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संतकबीरनगर/हैंसर। घाघरा नदी का पानी मकदूूमपुर-गहराडांड़ी बांध तक पहुंच गया है। बांध के किनारे लगभग तीन फिट पानी जमा हो गया। जिससे बांध के उत्तर बसे गांवों के लोगों की धड़कनें बढ़ गईं है। अब तो प्रशासन भी मानने लगा है कि नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो निश्चित ही समस्या बढ़ जाएगी। वैसे नदी का वेग अभी भी बंधे से करीब 100 मीटर दूर है।
मकदूूमपुर -गहराडांड़ी बांध के मरम्मत का कार्य मंगलवार को ठप रहा। न ता कटर बनाया जा रहा था और न ही बांध को बचाने के लिए बोल्डर लगाए जा रहे थे। ड्रेनेज खंड के सहायक अभियंता दिनेश मोहन मौके पर मौजूद रहकर बंधे की निगरानी कर रहे थे। बांध के उत्तर में बसे गांव अशरफपुर निवासी रामदीन, राधेश्याम, कतवारु, जगदीशपुर गांव के निवासी जोखई, रमेश, दीनानाथ, सुभाष आदि का कहना था कि बांध तक पानी पहुंचने का मतलब बंधे को खतरा उत्पन्न हो गया है। ड्रेनेज खंड ने बारिश के मौसम के पहले बंधे की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम नहीं किया। विभाग के पास बोल्डर भी नहीं हैं। मंगलवार को कोई बचाव कार्य नहीं हुआ। विभाग के जरिए किए गए बचाव के उपाय और घाघरा के बढ़ते जल तथा बंधे तक पानी का पहुंचना खतरे का संकेत है। समय पूर्व बंधे की सुरक्षा नहीं की गई तो क्षेत्र में जन, धन हानि से होने से कोई रोक नहीं पाएगा। एसडीएम सुरेंद्र नाथ मिश्र ने मंगलवार को बंधे का निरीक्षण किया। एसडीएम ने कहा कि घाघरा नदी का पानी बढ़ रहा है और बंधे तक पहुंच गया है। इससे बंधे पर दबाव बनाने लगा है। बंधे पर सिंचाई विभाग के जरिए अभी तक बोल्डर बिछाने का काम शुरू नहीं किया गया है। नदी इसी तरह बढ़ी तो समस्या उत्पन्न हो सकती है। जगदीशपुर के प्रधान रामप्रताप यादव ने एसडीएम से बेघर हुए 92 परिवारों को बसाने के लिए डेबरी, अशरफपुर या तुर्कवलिया नायक में जमीन आवंटित करने की मांग की है। जिस पर एसडीएम ने लेखपाल और ग्राम प्रधान ने बातचीत करके प्रस्ताव मांगें जाने की बात कही।
बारिश बढ़ा रही बाढ़ प्रभावितों की मुसीबत
हैंसर। भिखारीपुर गांव के बेघर हुए 16 परिवार बंधे पर डेरा डाले हुए हैं। बारिश होने की वजह से मंगलवार को उन परिवारों को काफी परेशानी हुई। अमर उजाला से बातचीत में पीड़ित परिवारों का दर्द छलक उठा और वे प्रशासन की उदासीनता से नाराज दिखे।
बंधे पर शरण लिए छोटे लाल, भरत, गंगा, पारस, गिरजेश, दयाराम आदि का कहना था कि घाघरा ने उनके खेत छीन लिए। उन्हें उजाड़ भी दिया। रहने के लिए घर नहीं बचा। मजबूरी में बंधे पर रह रहे हैं। बारिश के मौसम में दिन और रात गुजारना मुश्किल हो गया है। बारिश होने पर लकड़ी भीग जाने से भोजन बनाना भी चुनौती है। मिट्टी का तेल प्रशासन ने अब तक नहीं दिया। 15 किलो चावल, दो किलो दाल, नमक का पैकेट, माचिस और पांच पैकेट बिस्कुट वितरित कर प्रशासन ने मदद के नाम पर इतिश्री कर ली। बंधे पर बसे लोग कैसे भोजन बनाएं। बारिश से कैसे बचें और रात में कैसे सोएं, इसकी परवाह करने वाले कोई नहीं है। पुरूष तो किसी तरह दर्द को सहन कर ले रहे हैं, लेकिन महिलाएं और बच्चों को यह समस्या रुला दे रही है। उसी दौरान बंधे पर सपा के लोक सभा प्रत्याशी अब्दुल कलाम व जिला पंचायत सदस्य केडी यादव पहुंच गए। जिन्हे देखते ही ग्रामीण भावुक हो गए और उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगे। ग्रामीणों ने मांग किया कि छाजन बनाने के लिए तिरपाल दिलाएं। मिट्टी का तेल भी मिले तो अंधेरे में रोशनी के साथ भोजन पकाया जा सके। जिस पर नेताओं ने ग्रामीणों को तिरपाल देने का आश्वासन दिया। इसके अलावा प्रशासन से मदद दिलाने का भरोसा दिलाया। बंधे की सुरक्षा का ठोस उपाय शासन कर रहा है। जल्द की काम दिखने लगेगा।
संतकबीरनगर/हैंसर। घाघरा नदी का पानी मकदूूमपुर-गहराडांड़ी बांध तक पहुंच गया है। बांध के किनारे लगभग तीन फिट पानी जमा हो गया। जिससे बांध के उत्तर बसे गांवों के लोगों की धड़कनें बढ़ गईं है। अब तो प्रशासन भी मानने लगा है कि नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो निश्चित ही समस्या बढ़ जाएगी। वैसे नदी का वेग अभी भी बंधे से करीब 100 मीटर दूर है।
मकदूूमपुर -गहराडांड़ी बांध के मरम्मत का कार्य मंगलवार को ठप रहा। न ता कटर बनाया जा रहा था और न ही बांध को बचाने के लिए बोल्डर लगाए जा रहे थे। ड्रेनेज खंड के सहायक अभियंता दिनेश मोहन मौके पर मौजूद रहकर बंधे की निगरानी कर रहे थे। बांध के उत्तर में बसे गांव अशरफपुर निवासी रामदीन, राधेश्याम, कतवारु, जगदीशपुर गांव के निवासी जोखई, रमेश, दीनानाथ, सुभाष आदि का कहना था कि बांध तक पानी पहुंचने का मतलब बंधे को खतरा उत्पन्न हो गया है। ड्रेनेज खंड ने बारिश के मौसम के पहले बंधे की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम नहीं किया। विभाग के पास बोल्डर भी नहीं हैं। मंगलवार को कोई बचाव कार्य नहीं हुआ। विभाग के जरिए किए गए बचाव के उपाय और घाघरा के बढ़ते जल तथा बंधे तक पानी का पहुंचना खतरे का संकेत है। समय पूर्व बंधे की सुरक्षा नहीं की गई तो क्षेत्र में जन, धन हानि से होने से कोई रोक नहीं पाएगा। एसडीएम सुरेंद्र नाथ मिश्र ने मंगलवार को बंधे का निरीक्षण किया। एसडीएम ने कहा कि घाघरा नदी का पानी बढ़ रहा है और बंधे तक पहुंच गया है। इससे बंधे पर दबाव बनाने लगा है। बंधे पर सिंचाई विभाग के जरिए अभी तक बोल्डर बिछाने का काम शुरू नहीं किया गया है। नदी इसी तरह बढ़ी तो समस्या उत्पन्न हो सकती है। जगदीशपुर के प्रधान रामप्रताप यादव ने एसडीएम से बेघर हुए 92 परिवारों को बसाने के लिए डेबरी, अशरफपुर या तुर्कवलिया नायक में जमीन आवंटित करने की मांग की है। जिस पर एसडीएम ने लेखपाल और ग्राम प्रधान ने बातचीत करके प्रस्ताव मांगें जाने की बात कही।
बारिश बढ़ा रही बाढ़ प्रभावितों की मुसीबत
हैंसर। भिखारीपुर गांव के बेघर हुए 16 परिवार बंधे पर डेरा डाले हुए हैं। बारिश होने की वजह से मंगलवार को उन परिवारों को काफी परेशानी हुई। अमर उजाला से बातचीत में पीड़ित परिवारों का दर्द छलक उठा और वे प्रशासन की उदासीनता से नाराज दिखे।
बंधे पर शरण लिए छोटे लाल, भरत, गंगा, पारस, गिरजेश, दयाराम आदि का कहना था कि घाघरा ने उनके खेत छीन लिए। उन्हें उजाड़ भी दिया। रहने के लिए घर नहीं बचा। मजबूरी में बंधे पर रह रहे हैं। बारिश के मौसम में दिन और रात गुजारना मुश्किल हो गया है। बारिश होने पर लकड़ी भीग जाने से भोजन बनाना भी चुनौती है। मिट्टी का तेल प्रशासन ने अब तक नहीं दिया। 15 किलो चावल, दो किलो दाल, नमक का पैकेट, माचिस और पांच पैकेट बिस्कुट वितरित कर प्रशासन ने मदद के नाम पर इतिश्री कर ली। बंधे पर बसे लोग कैसे भोजन बनाएं। बारिश से कैसे बचें और रात में कैसे सोएं, इसकी परवाह करने वाले कोई नहीं है। पुरूष तो किसी तरह दर्द को सहन कर ले रहे हैं, लेकिन महिलाएं और बच्चों को यह समस्या रुला दे रही है। उसी दौरान बंधे पर सपा के लोक सभा प्रत्याशी अब्दुल कलाम व जिला पंचायत सदस्य केडी यादव पहुंच गए। जिन्हे देखते ही ग्रामीण भावुक हो गए और उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगे। ग्रामीणों ने मांग किया कि छाजन बनाने के लिए तिरपाल दिलाएं। मिट्टी का तेल भी मिले तो अंधेरे में रोशनी के साथ भोजन पकाया जा सके। जिस पर नेताओं ने ग्रामीणों को तिरपाल देने का आश्वासन दिया। इसके अलावा प्रशासन से मदद दिलाने का भरोसा दिलाया। बंधे की सुरक्षा का ठोस उपाय शासन कर रहा है। जल्द की काम दिखने लगेगा।