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संतकबीरनगर। पछुआ हवाओं के साथ ठंड का असर एक बार फिर दिखाई देने लगा है। रात में कोहरे का असर रहा तो दिन में पछुआ हवा ने लोगों को घरों में कैद कर दिया। ठंड के कारण बाजार में सुस्ती रही। खरीददारी के लिए ग्राहक देर से बाजारों में पहुंचे। दोपहर बाद निकले धूप ने गलन से थोड़ी राहत दी। हालांकि शाम के समय फिर से गलन बढ़ गई। यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी रहा। लोग अपने घरों में ही दुबके रहे या तो अलाव जलाकर हाथ सेंकते रहे। पिछले तीन दिनों से कोहरे के साथ पछुआ हवाओें ने गलन बढ़ा दी है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री रहा। जबकि अधिकतम तापमान 17.5 डिग्री सेल्सियस मापा गया।
धूप सेंकने निकले दर्जन भर अजगर
लेाहरैया। धनघटा तहसील क्षेत्र के बहराडांड़ी गांव के समीप पोखरे के निकट बंसवारी से अजगर के साथ करीब दर्जन भर अजगर के बच्चे निकल कर धूप सेंकते देखे गए। थोड़ी देर में ही गांव वाले जुट गए। ग्रामीणों ने बताया कि अजगर के बच्चे कभी-कभी गांव में किसी के घर में घुस आते हैं और अपने आप निकल भी जाते हैं। इनसे कोई नुकसान नहीं होता, इसलिए इन्हें कोई मारता नहीं है। ठंड बढ़ने पर अक्सर इन्हें बांस के झुरमुट से बाहर निकलते देखा गया है। वन विभाग को इसकी सूचना भेज दी गई है।
संतकबीरनगर। पछुआ हवाओं के साथ ठंड का असर एक बार फिर दिखाई देने लगा है। रात में कोहरे का असर रहा तो दिन में पछुआ हवा ने लोगों को घरों में कैद कर दिया। ठंड के कारण बाजार में सुस्ती रही। खरीददारी के लिए ग्राहक देर से बाजारों में पहुंचे। दोपहर बाद निकले धूप ने गलन से थोड़ी राहत दी। हालांकि शाम के समय फिर से गलन बढ़ गई। यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी रहा। लोग अपने घरों में ही दुबके रहे या तो अलाव जलाकर हाथ सेंकते रहे। पिछले तीन दिनों से कोहरे के साथ पछुआ हवाओें ने गलन बढ़ा दी है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री रहा। जबकि अधिकतम तापमान 17.5 डिग्री सेल्सियस मापा गया।
धूप सेंकने निकले दर्जन भर अजगर
लेाहरैया। धनघटा तहसील क्षेत्र के बहराडांड़ी गांव के समीप पोखरे के निकट बंसवारी से अजगर के साथ करीब दर्जन भर अजगर के बच्चे निकल कर धूप सेंकते देखे गए। थोड़ी देर में ही गांव वाले जुट गए। ग्रामीणों ने बताया कि अजगर के बच्चे कभी-कभी गांव में किसी के घर में घुस आते हैं और अपने आप निकल भी जाते हैं। इनसे कोई नुकसान नहीं होता, इसलिए इन्हें कोई मारता नहीं है। ठंड बढ़ने पर अक्सर इन्हें बांस के झुरमुट से बाहर निकलते देखा गया है। वन विभाग को इसकी सूचना भेज दी गई है।