से श्रमिक अपना पारिश्रमिक पाने के लिए परेशान हैं, जिससे श्रमिकों में असंतोष व्याप्त है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तेंदु पत्ता का मूल्य जहां 110 रुपये बताया जा रहा है, वहीं यूपी में 40 से 50 रुपये प्रति सैकड़ा है। ऐसे में अधिकतर श्रमिकोें का रुझान छत्तीसगढ़ राज्य की ओर अधिक दिख रहा है। शेष श्रमिक तुड़ान कर इन फड़ों को कम दाम में बिक्री करने को विवश हैं। श्रमिकों के पलायन व बिचौलियों की सक्रियता के चलते विभाग को लक्ष्य हासिल करना फिलहाल मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में ग्रामीण श्रमिकों ने संबंधित विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बिचौलियों पर अंकुश लगाने की मांग की है।