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सीतापुर। डफरिन में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के लिए अच्छी खबर है। हालत बिगड़ने पर लखनऊ रेफर करने के बजाय अस्पताल में ही सुरक्षित प्रसव कराया जाएगा। हाई रिस्क गर्भवतियों के लिए अलग से वार्ड बनाकर अनुभवी स्टाफ की तैनाती की जाएगी। एक महीने में ये सुविधाएं शुरू होने की उम्मीद है।
जिला महिला अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए तीमारदार प्रसूताओं को लेकर आते हैं, लेकिन अक्सर किसी वजह से प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान या फिर प्रसव के बाद महिला, नवजात तक की मौत हो जाती है। इसके बाद अस्पताल में हंगामे से लेकर प्रदर्शन तक होता है। अस्पताल प्रशासन पर पैसे लेने, इलाज में लापरवाही बरतने आदि संगीन आरोप लगते हैं, लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो अब ऐसा नहीं होगा।
न ही गर्भवतियों की जान जाएगी और न ही प्रदर्शन होगा। इसके लिए डफरिन में एचडीयू (हाई डिपेंडसी यूनिट) बनाने का प्रस्ताव अस्पताल ने शासन को भेजा था। प्रस्ताव पास हो गया है और बजट भी जारी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही हाई रिस्क (गंभीर हालत) वाली महिलाओं के लिए अलग से यूनिट बनाकर सुरक्षित प्रसव कराने की कवायद शुरू हो जाएगी। अस्पताल प्रशासन ने यूनिट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
दस लाख की पहली किश्त जारी
जिला महिला अस्पताल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने पास कर दिया है। कुछ दिन पूर्व ही दस लाख की धनराशि आवंटित कर दी गई है। बजट की पहली किश्त मिलने के बाद काम भी शुरू हो चुका है।
सुरक्षित प्रसव के लिए 16 लोगों का स्टाफ
गंभीर हालत में महिलाओं को लखनऊ न भेजकर अस्पताल में ही सुरक्षित प्रसव कराने के लिए अलग से अनुभवी डॉक्टर, स्टाफ की तैनाती की जाएगी। इसके लिए बाहर से स्टाफ मंगाया जाएगा, जो डिलीवरी कराकर जच्चा-बच्चा को बचा सके। जानकार बताते हैं कि इसमें महिला डॉक्टर से लेकर, स्टाफ नर्स, स्वीपर तक की तैनाती होगी। 16 लोगों का स्टाफ रहेगा।
हाईटेक मशीनों से लैस होगा अस्पताल
जानकार बताते हैं कि डफरिन में लखनऊ के केजीएमयू जैसी सुविधाएं गंभीर महिलाओं को मिलेंगी। इसके लिए यूनिट में हाईटेक मशीनें भी लगेंगी। इमरजेंसी में इन मशीनों का सहारा लिया जाएगा। एचडीयू (हाई डिपेंडसी यूनिट) में एक साथ आठ महिलाओं का इलाज किया जा सकेगा। कोशिश आठ से अधिक बेड वाले यूनिट की थी, लेकिन जगह के अभाव में ऐसा किया गया है।
अब इन दिक्कतों पर भी हो सकेगा इलाज
जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान गर्भवती को अगर झटके आते हैं, ब्लड प्रेशर कंट्रोल न होने पर, थायराइड, खून की कमी आदि दिक्कतें होने पर यहीं इलाज होगा। लखनऊ भागना नहीं पड़ेगा। अभी जिला महिला अस्पताल में प्रसव कराने के लिए आने वाली महिलाओं की हालत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ रेफर किया जाता है। सीतापुर से लखनऊ की दूरी करीब 90 किमी. है। दो घंटे से अधिक का वक्त अस्पताल तक पहुंचने मेें लगता है।
सीतापुर। डफरिन में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के लिए अच्छी खबर है। हालत बिगड़ने पर लखनऊ रेफर करने के बजाय अस्पताल में ही सुरक्षित प्रसव कराया जाएगा। हाई रिस्क गर्भवतियों के लिए अलग से वार्ड बनाकर अनुभवी स्टाफ की तैनाती की जाएगी। एक महीने में ये सुविधाएं शुरू होने की उम्मीद है।
जिला महिला अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए तीमारदार प्रसूताओं को लेकर आते हैं, लेकिन अक्सर किसी वजह से प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान या फिर प्रसव के बाद महिला, नवजात तक की मौत हो जाती है। इसके बाद अस्पताल में हंगामे से लेकर प्रदर्शन तक होता है। अस्पताल प्रशासन पर पैसे लेने, इलाज में लापरवाही बरतने आदि संगीन आरोप लगते हैं, लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो अब ऐसा नहीं होगा।
न ही गर्भवतियों की जान जाएगी और न ही प्रदर्शन होगा। इसके लिए डफरिन में एचडीयू (हाई डिपेंडसी यूनिट) बनाने का प्रस्ताव अस्पताल ने शासन को भेजा था। प्रस्ताव पास हो गया है और बजट भी जारी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही हाई रिस्क (गंभीर हालत) वाली महिलाओं के लिए अलग से यूनिट बनाकर सुरक्षित प्रसव कराने की कवायद शुरू हो जाएगी। अस्पताल प्रशासन ने यूनिट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
दस लाख की पहली किश्त जारी
जिला महिला अस्पताल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने पास कर दिया है। कुछ दिन पूर्व ही दस लाख की धनराशि आवंटित कर दी गई है। बजट की पहली किश्त मिलने के बाद काम भी शुरू हो चुका है।
सुरक्षित प्रसव के लिए 16 लोगों का स्टाफ
गंभीर हालत में महिलाओं को लखनऊ न भेजकर अस्पताल में ही सुरक्षित प्रसव कराने के लिए अलग से अनुभवी डॉक्टर, स्टाफ की तैनाती की जाएगी। इसके लिए बाहर से स्टाफ मंगाया जाएगा, जो डिलीवरी कराकर जच्चा-बच्चा को बचा सके। जानकार बताते हैं कि इसमें महिला डॉक्टर से लेकर, स्टाफ नर्स, स्वीपर तक की तैनाती होगी। 16 लोगों का स्टाफ रहेगा।
हाईटेक मशीनों से लैस होगा अस्पताल
जानकार बताते हैं कि डफरिन में लखनऊ के केजीएमयू जैसी सुविधाएं गंभीर महिलाओं को मिलेंगी। इसके लिए यूनिट में हाईटेक मशीनें भी लगेंगी। इमरजेंसी में इन मशीनों का सहारा लिया जाएगा। एचडीयू (हाई डिपेंडसी यूनिट) में एक साथ आठ महिलाओं का इलाज किया जा सकेगा। कोशिश आठ से अधिक बेड वाले यूनिट की थी, लेकिन जगह के अभाव में ऐसा किया गया है।
अब इन दिक्कतों पर भी हो सकेगा इलाज
जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान गर्भवती को अगर झटके आते हैं, ब्लड प्रेशर कंट्रोल न होने पर, थायराइड, खून की कमी आदि दिक्कतें होने पर यहीं इलाज होगा। लखनऊ भागना नहीं पड़ेगा। अभी जिला महिला अस्पताल में प्रसव कराने के लिए आने वाली महिलाओं की हालत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ रेफर किया जाता है। सीतापुर से लखनऊ की दूरी करीब 90 किमी. है। दो घंटे से अधिक का वक्त अस्पताल तक पहुंचने मेें लगता है।