रिमोट से संचालित बैटरी वाले रेडियो का कमाल
- ग्रामीण युवाओं में नई तकनीक वाले रेडियो का बढ़ा क्रेज
अजय अवस्थी
शाहजहांपुर। सुबह को ‘आपकी पसंद’, दुपहर को कार्यक्रम ‘जवानों के लिए’, शाम को ‘विविध भारती’ और रात को ‘आपकी फरमाइश’ पर फिल्मी नगमें सुनने के जमाने अब लद रहे हैं। तकनीक के आगे मनोरंजन के पुराने ढर्रे दम तोड़ रहे हैं। अब तो ऐसे रेडियो बाजार में आ गए हैं, जिनमें आप अपने मोबाइल की चिप लगाइए और गीतों का मजा लीजिए, वह भी रिमोट कंट्रोल चलाकर।
सभी जानते हैं कि पहले के जमाने में ग्रामोफोन ही मनोरंजन का साधन थे, फिर रिकार्ड प्लेयर आया, जिसमें काले रंग के रिकार्ड बजाए जाते थे। यह शौक काफी महंगा था। समय बदला और रिकार्ड प्येयर का स्थान टेप रिकार्डर ने ले लिया। फिर वीसीआर छा गए। वीसीआर में संशोधन हुआ तो वीसीडी और डीवीडी प्लेयर आ गए।
इन्हीं सब के बीच रेडियो-ट्रांजिस्टर अपनी जगह मजबूती से कायम किए हुए थे। बड़े रेडियो तो बिजली से चलते थे, लेकिन छोटे रेडियो और ट्रांजिस्टर सेल और बैटरी से बजाए जाते थे। अब टीवी का जमाना बढ़ने से बड़े रेडियो तो विलुप्त हो गए। रहे छोटे रेडियो, तो उन्होंने शहर से पलायन कर गांवों का रुख कर लिया और वह आज भी गांवों में देखे और सुने जा सकते हैं।
रेडियो के प्रति लोगों का मोह बढ़ते देख अब उसमें चिप की व्यवस्था कर दी गई है, जिसे कार्ड रीडर के सहारे रेडियो में लगाकर मनोरंजन किया जा सकता है। इसके अलावा उसमें पेन ड्राइव का भी प्रयोग किया जा सकता है। इस रेडियो की खासियत यह भी है कि इसको परंपरागत ढंग से भी सुना जा सकता है। दोनों ही व्यवस्थाएं हैं, नई तकनीक वाले इस रेडियो में। आर्य महिला डिग्री कॉलेज के सामने वाले मार्ग पर स्थित मां वैष्णो इलेक्टॉनिक्स शॉप पर तो पूरे दिन ग्रामीण रेडियो खरीदने को लाइन ही लगाए रहते हैं।
रेडियो में साढ़े चार वोल्ट की बैटरी फिट होती है, जो चार से पांच घंटे तक आराम से आपका साथ देने में सक्षम है। सेल भी पड़ सकते हैं इसमें। यानी हर तरह से आपका खयाल रखेगा चिप वाला रेडियो। इसके अलावा वैवाहिक कार्यक्रमों के लिहाज से एंपलीफायर भी आया है, वह भी चिप से ही बचता है। इसमें बड़े स्पीकर भी लगाए जा सकते हैं।