मधुपुर। स्थानीय कस्बा स्थित इलाहाबाद बैंक शाखा प्रबंधक एक ही नाम के चक्कर में फंस गए। गलती से उसने एक खाते का पैसा दूसरे के खाते में चढ़ा दिया। पैसा खाते में आते ही दूसरे पक्ष ने नब्बे हजार रुपये निकाल भी लिया। बैंक प्रबंधन एक सप्ताह के जद्दोजहद के बाद पैसा वापस करा पाया।
हुआ यूं कि नागनार हरैया गांव निवासिनी प्रभावती देवी पत्नी स्वर्गीय रामचंद्र का बचत खाता इलाहाबाद बैंक की शाखा में हैं। इसी गांव की रहने वाली प्रभावती देवी पत्नी रामचंद्र का वृद्धावस्था पेंशन खाता भी इसी शाखा में हैं। वृद्धा का पासबुक खोने पर उसने दस अप्रैल को नए पासबुक के लिए आवेदन किया। कर्मियों की लापरवाही से बचत खाता का पास बुक बनाकर इसे दे दिया गया। नए पासबुक में करीब एक लाख रुपये देख कर वृद्धा की आंखाें चौंधिया गई और उसने खाते से नब्बे हजार रुपये निकाल लिया। दूसरी तरफ जब खाते की असली हकदार एक सप्ताह पूर्व बैंक से पैसा निकालने गई तो पता चला कि उसके खाते में पैसा ही नहीं है। यह देख उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। प्रभावति अपने पुत्रों के साथ बैंक मैनेजर के पास जाकर शिकायत की तो उसने भी पैसे निकालने की बात कही। जब अत्यधिक दबाव बनाया गया तो उसने जांच कर एक सप्ताह के भीतर मामले का निस्तारण करने का आश्वासन दिया। इसके बाद जांच की गई तो वृद्धा द्वारा पैसे निकालने की बात सामने आयी और इसके बाद शुरू हुआ मान मनौव्वल कर दौर। एक सप्ताह के मान मनौव्वल के बाद वृद्धा से बृहस्पतिवार को नब्बे हजार रुपये वापस लिया गया तथा हकदार के खाते में डाला गया। इस तरह मामले का पटाक्षेप हुआ। इस संबंध में बैंक के शाखा प्रंबधक अरविंद कुमार ने बताया कि एक ही नाम होने से गलती हो गई। इसे सुधार लिया गया तथा मामले का पटाक्षेप हो गया है।
मधुपुर। स्थानीय कस्बा स्थित इलाहाबाद बैंक शाखा प्रबंधक एक ही नाम के चक्कर में फंस गए। गलती से उसने एक खाते का पैसा दूसरे के खाते में चढ़ा दिया। पैसा खाते में आते ही दूसरे पक्ष ने नब्बे हजार रुपये निकाल भी लिया। बैंक प्रबंधन एक सप्ताह के जद्दोजहद के बाद पैसा वापस करा पाया।
हुआ यूं कि नागनार हरैया गांव निवासिनी प्रभावती देवी पत्नी स्वर्गीय रामचंद्र का बचत खाता इलाहाबाद बैंक की शाखा में हैं। इसी गांव की रहने वाली प्रभावती देवी पत्नी रामचंद्र का वृद्धावस्था पेंशन खाता भी इसी शाखा में हैं। वृद्धा का पासबुक खोने पर उसने दस अप्रैल को नए पासबुक के लिए आवेदन किया। कर्मियों की लापरवाही से बचत खाता का पास बुक बनाकर इसे दे दिया गया। नए पासबुक में करीब एक लाख रुपये देख कर वृद्धा की आंखाें चौंधिया गई और उसने खाते से नब्बे हजार रुपये निकाल लिया। दूसरी तरफ जब खाते की असली हकदार एक सप्ताह पूर्व बैंक से पैसा निकालने गई तो पता चला कि उसके खाते में पैसा ही नहीं है। यह देख उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। प्रभावति अपने पुत्रों के साथ बैंक मैनेजर के पास जाकर शिकायत की तो उसने भी पैसे निकालने की बात कही। जब अत्यधिक दबाव बनाया गया तो उसने जांच कर एक सप्ताह के भीतर मामले का निस्तारण करने का आश्वासन दिया। इसके बाद जांच की गई तो वृद्धा द्वारा पैसे निकालने की बात सामने आयी और इसके बाद शुरू हुआ मान मनौव्वल कर दौर। एक सप्ताह के मान मनौव्वल के बाद वृद्धा से बृहस्पतिवार को नब्बे हजार रुपये वापस लिया गया तथा हकदार के खाते में डाला गया। इस तरह मामले का पटाक्षेप हुआ। इस संबंध में बैंक के शाखा प्रंबधक अरविंद कुमार ने बताया कि एक ही नाम होने से गलती हो गई। इसे सुधार लिया गया तथा मामले का पटाक्षेप हो गया है।