सोनभद्र। गेहूं की बंपर पैदावार के बावजूद विभागीय लापरवाही किसानों के लिए जी का जंजाल बन गई है। विभाग लक्ष्य घटाकर उसे पूरा करने की पूरी जुगत भिड़ा चुका है। यही कारण है कि अधिकांश केंद्रों पर खरीद बंद है। बोरे के अभाव में किसानों को लौटाया जा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी साठ प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने का दावा कर रहे हैं।
कहने को तो जिले में एक अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू हो गई। विभाग द्वारा पांच एजेंसियों के माध्यम से पचास केंद्र बनाकर गेहूं खरीद की घोषणा की। बंपर पैदावार को देखते हुए 26 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया। इससे किसानों को लगा कि इस बार उनकी मुसीबतें कम होंगी, लेकिन पहले तो जगह के अभाव में गेहूं खरीद प्रभावित हुई। गोदामों में धान और चावल होने की वजह से अधिकतर सचिवों ने हाथ खड़े कर दिए। बाद में किसी तरह खरीद शुरू हुई, तो बोरे के अभाव में गेहूं खरीद प्रभावित होने लगी। किसान लगातार आंदोलन करने लगे, लेकिन अधिकारियों पर केाई असर नहीं हुआ। उल्टे जनपद में खरीद का लक्ष्य घटा कर 20 हजार 608 मीट्रिक टन कर दिया गया। शुक्रवार तक जनपद में लक्ष्य के सापेक्ष 12 हजार 512 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी। 25 सौ 81 किसानों को गेहूं के बदले 878.40 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया है। विभागीय सूत्र बताते हैं यह लक्ष्य का साठ प्रतिशत है। यह लक्ष्य आसानी से हासिल हो जाएगा। वहीं किसानों का कहना है कि विभाग पूरी तरह बाजीगरी पर उतर आया है। किसानों को सात से आठ दिनों तक केंद्र पर खड़े रहने के बाद भी गेहूं नहीं खरीदा जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में बोरे का अभाव बता कर उन्हें वापस लौटा दिया जा रहा है।