अनपरा। अनपरा डी में पखवारे भर पहले हुए बवाल के बाद एसपी के नए फरमान ने श्रमिकों की नींद उड़ा दी है। स्थानीय पुलिस ने थानास्तर पर सत्यापन को रोक दिया है। ऐसे में रोजाना दर्जनों श्रमिक सत्यापन फार्म लेकर कंपनी और थाने का चक्कर लगा रहे हैं।
बता दें कि अनपरा तापीय परियोजना, लैंको पावर परियोजना सहित निर्माणाधीन अनपरा डी परियोजना में हजारों की तादाद में श्रमिक अलग-अलग एजेंसियों में कार्यरत हैं। इन सभी श्रमिकों का गेटपास पुलिस सत्यापन के बाद ही बनता है। अब तक यहां थाने से सत्यापन की परंपरा थी। इसमें श्रमिक व्यक्तिगत स्तर पर अथवा कंपनियां सामूहिक तौर पर पुलिस से सत्यापन कराती थीं। इसके बाद उनका गेटपास बनता था। किंतु अनपरा डी परियोजना में पखवारे भर पूर्व हुए बवाल के बाद एसपी ने कड़ा रुख अपनाते हुए मूल पते से सत्यापन का निर्देश दिया। लेकिन अनपरा पुलिस ने इस सत्यापन को रोक दिया।
पुलिस का कहना है कि अब श्रमिकों का सत्यापन पुलिस लाइन से होगा जहां उन्हें आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क जमा करना होगा। इससे इलाके के हजारों श्रमिक बेचैन हो गए हैं।
श्रमिकों का कहना है कि इस प्रक्रिया से उनका वक्त जाया होगा। वहीं पिछले सप्ताह अनपरा आए जनपद के एसपी सुभाष चंद्र दुबे ने पत्रकार वार्ता में कहा था कि श्रमिकों का सत्यापन निर्धारित प्रोफार्मा पर होगा। यह प्रोफार्मा पुलिस कंपनियों को मुहैया कराएगी जिसे वह भरकर थाने में जमा करेंगे। श्रमिक के सत्यापन की जिम्मेदारी ठेकेदारों अथवा कंपनियों की होगी। स्थानीय निवासियों का पुलिस सत्यापन स्थानीय स्तर पर किया जाएगा।
दूसरी ओर अनपरा डी परियोजना में कार्य करा रहीं संविदा एजेंसियों ने अपने-अपने कार्यालय पर पत्र चस्पा किया है जिसे लेकर मजदूरों में हैरानगी है।
कंपनियों के अनुसार 24 तक सभी श्रमिकों को अपना पुलिस सत्यापन कार्यालय में जमा करना होगा। इस बाबत कंपनियों ने कार्यालय के समक्ष पत्र चस्पा किए हैं। कई कंपनियों ने श्रमिकों को मौखिक तौर पर यह हिदायत दी है। उधर श्रमिकों का कहना है कि जब एसपी ने सत्यापन की जिम्मेदारी कंपनियों पर छोड़ दी है तो इसमें श्रमिकों को घसीटना न्यायसंगत नहीं है।