0 दुपहर से शाम तक लगातार पांच घंटे गुल रही शहर की बत्ती
0 दफ्तरों का रुटीन वर्क प्रभावित, घरों में हुआ पानी का संकट
शाहजहांपुर। तमाम संगठनों और राजनीतिक दलों के विरोध प्रदर्शनों के बावजूद बिजली कटौती थमने के बजाय उसका दायरा बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को दुपहर से शाम तक करीब पांच घंटे तक शहर की बत्ती गुल रहने से समाज के सभी वर्गों का हाल बेहाल हो गया। दफ्तरों का रुटीन वर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ और घरों में पानी का संकट हुआ सो अलग।
पिछले एक माह से अधिक समय से शहर केलोग बिजली के संकट को नियति मानकर भोग रहे हैं, लेकिन मंगलवार दिन में हुई कटौती ने पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। पॉवर कारपोरेशन के सिस्टम कंट्रोल ने गत माह शहरी क्षेत्र के लिए दो चरणों में छह घंटे का रोस्टरिंग शेड्यूल जारी किया था। इसके तहत सुबह तीन से पांच और अपराह्न तीन से शाम सात बजे तक आपात कटौती करने की घोषणा की गई।
शुरुआत में इस कार्यक्रम का विरोध भी हुआ क्योंकि उस वक्त शहरी क्षेत्र को रोजाना औसतन 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही थी। कटौती के घोषित कार्यक्रम से उपजी लोगों की नाराजगी का उफान धीरे-धीरे कम होने लगा क्योंकि सप्लाई के घंटों में भी लाइनों और ट्रांसफार्मरों के फाल्ट बिजली संकट को बढ़ाने लगे। नतीजे में लोगों ने कटौती बंद करने की मांग भुला दी और रोस्टरिंग अवधि में ही लाइन फाल्ट सुधारे जाने पर जोर देना शुरू कर दिया।
लाइन स्टाफ की कमी से विभाग स्तर पर यह भी संभव नहीं हो पाया। यही नहीं, स्थानीय कटौती का दायरा भी बढ़ने लगा और सप्लाई मिलने का कोई निश्चित समय नहीं रह गया। इस पर सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने कटौती को एक तरह से स्वीकार करके उसे घोषित समय में ही किए जाने को लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू किए। नतीजा फिर भी शून्य रहा। उल्टे कटौती के समय में इजाफा होने लगा। जन सामान्य की मांग को अनदेखा करके मंगलवार को सिस्टम कंट्रोल ने कटौती की सारी हदें तोड़कर दुपहर 12 बजे से सभी शहरी फीडरों पर रोस्टरिंग थोप दी।
पहले तो सबने यही समझा कि कोई फाल्ट हुआ या फिर लाइन ट्रिप होने से बत्ती गुल हुई, लेकिन देर तक सप्लाई बहाल नहीं होने की वजह जानने पर सब स्टेशनों से बताया गया कि सिस्टम कंट्रोल ने कटौती लागू की है। दिन में तीन घंटे की एडवांस कटौती से शाम पांच बजे तक शहर का जनजीवन बुरी तरह बेहाल हो गया। सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों का दैनिक कार्य प्रभावित हुआ।
विभिन्न कार्यालयों में ज्यादातर कर्मचारी विभागीय कार्य निपटाने के बजाय हवा खाने को फाइलें झलते रहे। दुपहर का लंच ब्रेक भी बेमजा हो गया। बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहा और इनवर्टरों के जवाब दे जाने से व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठानों की गद्दियां संभालना कठिन हो गया। उधर, घरों में पानी की किल्लत पैदा हो गई क्योंकि बिजली नहीं होने से जेट पंप और सब मर्सिबल बंद रहने से टंकियां खाली हो गईं।
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‘कटौती को लेकर सिस्टम कंट्रोल की मनमानी से महकमे के अधिकारियों और फील्ड स्टाफ को दोहरे मोर्चों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली संकट हम सभी को भी झेलना पड़ रहा है। ऊपर से फोन पर जन सामान्य की जली-कटी भी सुननी पड़ रही है। इस बाबत उच्चाधिकारी पॉवर कारपोरेशन से लगातार पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन कटौती में राहत का आश्वासन नहीं मिल पा रहा है।’
-प्रदीप सोनकर, उपखंड अभियंता (शहर), पॉवर कारपोरेशन