निगोही(शाहजहांपुर)। गांव में ढकिया तिवारी स्थित हनुमान गढ़ी पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में दिवाकरलाल शास्त्री ने कंस वध और वासुदेव एवं देवकी को कारागार मुक्त, उग्रसेन को पुन: राज सिंहासन पर बैठाने की कथा सुनाई।
कथा में शास्त्री जी ने कहा कि कंस राज दरबार में अक्ररूर को बुलाकर श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा लाने का निर्देश देता है। अक्ररूर अपने साथ श्रीकृष्ण और बलराम जी को मथुरा लेकर आता है। कुवल्या पीठ नामक हाथी श्रीकृष्ण को मारने के लिए उन पर हमला करता है। श्रीकृष्ण हाथी को मार देते हैं। कंस के इशारे पर काम, क्रोध रूपी पहलवान मुष्टिक, चारूण एक साथ मिलकर जान से मारने की नीयत से आक्रामक होते ही श्रीकृष्ण-बलराम जी इन पहलवानों को मौत के घाट उतार देते हैं। कंस जैसे ही श्रीकृष्ण को मारने के लिए झपटता है तो वह उसे जमीन पर पटक कर उसका वध कर देते हैं। कंस के मरते ही मथुरावासी खुशी से झूम उठते हैं। श्रीकृष्ण जी वासुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त करके उग्रसेन को पुन: राजगद्दी पर विराजमान कराते हैं। कथा के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
निगोही(शाहजहांपुर)। गांव में ढकिया तिवारी स्थित हनुमान गढ़ी पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में दिवाकरलाल शास्त्री ने कंस वध और वासुदेव एवं देवकी को कारागार मुक्त, उग्रसेन को पुन: राज सिंहासन पर बैठाने की कथा सुनाई।
कथा में शास्त्री जी ने कहा कि कंस राज दरबार में अक्ररूर को बुलाकर श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा लाने का निर्देश देता है। अक्ररूर अपने साथ श्रीकृष्ण और बलराम जी को मथुरा लेकर आता है। कुवल्या पीठ नामक हाथी श्रीकृष्ण को मारने के लिए उन पर हमला करता है। श्रीकृष्ण हाथी को मार देते हैं। कंस के इशारे पर काम, क्रोध रूपी पहलवान मुष्टिक, चारूण एक साथ मिलकर जान से मारने की नीयत से आक्रामक होते ही श्रीकृष्ण-बलराम जी इन पहलवानों को मौत के घाट उतार देते हैं। कंस जैसे ही श्रीकृष्ण को मारने के लिए झपटता है तो वह उसे जमीन पर पटक कर उसका वध कर देते हैं। कंस के मरते ही मथुरावासी खुशी से झूम उठते हैं। श्रीकृष्ण जी वासुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त करके उग्रसेन को पुन: राजगद्दी पर विराजमान कराते हैं। कथा के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।