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तिलहर में भूमि अधिग्रहण का काम 50 फीसदी पूरा
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तिलहर। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल मेरठ-वाराणसी गंगा एक्सप्रेसवे की तेजी से चल रही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का कार्य 50 प्रतिशत तक पूरा कर लिया है। तहसील क्षेत्र के चयनित आठ गांवों के 872 बैनामे किए जा चुके हैं। जून माह तक भूमि चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के साथ ही एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
तहसील स्तर पर भूमि चयन प्रक्रिया का कार्यभार संभाल रहीं तहसीलदार तृप्ति गुप्ता ने बताया कि गंगा एक्सप्रेस वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा। उन्होंने बताया कि तिलहर तहसील के आठ गांवों का 104 हेक्टेयर रकबा शामिल है। इसमें 54.838 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। शाहजहांपुर के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए पहले 25 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन अभी बाद में 150 करोड़ रुपये और स्वीकृत किए जा चुके हैं।
भूमि का चार गुना सर्किल रेट तय हो जाने के बाद तिलहर उप निबंधक कार्यालय में बैनामे कराए जा रहे हैं। यह एक्सप्रेसवे जनपद शाहजहांपुर की तहसील तिलहर, जलालाबाद और सदर के 41 गांवों से होकर गुजरेगा। एक्सप्रेसवे की दूरी पहले 594 किलोमीटर तय थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे हरिद्वार से वाराणसी तक बनाने का प्रस्ताव कर दिया है, जिसको लेकर अब इसकी दूरी 745 किलोमीटर होगी। इसके निर्माण की लागत 36,402 करोड़ रुपये तय की गई है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सुपरवीजन में गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण प्रस्तावित है।
तहसीलदार ने बताया कि इस एक्सप्रेसवे में हरिद्वार से मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, प्रयागराज होकर वाराणसी पड़ेंगे। तिलहर तहसील में गांव घसा कल्याणपुर, रामपुर खादर, खेड़ाघसा उर्फ पृथ्वीपुर, रपाड़िया, खारम घसा, मथुरा, खमरिया और खिरिया रतन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि तिलहर तहसील के इन आठ गांवों के करीब 1200 से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। अप्रैल माह के अंत तक 75 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करना है, वहीं जून माह तक भूमि चयन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके बाद शासन स्तर से एक्सप्रेसवे निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तिलहर। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल मेरठ-वाराणसी गंगा एक्सप्रेसवे की तेजी से चल रही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का कार्य 50 प्रतिशत तक पूरा कर लिया है। तहसील क्षेत्र के चयनित आठ गांवों के 872 बैनामे किए जा चुके हैं। जून माह तक भूमि चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के साथ ही एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
तहसील स्तर पर भूमि चयन प्रक्रिया का कार्यभार संभाल रहीं तहसीलदार तृप्ति गुप्ता ने बताया कि गंगा एक्सप्रेस वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा। उन्होंने बताया कि तिलहर तहसील के आठ गांवों का 104 हेक्टेयर रकबा शामिल है। इसमें 54.838 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। शाहजहांपुर के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए पहले 25 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन अभी बाद में 150 करोड़ रुपये और स्वीकृत किए जा चुके हैं।
भूमि का चार गुना सर्किल रेट तय हो जाने के बाद तिलहर उप निबंधक कार्यालय में बैनामे कराए जा रहे हैं। यह एक्सप्रेसवे जनपद शाहजहांपुर की तहसील तिलहर, जलालाबाद और सदर के 41 गांवों से होकर गुजरेगा। एक्सप्रेसवे की दूरी पहले 594 किलोमीटर तय थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे हरिद्वार से वाराणसी तक बनाने का प्रस्ताव कर दिया है, जिसको लेकर अब इसकी दूरी 745 किलोमीटर होगी। इसके निर्माण की लागत 36,402 करोड़ रुपये तय की गई है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सुपरवीजन में गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण प्रस्तावित है।
तहसीलदार ने बताया कि इस एक्सप्रेसवे में हरिद्वार से मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, प्रयागराज होकर वाराणसी पड़ेंगे। तिलहर तहसील में गांव घसा कल्याणपुर, रामपुर खादर, खेड़ाघसा उर्फ पृथ्वीपुर, रपाड़िया, खारम घसा, मथुरा, खमरिया और खिरिया रतन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि तिलहर तहसील के इन आठ गांवों के करीब 1200 से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। अप्रैल माह के अंत तक 75 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करना है, वहीं जून माह तक भूमि चयन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके बाद शासन स्तर से एक्सप्रेसवे निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।