दुद्धी। वनों में रहकर जीवन यापन करने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाल कर वन विभाग और पुलिस विभाग पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वन और पुलिस विभाग का उत्पीड़न बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में विभाग की मंशा है कि आदिवासी जेल में रहे तो हम तैयार है। आदिवासी लोग जेल भरो आंदोलन चलाएंगे और देखेंगे कि कितने लोगों को विभाग के अधिकारी अंदर डालते हैं। कैमूर क्षेत्र किसान मजदूर महिला संघर्ष समिति/राष्ट्रीय वन जन श्रमजीवी मंच के बैनर तले आदिवासियों ने पैदल मार्च निकाला। आदिवासियों ने उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज बुलंद की। अंत में कोतवाली पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अधिकारी को सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से आदिवासियों ने बताया कि वनाश्रित समुदाय के लोग पूर्वजों के जमाने से वनों में रह कर जीवन यापन करते चले आ रहे हैं। इसके बाद भी वन व पुलिस विभाग उन्हें झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज देती है। या फिर परेशान करती है। ऐसे में हमें या तो जेल भेजा जाए या फिर झूठे मुकदमे वापस लिया जाए। जंगलों में या तो वन विभाग को रहने दिया जाय या तो आदिवासियों को। हमें वर्ष 2006 में वनाधिकार कानून के तहत मान्यता दी जा चुकी है। यदि कानून का अनुपालन करना संभव न हो तो हमें जेलों में डाल दिया जाए, क्योंकि अब हम झूठे व फर्जी मुकदमों में जमानत नहीं कराएंगे। जुलूस का नेतृत्व सुकालो और रामचंद्र ने किया। कोन संवाददाता के अनुसार स्थानीय थाना क्षेत्र के हर्रा ग्राम पंचायत अंतर्गत जंगलों में रहने वाले आदिवासियों ने कैमूर क्षेत्र मजदूर किसान महिला संघर्ष समिति के बैनर तले दस किलोमीटर तक पैदल मार्च किया। जुलूस की शक्ल में पैदल चलते हुए आदिवासी थाने पर पहुंचे तथा मांगों से संबंधित पुलिस अधीक्षक, जनपद न्यायाधीश और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसआई शिवाधार मौर्य को सौंपा।
दुद्धी। वनों में रहकर जीवन यापन करने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाल कर वन विभाग और पुलिस विभाग पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वन और पुलिस विभाग का उत्पीड़न बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में विभाग की मंशा है कि आदिवासी जेल में रहे तो हम तैयार है। आदिवासी लोग जेल भरो आंदोलन चलाएंगे और देखेंगे कि कितने लोगों को विभाग के अधिकारी अंदर डालते हैं। कैमूर क्षेत्र किसान मजदूर महिला संघर्ष समिति/राष्ट्रीय वन जन श्रमजीवी मंच के बैनर तले आदिवासियों ने पैदल मार्च निकाला। आदिवासियों ने उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज बुलंद की। अंत में कोतवाली पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अधिकारी को सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से आदिवासियों ने बताया कि वनाश्रित समुदाय के लोग पूर्वजों के जमाने से वनों में रह कर जीवन यापन करते चले आ रहे हैं। इसके बाद भी वन व पुलिस विभाग उन्हें झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज देती है। या फिर परेशान करती है। ऐसे में हमें या तो जेल भेजा जाए या फिर झूठे मुकदमे वापस लिया जाए। जंगलों में या तो वन विभाग को रहने दिया जाय या तो आदिवासियों को। हमें वर्ष 2006 में वनाधिकार कानून के तहत मान्यता दी जा चुकी है। यदि कानून का अनुपालन करना संभव न हो तो हमें जेलों में डाल दिया जाए, क्योंकि अब हम झूठे व फर्जी मुकदमों में जमानत नहीं कराएंगे। जुलूस का नेतृत्व सुकालो और रामचंद्र ने किया। कोन संवाददाता के अनुसार स्थानीय थाना क्षेत्र के हर्रा ग्राम पंचायत अंतर्गत जंगलों में रहने वाले आदिवासियों ने कैमूर क्षेत्र मजदूर किसान महिला संघर्ष समिति के बैनर तले दस किलोमीटर तक पैदल मार्च किया। जुलूस की शक्ल में पैदल चलते हुए आदिवासी थाने पर पहुंचे तथा मांगों से संबंधित पुलिस अधीक्षक, जनपद न्यायाधीश और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसआई शिवाधार मौर्य को सौंपा।