गबन के आरोपी फार्मासिस्ट से अब रिकवरी की तैयारी
- कोर्ट के फैसले पर भारी पड़े डीडीआर के दिशा-निर्देश
सिटी रिपोर्टर
शाहजहांपुर। अफसर अगर मनमानी पर आमादा हो जाएं तो न्यायिक आदेश भी बेमानी हो जाते हैं। गबन के आरोप में गत वर्ष निलंबित हुए वेटरनरी फार्मासिस्ट शिव कुमार सिंह के प्रकरण से यही जाहिर होता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उन्हें सदर पशु अस्पताल का कार्यभार मिलना तो दूर रहा, अब उनके वेतन से लाखों की रिकवरी कराने की तैयारी कर ली गई है। दूसरी ओर, भावलखेड़ा पशु अस्पताल में फार्मासिस्ट नहीं होने से वहां का कामकाज प्रभावित हो रहा है सो अलग।
बता दें कि पिछले साल आडिट में सदर पशु अस्पताल के केंद्रीय भंडार में लाखों की दवाओं का गोलमाल पकड़ा गया था। चूंकि, उस वक्त सेंट्रल स्टोर का चार्ज श्री सिंह पर था। इसलिए प्रथम दृष्टया उन्हीं को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया। उन्होंने इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली। आरंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट के आदेश पर श्री सिंह का निलंबन वापस लेकर उन्हें भावलखेड़ा पशु अस्पताल भेजकर वहां से फार्मासिस्ट अजय पाल को सदर अस्पताल बुला लिया गया।
हाल ही में न्यायालय ने श्री सिंह को सदर अस्पताल में तैनाती के साथ संपूर्ण चार्ज सौंपे जाने का आदेश पारित किया, लेकिन अफसरों ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन सिर्फ दिखावे को किया। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सीएल पाल ने गत सात जनवरी को न्यायिक आदेश का हवाला देते हुए कार्यालय आदेश जारी करके शिव कुमार को आदेशित किया कि वे सदर अस्पताल में कार्य करेंगे और वहां कार्यरत फार्मासिस्ट अजय पाल मूल तैनाती स्थल भावलखेड़ा पर कार्य करेंगे।
इसी पत्र में सदर के वेटरनरी डॉक्टर को आदेश दिया गया कि वे समस्त चार्ज श्री सिंह को हस्तांतरित कराएं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शिवकुमार की सदर अस्पताल में योगदान आख्या ले ली गई, लेकिन कार्यभार नहीं सौंपा गया। आदेश केपांच माह बाद भी भावलखेड़ा के फार्मासिस्ट की सदर अस्पताल में सेवाएं ली जा रही हैं। खास यह है कि सदर अस्पताल में यथास्थिति बनाए रखने के लिए सीवीओ डॉ. पाल ने उप निदेशक (पशुपालन) लक्ष्मी नारायण के दिशा निर्देशों का आधार लेते हुए प्रभारी चिकित्सक (सदर) के नाम गत आठ मई को पत्र जारी कर दिया।
इसमें कहा गया है: डीडीआर के अनुसार शिवकुमार केंद्रीय भंडार के भौतिक सत्यापन में अनियमितता के दोषी पाए गए हैं और उनसे सात लाख 89 हजार 862 रपये की वसूली निर्धारित की गई है। ऐसी दशा में उन्हें केंद्रीय भंडार का चार्ज हस्तांतरण किया जाना उचित नहीं है। विभागीय सम्परीक्षा प्रतिवेदन के अनुसार श्री सिंह ने केंद्रीय भंडार का चार्ज हस्तांतरित नहीं किया है। इसलिए न्यायिक आदेश पर वे केवल सदर अस्पताल में पदस्थ रहेंगे और उनका चार्ज अजय पाल को दिलाकर आडिट कराएं।
फिलहाल, स्थिति यह है कि सदर अस्पताल में इन दिनों दो फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। शिवकुमार केवल हाजिरी बजाकर समय काट रहे हैं। दूसरी ओर भावलखेड़ा केअस्पताल में कोई फार्मासिस्ट नहीं होने से क्षेत्र के पशुओं की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल का काम प्रभावित हो रहा है। इसी के साथ अफसरों की मनमानी के विरुद्घ आवाज उठाने को फार्मासिस्ट श्री सिंह एक बार फिर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
‘इस प्रकरण में जिला शासकीय अधिवक्ता की कानूनी राय आज ही मिली है। डीडीआर के आदेश पर शिवकुमार को सदर अस्पताल का समस्त पदेन कार्यभार नहीं दिया गया। अब डीजीसी की राय केआधार पर श्री सिंह पर आरोपित धनराशि की रिकवरी को उनके वेतन से मासिक कटौती के आदेश दिए जा रहे हैं।’
-डॉ. छोटेलाल पाल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी