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चचेरी-तहेरी बहनें थीं दोनों किशोरियां
- राजस्व निरीक्षक ने जांच पड़ताल कर हादसे की रिपोर्ट तहसीलदार को सौंपी
अमर उजाला ब्यूरो
जलालाबाद। जानवर चराने र्गइं दो बहनों की गांव के बाहर पानी भरे गहरे गड्ढे में डूबने से मौत हो गई। हादसे से गांव में कोहराम मच गया। राजस्व निरीक्षक ने मौके पर जांच पड़ताल कर हादसे की रिपोर्ट तहसीलदार को दी है।
हादसा गांव बघापुर में बुधवार की दोपहर के समय हुआ। गांव के राजेश की 15 वर्षीय पुत्री रूबी और उसके चचेरे भाई हरीराम की 14 वर्षीय पुत्री ममता सुबह दस बजे के आसपास अपनी-अपनी भैंस लेकर उन्हें चराने खेतों की ओर निकल गईं। गांव के बाहर खेतों में भैंस चर रही थीं। बताते हैं कि अपरान्ह एक बजे भैंसें पास में ही पानी भरे तालाब में घुस गईं, तब किशोरी ममता ने उन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया। इसी बीच पैर फिसल जाने से वह गड्ढे में गिर गई और डूबने लगी। यह देखकर पास में ही मौजूद रूबी ने उसे बचाने की कोशिश की और वह भी उसमें डूब गई।
गांव वालों के प्रयास से दोनों बच्चियों को बाहर निकाला गया, परंतु तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं। गांव वालों के अनुसार मौके पर लोगों द्वारा मिट्टी निकाले जाने से बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे। बरसात में उनमें पानी भर गया था। शायद इस बात का उन बच्चियों को अनुमान नहीं था और यह हादसा हो गया। हादसे के बाद से गांव में कोहराम मचा हुआ है।
बच्चे न बचा पाने का
बाबूराम को है मलाल
- आंखों के सामने डूब गईं पोतियां, नहीं दिया बूढ़े शरीर ने साथ
अमर उजाला ब्यूरो
जलालाबाद। बच्चियों के साथ हुए हादसे का मंजर सामने आते ही हरीराम के पिता बाबूराम की आंखों से आंसुओं की धार फूट पड़ती है। विडंबना देखिए कि उनकी आंखों के सामने ही डूब रही रूबी स्वयं को बचाने के लिए चिल्लाती रही, परंतु उनके कमजोर शरीर ने चाहने के बाद भी उनका साथ नहीं दिया, जिसका मलाल शायद उन्हें जिंदगी भर सिसकने को मजबूर करता रहेगा।
बुधवार को गांव बघापुर में हुए हादसे में दो किशोरियों रूबी एवं ममता की पानी भरे गड्ढे में डूबने से मौत हो गई। बकौल बाबूराम, हादसे के वक्त वह जलालाबाद दवा लेने जा रहा था। जब वह पास वाले खड़ंजे से गुजर रहा था तब उसी दौरान पानी के गड्ढे से बचाओ-बचाओ की आवाज सुनकर वह थोड़ा रुके। इधर-उधर निगाह दौड़ाई तो देखा कि आवाज उनकी मासूम पोती रूबी की थी। अचानक इस मंजर को देखकर उसका पूरा शरीर कांपने लगा।
बताया कि वह पूरी ताकत लगाकर उस तरफ भागे, परंतु तब तक रूबी और गहराई में जा चुकी थी और ऊपर केवल उसके हाथ दिखाई दे रहे थे। बूढ़ा शरीर साथ छोड़ गया और काफी चाहने के बाद भी वह कुछ नहीं कर सके। हादसे के बाद उस दर्दनाक मंजर की याद करके बाबूराम की बूढ़ी आंखों से आंसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
प्रशासन की नजर में
दैवीय आपदा नहीं
हादसे में मरी दोनों बच्चियों के घरवालों को अहेतुक सहायता राशि उपलब्ध कराए जाने की मांग पालिका चेयरमैन संजय पाठक और गांव के प्रधान मो. इलियास ने प्रशासन से की है। उधर, इस संबंध में पूछे जाने पर एसडीएम भरतलाल सरोज ने बताया कि यह हादसा दैवीय आपदा की श्रेणी में न आने से मृतकों के घरवालों को सहायता राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकती।