डॉ. जीडी अग्रवाल की समाजसेवा और जज्बे को सलाम
- मानसिक और शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को जीवन देता शिशु पुनर्वास केंद्र
सिटी रिपोर्टर
शाहजहांपुर। कहा जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं और भगवान हमसे सेवा लेने के लिए किसी भी रूप में सामने आ सकते हैं। यदि यह सही है तो इसे भी स्वीकार करने में हीनभावना नहीं रखनी चाहिए कि मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों में भी ईश्वर का ही अंश है। इस भावना को नगर के एक चिकित्सक ने भलीभांति जाना और समझा है, जिन्हें नगरवासी डॉ. जीडी अग्रवाल के नाम से जानते और पहचानते हैं।
नर सेवा, नारायण सेवा का भाव मन में रखने वाले जी सर्जीवियर के स्वामी डॉ. अग्रवाल ने माता अशर्फी देवी मेमोरियल शिशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना लगभग चार साल पहले हथौड़ा बुजुर्ग स्थित दुर्गा इंक्लेव में की। केंद्र का नजारा सुख-दुख से भरा रहता है। दुख इस बात का कि तमाम मासूम खेलने-कूदने की उम्र में शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम होने के कारण वहां एक बड़े हाल में जमीन पर हाथ-पैर चलाते देखे जा सकते हैं। उनमें वह चैतन्यता नहीं दिखाई देती जो सामान्य बच्चों में दिखती है। खुशी इस बात की होती है कि उनको सामान्य बच्चों की तरह खिलखिलाने, खेलने और चलने-फिरने लायक बनाने के पूरे प्रयास ईमानदारी से किए जा रहे हैं।
दो माह से 30 साल तक के अक्षम बच्चों और बड़ों को लगभग पांच घंटे तक यहां विभिन्न कीमती उपकरणों के सहारे चुस्त-दुरुस्त करने का काम प्रतिदिन होता रहता है। इतना ही नहीं बड़े बच्चों को खाना, पीना, चलना, कपड़े पहनना, उनकी आवश्यकतानुसार अन्य प्रशिक्षण देने का काम भी बखूबी किया जा रहा है। केंद्र के अक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉ. एम कुमार की निगरानी में केंद्र पर दिन भर काफी रौनक रहती है। कुछ बच्चों के साथ उनकी मां भी वहां पहुंचती हैं, जो बच्चों के लिए केंद्र स्टाफ की मदद भी करती देखी जा सकती हैं।
बच्चों को केंद्र पर लाने और वापस घर छोड़ने के लिए एक वैन भी है। डॉ. कुमार बताते हैं कि बच्चों का उपचार न्यूरो डेक्लेपमेटल थेरेपी सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी आदि के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा उन्हें शिक्षित भी किया जा रहा है। केंद्र पर पैरलवार, स्टैंडिंग फ्रेम, बाल पूल, थेरेप्यूटिक बाल, स्विंग सिस्टम, वोल्स्टर, वेजे, जिमकिट हैंड, एक्सरसाइज यूनिट, सीजर गेट प्रिवेंटिंग वॉकर, पैग बोर्ड, पजल्स आदि उपकरण मौजूद हैं।
उम्मीद से ज्यादा मिल रही
है सफलता: डॉ. कुमार
शिशु पुनर्वास केंद्र पर तैनात डॉ. एम कुमार का कहना है कि चार साल से यहां बच्चों से जुड़ा हूं। अब बच्चों से काफी लगाव हो गया है। उन्हें इस बात की खुशी है कि जमीन पर रेंगने वाले बच्चों को उम्मीद से कहीं अधिक सफलता मिल रही है और वे स्वस्थ हो रहे हैं। कहा: यदि समाज में कहीं भी शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चे हैं तो जिम्मेदार अभिभावक या नागरिक उन्हें केंद्र तक जरूर पहुंचाएं।