आनंदपुरम् कॉलोनी आधी जगमगाती है, तो आधे में रहता है अंधेरा
- शहर की कई कॉलोनियां और मोहल्ले टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग फीडरों-उपकेंद्रों से जुड़े होने के कारण हो रहा है ऐसा
अनूप वाजपेयी
शाहजहांपुर। असमान बिजली सप्लाई के लिहाज से ‘कहीं धूप कहीं छांव’ का नजारा लेना हो तो बतौर बानगी सिर्फ एक ही मोहल्ला या कॉलोनी पर निगाह डालना काफी होगा। शहर में ऐसी कई कॉलोनियां और मोहल्ले हैं, जिन्हें टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग पॉवर सब स्टेशनों और फीडरों से जोड़ रखा गया है। नतीजा यह होता है कि सप्लाई के घंटों में एक हिस्सा जगमगाता है तो दूसरा अंधेरे में डूबा रहता है।
करीब तीन सौ मकानों वाली आनंदपुरम् कॉलोनी के लोग पिछले कई साल से असमान बिजली वितरण की त्रासदी भोग रहे हैं। कॉलोनी का पश्चिमी हिस्सा ककरा सब स्टेशन से रोशन होता है, जबकि पूर्वी छोर पर बने मकानों के कनेक्शन अब्दुल्लागंज उपकेंद्र से जुड़े हैं। ककरा उपकेंद्र अक्सर फाल्ट के शिकंजे में रहने के कारण उससे जुड़े कॉलोनी के हिस्से में बिजली गुल रहती है। हाल ही में इसी समस्या के घेरे में शहर की पॉश कॉलोनी बृज विहार भी आ गई है।
बृज विहार कॉलोनी में रह रहे नेहरू युवा केंद्र के लेखाकार संजीव मिश्रा के अनुसार: कॉलोनी में लगभग दो सौ मकान हैं और एक साल पहले तक सभी घरों को बहादुरगंज सब स्टेशन से बिजली मिलती थी, लेकिन बाद में बिसरात रोड के पूर्वी हिस्से के मकानों को हथौड़ा सब स्टेशन से यह तर्क देकर संबद्घ कर दिया दिया कि बहादुरगंज के फीडर पर कालोनी का लोड बढ़ रहा है। हथौड़ा में आए दिन फाल्ट होने से बृज विहार के तमाम घरों में बिजली संकट रहता है, जबकि बाकी घरों को बहादुरगंज फीडर से सप्लाई जारी रहती है। इन कॉलोनियों जैसी व्यथा का सामना शहर के मोहल्ला सिंजई, बिजलीपुरा, हद्दफ, कटियाटोला आदि के बिजली उपभोक्ता भी कर रहे हैं, क्योंकि इन सभी इलाकों में दोहरे फीडर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
ट्रांसफार्मरों को ट्रिप होने से बचाना मंशा
‘समय बीतने के साथ कॉलोनियों में आबादी बढ़ने से जैसे-जैसे नए मकान बनते जा रहे हैं, वहां बिजली के भार मेें भी बढ़ोत्तरी हो रही है। इस कारण संबंधित इलाकों की लाइनों और ट्रांसफार्मरों को ट्रिप होने से बचाने के लिए उन्हें अलग-अलग फीडरों से सप्लाई देने की व्यवस्था की गई है। फाल्ट होना संयोग की बात है और नेटवर्क में बदलाव के पीछे एकमात्र मंशा यही है कि लोगों को बेहतर बिजली मिल सके।’
-प्रदीप सोनकर, उपखंड अभियंता (शहर), पॉवर कारपोरेशन