सरकारी सेवाओं से रिटायर हुए बुजुर्गों का नजरिया
शाहजहांपुर। जीवन बहुआयामी है। इसके विविध पहलू हैं। एक पहलू सरकारी नौकरपेशा लोगों का भी है। लंबी सेवा के बाद एक निश्चित आयु में रिटायर कर दिया जाता है। इसके बाद फिर एक नए जीवन की शुरुआत होती है। निश्चित ही इस मोड़ पर कई सवाल सामने होते हैं। मसलन खालीपन कैसे कटेगा? इसीलिए रिटायर्ड लोगों की एक कम्पनी बन जाती है। ऐसे चार रिटायर्ड लोगों से बात की गई। सबका मानना यही है कि तनावमुक्त रहने के लिए एक दिनचर्या जरूर तय कर लेनी चाहिए।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त हुए अधिकारी ज्ञानेश चंद्र मिश्रा 64 के हो रहे हैं। एक दम चुस्त और दुरुस्त हैं। उनकी एक निश्चित दिनचर्या है। बोले-दीर्घ जीवन के लिए योगा और व्यायाम को बहुत जरूरी है। सो नियमित करते भी हैं। समाजसेवी हैं। विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं। साथियों के बीच चुटकी लेना उनकी आदत में शुमार है।
नगर शिक्षा अधिकारी के पद से रिटायर हुए ओम नारायण सक्सेना 77 के हो रहे हैं। कई जिलों में रहे। तब और अब की नौकरी में बहुत फर्क बताते हैं। बोले-मैं खुद को कभी रिटायर महसूस नहीं करता। पैदल ही सब जगह घूमता हूं। दिनचर्या पूरी तरह सही रखता हूं।
रक्षा मंत्रालय के क्वालिटी एश्योरेंस ऑफिस में सहायक पद से सेवानिवृत हुए नरेंद्र कुमार 69 के हो रहे हैं। रिटायरमेंट के लिए मानसिक रूप से पहले से तैयार थे। पांच-छह किलोमीटर शाम को टहलने जरूर निकलते हैं। पूर्णत: स्वस्थ हैं। क्योंकि दिनचर्या सही है।
जूनियर हाई स्कूल सरही के प्रधानाध्यापक पद से रिटायर ओमप्रकाश मिश्रा 73 के हो रहे हैं। बोले-रिटायर होने से पहले एक बात जरूर दिमाग में आती थी कि बुढ़ापे में क्या करेंगे। अकेले रहते हैं। बेटा गुजरात में है। खाना बनाने वाली खाना बना जाती है। रिटायर्ड साथियों के बीच बैठकर सुख और दुख बांट लेते हैं।