शाहजहांपुर। भले ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दवाओं की कमी न होने का दावा कर रहे हो, लेकिन तस्वीर काफी धुंधली है। मेडिकल कॉरपोरेशन से पीएचसी-सीएचसी पर औषधि की सप्लाई होती है, लेकिन वह राजकीय मेडिकल कॉलेज को मांग के अनुरूप दवा की आपूर्ति नहीं कर पा रहा। ऐसी स्थिति में राजकीय मेडिकल कॉलेज को गैर वेतन बजट से जैम पोर्टल या अन्य इंस्टीट्यूट से दवा खरीदनी पड़ रही है।
स्वास्थ्य विभाग से संचालित 39 पीएचसी और 16 सीएचसी पर कॉर्पोरेशन से दवा की आपूर्ति की जाती है। इन केंद्रों पर 270 तरह की दवाएं विभिन्न मर्ज के लिए उपयोग होती हैं। स्टोर प्रभारी डॉ. पीके वर्मा के अनुसार, स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटीबायोटिक समेत अलग-अलग मर्ज की दवाएं उपलब्ध हैं। जो दवाएं नहीं होती हैं, उसकी ऑनलाइन डिमांड के बाद पूर्ति कर दी जाती है। जबकि राजकीय मेडिकल कॉलेज में मेडिकल कॉरपोरेशन से दवाओं की आपूर्ति की स्थिति काफी दयनीय है। यहां पर मरीजों की संख्या के अनुपात में डिमांड की गई दवा की आपूर्ति नाम मात्र की हो रही है। विभिन्न मर्ज की दवाएं नहीं मिलने के कारण मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को व्यवस्था बेहतर बनाए रखने के लिए गैर वेतन बजट से दवाओं की खरीद करना पड़ रही है। यह सिलसिला पिछले छह महीने से संचालित हो रहा है।
ये दवाएं खरीद रहा मेडिकल कॉलेज
राजकीय मेडिकल कॉलेज का औषधि भंडार बजट से खरीदे गए दवाओं से भरा है। अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के कई जिलों में टिटनेस का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। उनके यहां टिटबैक का इंजेक्शन है। एंटी एलर्जी टेबलेट, गैस का कैप्सूल ओमीप्राजोल आदि खरीदा गया। इसके अलावा पेट का दर्द, डायलिसिस के मरीजों के लिए इंजेक्शन, शुगर की टेबलेट आदि को खरीदना पड़ रहा है।
चार से पांच करोड़ रुपये दवा पर हो रहा खर्च
मेडिकल कॉरपोरेशन और अपने स्तर से खरीदे दवा के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हर साल करीब चार से पांच करोड़ रुपये खर्च करना पड़ रहा है। इसमें आधे से अधिक रुपया निजी स्तर पर खरीदी दवाओं के लिए चुकाना पड़ रहा है।
वर्जन
दवाओं की आपूर्ति कारपोरेशन से नहीं होने पर जैम पोर्टल या अन्य इंस्टीट्यूट से खरीद की जाती है। दवाओं की कमी न हो, इसके लिए पूरा प्रयास किया जाता है। डॉ. राजेश कुमार, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज।
सीएचसी और पीएचसी पर पर्याप्त दवाएं हैं। जिन दवाओं की कमी होती है, वे तुरंत ही उपलब्ध करा दी जाती है। - डॉ. आरके गौतम, सीएमओ