इकौना (श्रावस्ती)। इकौना तहसील अधिवक्ता संघ की स्थापना के 21 वर्ष बीत चुके हैं। इस अवसर पर रविवार रात संघ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान देश के कई हिस्सों से आए कवियों ने अपनी रचना पढ़ कर खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम की शुरुआत श्रावस्ती विधायक रामफेरन पांडे व भाजपा जिलाध्यक्ष शंकर दयाल पांडे ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
कवि सम्मेलन को लखनऊ की कवयित्री व्याख्या मिश्रा ने सरस्वती वंदना से गति दिया। युवा कवि सृजन शुक्ला ने वीर रस की अपनी रचना पढ़ते हुए कहा कि भारत माता के लिए सदा जिसके दरवाजे बंद रहे, जिम्मेदारी के तख्तों पर गद्दार बिठाए जाते हैं। अशोक टाटंबरी ने कविता पढी- इंसानियत नहीं है तो इंसान बुरा है, डिग जाए जरा सा भी तो ईमान बुरा है। पनपा है भेदभाव सियासत की खाद से, हिन्दू न बुरा है न मुसलमान बुरा है।
बाराबंकी के हास्य कवि विकास बौखल ने अपनी कविता हिन्द वाले शेर पर जाके जो दहाड़ देंगे, गीदड़ तुम्हारे बेचारे सब मर जाएंगे। एंटी रोमियो का दल भेज देंगे बाबा तो, सानिया के देवर कुंवारे मर जाएंगे। फतेहपुर के युवा कवि नवीन शुक्ल नवीन ने पढ़ा- सौ मुखौटे बांध कर हर ओर से हर पल चला, फिर कहो कैसे कहूं मैं आदमी कितना बुरा।
व्याख्या मिश्रा ने अपनी कविता पढ़ी - पूरी तस्वीर मुहब्बत की बनाऊं कैसे, कर्ज अश्कों से जमाने का चुकाऊं कैसे। सीतापुर की हेमा पांडे ने प्रेम के पथ पर मै चलूं तुम चलो, मैं ढलूं तुम में और तुम भी मुझमें ढलो। मध्य प्रदेश की हेमा जैन ने आंखों से छवि दिल से ऐसे उतर गई, दिल जब से मैंने अपना वृन्दावन बना लिया।
इसी प्रकार मधुप श्रीवास्तव, हेमन्त मिश्र, हरदोई के अजीत शुक्ला व इकौना के हसमत खा ने हास्य, करुण, वीर रस तथा साहित्यिक कविताओं से पूरी रात श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर तहसीलदार शिवध्यान पांडे, नायब तहसीलदार मुकेश शर्मा, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष दिलीप शर्मा, महामंत्री श्रीधर द्विवेदी, एके सिंह, बुद्धिसागर मिश्रा, उदयराज तिवारी, रामकुमार शुक्ला, पाटेश्वरी प्रसाद मिश्रा मौजूद रहे।