राष्ट्रीय पक्षियों को खेत में जहर देकर मारने का आरोप, ग्रामीणों ने किया हाईवे जाम
- विधायक राममूर्ति ने खुलवाया जाम, एक फार्मर को किया नामजद
अमर उजाला नेटवर्क
जलालाबाद (शाहजहांपुर)। गांव नगरिया के खेतों में रविवार सुबह आठ मोर मृत अवस्था में मिलने से बवाल हो गया। ग्रामीणों ने इन राष्ट्रीय पक्षियों की जहर देकर हत्या करने की बात कहते हुए हंगामा शुरू कर दिया। उधर, प्रशासन की हीलाहवाली ने इस गुस्से को और भड़का दिया तथा ग्रामीणों ने शाहजहांपुर- फर्रूखाबाद हाईवे जाम कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
करीब आधा घंटे तक सड़क जाम रहने के बाद मौके पर पहुंचे ददरौल क्षेत्र के विधायक राममूर्ति सिंह वर्मा ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का आश्वासन देकर जाम खुलवाया। इस मामले में एक फार्मर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। डीएफओ के अनुसार मृत पक्षियों का आईवीआरआई में बिसरा भेजकर जांच कराई जाएगी।
घटनाक्रम के अनुसार सुबह खेतों की ओर निकले ग्रामीणों ने इधर-उधर मृत अवस्था में और कई तड़प रहे मोर देखे। धीरे-धीरे तमाम लोग उस तरफ पहुंच गए। ग्रामीणों के अनुसार अधिकांश मृत मोर करीब एक एकड़ में फैली धान की फसल के आसपास मिले। यह खेत गांव धिंयरा निवासी सिख फार्मर केवल सिंह का बताया गया है। फिलहाल यह सूचना अधिकारियों तक पहुंचने के बाद भी किसी के न पहुंचने से नाराज ग्रामीण करीब आठ मृत मोर लेकर शाहजहांपुर रोड पर पहुंचे और कलक्टरगंज के सामने जाम लगा दिया।
जाम के दौरान ग्रामीणों की पुलिस से तीखी झड़पें हुईं, परंतु ग्रामीण आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े रहे। इस दौरान ग्रामीणों की सूचना पाकर विधायक राममूर्ति सिंह वर्मा जाम स्थल पर जा पहुंचे और वहां मौजूद एसएसआई से वार्ता कर आरोपी के खिलाफ तुरंत रिपोर्ट दर्ज कराने का आश्वासन देकर आंदोलनकारियों को शांत किया। इस दौरान पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर राजेश्वर सिंह तथा डीएफओ एसएस श्रीवास्तव समेत मिर्जापुर, अल्हागंज तथा कांट थानों की पुलिस भी मौके पर जा पहुंची। तत्पश्चात गांव नगरिया निवासी ओमकार की तहरीर पर धिंयरा झाला निवासी सरदार केवल सिंह के खिलाफ जहर देकर मोरों की हत्या कर दिए जाने की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई।
दो साल पहले भी हुई थी वारदात
गांव नगरिया में पक्षियों के मरने की यह दूसरी घटना है। लगभग दो साल पहले भी यहां जहरीली दवा खा लेने से करीब 150 पक्षियों की मौत हो चुकी है। मरने वाले पक्षियों में एक दर्जन सारस के अलावा बगुला और कौवे शामिल थे। इस मामले का हो हल्ला मचने पर गांव धिंयरा के ही एक फार्मर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी, परंतु तत्कालीन सरकार के जनप्रतिनिधि का बरदहस्त होने के कारण आरोपी साफ बच निकला। रविवार को इसी गांव में हुई इस दूसरी घटना से ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
मेनका गांधी की सक्रियता से त्वरित हुई कार्रवाई
पीपुल्स फार एनीमल के प्रभारी सुधीर दीक्षित को घटना की जानकारी होते ही उन्होंने इस मामले से सांसद मेनका गांधी को अवगत कराया। मेनका ने इस संबंध में डीएम और डीएफओ से फोन द्वारा संपर्क कर इस मामले में अविलंब कार्रवाई करने को कहा। इसके बाद दुपहर करीब दो बजे डीएफओ एसएस श्रीवास्तव, सीओ सदर राजेश्वर सिंह, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. हेमंत नौटियाल आदि अधिकारी कोतवाली पहुंच गए।
फसल बचाने के फेर में मारे गए
किसानों का कहना है कि चूंकि खेतों में साठा धान की फसल उगी थी। इस फसल को मोर आदि पक्षी काफी नुकसान पहुंचाते हैं। यही वजह रही कि खेतों में कोई जहरीला पदार्थ डाल दिया गया, जिससे मोरों की मौत हो गई।
ज्यादा भी हो सकती है मृत मोरों की संख्या
मरने वाले मोरों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है। हालांकि खेतों में मरे हुए मोर आठ ही मिले हैं, पर लोगों का कहना है कि कुछ मरे हुए मोरों को खेतों में ही मिट्टी में दबा दिया गया है।
‘बड़ी संख्या में राष्ट्रीय मोर की मौतें होना चिंताजनक है। आशंका यह है कि जिस खेत के पास मोर मृत हालत में मिले, वहां चूहोें केबिल रहे होंगे। किसान अक्सर चूहों का सफाया करने के लिए घातक रसायन इस्तेमाल करते हैं। आशंका जताई कि मौत का कारण मृत चूहे खाना भी हो सकता है। हालांकि, मोरों के मरने का वास्तविक कारण आईवीआरआई से बिसरा रिपोर्ट मिलने पर ही स्पष्ट होगा। क्षेत्र केे पशु चिकित्सक को मोरों का पोस्टमार्टम करने के लिए मौके पर भेजा गया है।’
-डॉ. सीएल पाल, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
आरोपी को हो सकती है सात साल की सजा
‘जलालाबाद के खेतों में जिस तरह राष्ट्रीय पक्षी मोरों की हत्या की बात बताई गई है उस हिसाब से अदालत आरोपी को दो साल तक की सजा दे सकती है। वन्य क्षेत्र में राष्ट्रीय पक्षी की हत्या होने पर तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है।’
- भानु भूषण जौहरी, अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद