रामकोट (सीतापुर)। पूरे देश में गन्ना सूचना प्रणाली का लोहा मनवा चुके सीतापुर का डंका अब सात समंदर पार भी बजेगा। इंडोनेशिया से आया दल यहां की गन्ना सूचना तकनीक से रूबरू हुआ। बुधवार देर शाम जवाहरपुर चीनी मिल में दल के सदस्यों ने इस प्रणाली की कई खूबियों पर परखा। गन्ना सूचना तकनीक को देख गदगद हुए इंडोनेशिया शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. ऑरिस तोहारिसमैन ने इस तकनीक को इंडोनेशिया में लागू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से पारदर्शिता आएगी। साथ ही चीनी का बेहतर उत्पादन भी होगा। दल में शामिल 56 सदस्यों में चीनी मिलों के इंजीनियर, कृषि वैज्ञानिक शामिल रहे। इंडोनेशिया शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. ऑरिस तोहारिसमैन ने बताया कि सीतापुर की चीनी मिलें एक कुंतल गन्ने की पेराई कर 9.5-10 किलोग्राम चीनी का उत्पादन कर रहीं हैं, जबकि इंडोनेशिया में ये आंकड़ा 7-7.5 किलोग्राम है। इसके अलावा वहां की चीनी मिलों की प्रतिदिन की पेराई क्षमता 20-25 हजार कुंतल है। वहीं सीतापुर की हरगांव चीनी मिल एक लाख और जवाहरपुर व रामगढ़ चीनी मिलें 75 हजार कुंतल गन्ने की प्रतिदिन पेराई करती हैं। इंडोनेशिया में चीनी मिलों और गन्ना किसानों के बीच कोई सामंजस्य न होने से किसानों को न उच्च क्वालिटी के बीज मिल पाते हैं, न ही वह गन्ने की समुचित बोआई ही कर पाते हैं। ऐसे में यह तकनीक संजीवनी साबित हो सकती है। डॉ. ऑरिस ने कहा कि इंडोनेशिया के मुकाबले यहां की तकनीक काफी बेहतर है। यहां का मशीनरी, हाउस कीपिंग, एनर्जी सेविंग, तकनीकी संसाधन, प्लांट ले-आउट, पावर जनरेशन सिस्टम शानदार है। इंडोनेशियाई टीम ने चीनी मिल अधिकारियों के साथ बैठक कर ‘केन डवलपमेंट’, गन्ना अनलोडिंग, पेराई और चीनी उत्पादन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की जानकारी भी प्राप्त की। टीम ने जवाहरपुर मिल का भ्रमण कर मिल हाउस, पावर प्लांट, डिस्टलरी, शुगर बैग पैकिंग, पावर प्लांट आदि को करीब से देखा। जिले में संचालित निजी क्षेत्र की सभी चारों चीनी मिलों की वेबसाइट भी देखी। इस मौके पर टीम ने जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह सेे गन्ना सूचना प्रणाली के बाबत चर्चा की। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के लागू होने के बाद चीनी मिल से मिलने वाली तमाम सुविधाओं के साथ ही गन्ना तौलाई में समय की बचत हुई है। साथ ही किसानों को मोबाइल पर एसएमएस के जरिए मुफ्त जानकारियां भी मिल रही हैं। किसानों को इंटरनेट के माध्यम से गन्ना कैलेंडर, पर्ची वितरण की स्थिति, गन्ना सर्वे, गन्ना तौल और भुगतान आदि की सूचनाएं घर बैठे मिल जाती हैं। इसके बाद टीम के सदस्यों ने एसएमएस भेजे जाने की प्रक्रिया की भी जानकारी ली। टीम में जॉन विजया, सुटोटो अरेयास्टो, अरी विबोवो, बिनार्डी सिनार्टो, सुगीजोनो, अंगुग नुग्रोहो, मिस गेरल्ली, सुबाजियो, मुलीयोनो बीन, डजास्री मार्कमाह आदि शामिल रहे।
रामकोट (सीतापुर)। पूरे देश में गन्ना सूचना प्रणाली का लोहा मनवा चुके सीतापुर का डंका अब सात समंदर पार भी बजेगा। इंडोनेशिया से आया दल यहां की गन्ना सूचना तकनीक से रूबरू हुआ। बुधवार देर शाम जवाहरपुर चीनी मिल में दल के सदस्यों ने इस प्रणाली की कई खूबियों पर परखा। गन्ना सूचना तकनीक को देख गदगद हुए इंडोनेशिया शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. ऑरिस तोहारिसमैन ने इस तकनीक को इंडोनेशिया में लागू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से पारदर्शिता आएगी। साथ ही चीनी का बेहतर उत्पादन भी होगा। दल में शामिल 56 सदस्यों में चीनी मिलों के इंजीनियर, कृषि वैज्ञानिक शामिल रहे।
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इंडोनेशिया शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. ऑरिस तोहारिसमैन ने बताया कि सीतापुर की चीनी मिलें एक कुंतल गन्ने की पेराई कर 9.5-10 किलोग्राम चीनी का उत्पादन कर रहीं हैं, जबकि इंडोनेशिया में ये आंकड़ा 7-7.5 किलोग्राम है। इसके अलावा वहां की चीनी मिलों की प्रतिदिन की पेराई क्षमता 20-25 हजार कुंतल है। वहीं सीतापुर की हरगांव चीनी मिल एक लाख और जवाहरपुर व रामगढ़ चीनी मिलें 75 हजार कुंतल गन्ने की प्रतिदिन पेराई करती हैं। इंडोनेशिया में चीनी मिलों और गन्ना किसानों के बीच कोई सामंजस्य न होने से किसानों को न उच्च क्वालिटी के बीज मिल पाते हैं, न ही वह गन्ने की समुचित बोआई ही कर पाते हैं। ऐसे में यह तकनीक संजीवनी साबित हो सकती है।
डॉ. ऑरिस ने कहा कि इंडोनेशिया के मुकाबले यहां की तकनीक काफी बेहतर है। यहां का मशीनरी, हाउस कीपिंग, एनर्जी सेविंग, तकनीकी संसाधन, प्लांट ले-आउट, पावर जनरेशन सिस्टम शानदार है। इंडोनेशियाई टीम ने चीनी मिल अधिकारियों के साथ बैठक कर ‘केन डवलपमेंट’, गन्ना अनलोडिंग, पेराई और चीनी उत्पादन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की जानकारी भी प्राप्त की। टीम ने जवाहरपुर मिल का भ्रमण कर मिल हाउस, पावर प्लांट, डिस्टलरी, शुगर बैग पैकिंग, पावर प्लांट आदि को करीब से देखा। जिले में संचालित निजी क्षेत्र की सभी चारों चीनी मिलों की वेबसाइट भी देखी। इस मौके पर टीम ने जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह सेे गन्ना सूचना प्रणाली के बाबत चर्चा की। जिला गन्नाधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि इस सिस्टम के लागू होने के बाद चीनी मिल से मिलने वाली तमाम सुविधाओं के साथ ही गन्ना तौलाई में समय की बचत हुई है। साथ ही किसानों को मोबाइल पर एसएमएस के जरिए मुफ्त जानकारियां भी मिल रही हैं। किसानों को इंटरनेट के माध्यम से गन्ना कैलेंडर, पर्ची वितरण की स्थिति, गन्ना सर्वे, गन्ना तौल और भुगतान आदि की सूचनाएं घर बैठे मिल जाती हैं। इसके बाद टीम के सदस्यों ने एसएमएस भेजे जाने की प्रक्रिया की भी जानकारी ली। टीम में जॉन विजया, सुटोटो अरेयास्टो, अरी विबोवो, बिनार्डी सिनार्टो, सुगीजोनो, अंगुग नुग्रोहो, मिस गेरल्ली, सुबाजियो, मुलीयोनो बीन, डजास्री मार्कमाह आदि शामिल रहे।
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