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शहर की शान: राजस्थान से आकर मोदी परिवार ने संघर्ष के बूते जमाया कारोबार
बरेली ब्यूरो
Updated Sun, 28 Nov 2021 01:24 AM IST
कारोबारी रामस्वरूप मोदी के दोनों बेटों का परिवार (फाइल फोटो)। संवाद
- फोटो : SHAHJAHANPUR
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शाहजहांपुर। छह दशक पहले कारोबारी जिंदगी शुरू करने के लिए दो बेटों के साथ राजस्थान के दौसा शहर से यहां आए लाला अनंतराम मोदी और उनकी पीढ़ियों की संघर्ष गाथा समाज के उन सभी लोगों के लिए अनुकरणीय हो सकती है जो कारोबार से जुड़े हैं या इस क्षेत्र में जाना चाहते हैं। मोदी परिवार ने कारोबारी शुरुआत गल्ला की मामूली आढ़त से की। आढ़त की देखरेख सगे उनके बेटे राम स्वरूप मोदी और नंद किशोर मोदी ने मिलकर की।
समय के साथ मोदी परिवार ने न सिर्फ अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखते हुए कारोबार और उद्योग बदले, सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाकर लोगों की विश्वसनीयता भी हासिल की। वर्तमान में दोनों भाइयों के पांचों बेटे रियल एस्टेट, राइस मिल, दाल मिल, स्टील पाइप, टायर रिट्रीडिंग, फर्निश ऑयल के निर्माण आदि धंधों को परवान चढ़ा रहे हैं। कारोबार के इरादे से अनंत राम 1960 के दशक की शुरुआत में पत्नी और दोनों बेटों राम स्वरूप व नंद किशोर को साथ लेकर आए थे।
उन्होंने कुछ समय तक शहर की एक फर्म में काम देखा और बाद में बाद में अपनी गल्ला आढ़त खोली। उसी आढ़त से गुड़ और शक्कर की खरीद-फरोख्त का काम बढ़ाया। उन्हें कई कारोबारी उतार-चढ़ाव देखने पड़े और पूंजी के संकट का सामना करना पड़ा, लेकिन काम के प्रति समर्पण भाव के कारण बुरा वक्त बीतने लगा। सन् 1967 दोनों भाइयों ने राइस मिल खोली और 1971 में ऑयल मिल चालू की।
मोदी परिवार ने वक्त की मांग के अनुरूप कारोबार बदले। चूड़ा मिल खोली, लेकिन कालांतर में तेल मिल और चूड़ा मिल बंद कर अन्य धंधे अपनाए। छाया कुआं-बिसरात मार्ग पर जहां तेल मिल थी, वहां आज मोदी कॉलोनी की बसावट है। दोनों भाई धर्म, अध्यात्म और समाज सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभाते रहे। रामस्वरूप के बड़े बेटे हरगोविंद मोदी बताते हैं कि दौसा में उनके परिवार का राधा गोविंद मंदिर है, जहां पिता हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, अन्नकूट और शरद पूर्णिमा के अवसर पर जाकर धार्मिक क्रियाकलापों के साथ समाज के जरूरतमंदों की सहायता को भी तत्पर रहते थे। इन गतिविधियों मेें उनकी पत्नी कमला प्रेरक की भूमिका निभाती रहीं।
हरगोविंद के अनुसार वर्ष 1988 में मां कमला देवी वर्ष 2001 पिता राम स्वरूप गोलोकवासी हो गए, लेकिन उनकी सामाजिक सरोकार से जुड़ी परंपरा का वह अपने छोटे भाई राधे गोविंद के साथ पूरी निष्ठा से निर्वाह कर रहे हैं। हरगोविंद और राधे गोविंद के बच्चे भी अपने परिवार से यही संस्कार प्राप्त कर रहे हैं। उधर, रामस्वरूप के भाई नंद किशोर के तीनों बेटों का परिवार भी उद्योग-धंधों की देखभाल करने के साथ खुद को विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से सामाजिक गतिविधियों से जोड़े हुए है।
नंद किशोर रामजन्म भूमि आंदोलन में जेल गए और शहर में रामलीला की शुरुआत में भी उनकी अहम भूमिका रही। नंद किशोर मोदी का हाल ही में निधन हो गया, लेकिन उनके सामाजिक कार्यों को उनके बेटे आगे बढ़ा रहे हैं। बड़े बेटे रमाकांत मोदी यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन के नाते प्रदेश के चावल निर्माताओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
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मंझले बेटे सुरेंद्र मोहन पूरी तरह कारोबार को समर्पित हैं, लेकिन उनके छोटे बेटे मुकेश मोदी उद्योग व्यापार मंडल मिश्रा गुट के युवा प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री की अहम जिम्मेदारी संभालने के साथ कर्मयज्ञ, माई हॉफ ट्री, आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े होने के नाते पूरे वर्ष कभी नेत्र चिकित्सा शिविर, कभी नाड़ी जांच शिविर तो कभी पौधरोपण में व्यस्त रहते हैं।
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