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Sanjeev Jeeva History: साल 1991 में पहला अपराध... 2022 में आखिरी, चिह्नित 66 माफिया में से 15 नंबर पर था जीवा

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 08 Jun 2023 11:32 AM IST
सार

 पुलिस हिरासत में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि लखनऊ के एससीएसटी कोर्ट रूम में बुधवार दोपहर बाद मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी कुख्यात अपराधी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा (50) की हत्या कर दी गई। वकील के लिबास में आए हमलावर ने कोर्ट रूम में ही रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ छह राउंड फायरिंग की। 

Sanjeev Jeeva Murder Jeeva was at number 15 out of 66 marked mafia, wife had expressed suspicion of murder
Sanjeev Jeeva Murder - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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मुजफ्फरनगर निवासी संजीव उर्फ जीवा ने वर्ष 1991 में मुजफ्फनगर में पहला अपराध किया था। तब उसके खिलाफ कोतवाली नगर में मारपीट का केस दर्ज किया गया था। उसके केस में वह दोषमुक्त भी हो चुका था। वर्ष 1991 में किए गए पहले अपराध के बाद संजीव ने अपराध की दुनिया में एक कदम रखा कि फिर वह अपराध के दलदल में डूबता चला गया।


पुलिस रिकार्ड बताते हैं कि संजीव के खिलाफ मुजफ्फरनगर में 17, उत्तराखंड में 5, गाजीपुर जनपद में एक, फर्रूखाबाद जनपद में एक और लखनऊ में एक कूल 25 मामले दर्ज हैं। पश्चिमी यूपी में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया कि संजीव अपराध की दुनिया में आने से पहले एक दवाखाने में काम करता था। 


इसके बाद उसने अपराध करना शुरु किया और उत्तराखंड के नाजिम गैंग के लिए काम करने लगा। कुछ दिन उसने सतेंद्र बरनाला गैंग के लिए काम किया और उसने मुन्ना बजरंगी का हाथ थाम लिया और वहीं से मुख्तार अंसारी का करीबी हो गया। पुलिस सूत्रों की मानने तो संजीव उर्फ जीवा हथियारों का डीलिंग का काम मुख्तार के लिए किया करता था।

रंगदारी का दर्ज हुआ आखिरी मुकदमा
शहर की कोतवाली नई मंडी में व्यवसायी मनीष गुप्ता ने संजीव जीवा, उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी और गैंग के सदस्यों के खिलाफ 21 मई 2022 को दर्ज कराया था। इस मुकदमे में जीवा की संपत्ति को भी कुर्क कर लिया गया था।

चिह्नित 66 माफिया में से 15वें नंबर पर था जीवा, पत्नी ने जताया था हत्या का शक

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा प्रदेश में चिह्नित 66 माफिया में से 15वें नंबर पर था। माफिया की ये सूची हाल में शासन ने जारी की थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि संजीव कितना कुख्यात था। पश्चिम यूपी से लेकर उत्तराखंड तक जीवा का खौफ था। करीब दो साल पहले उसकी पत्नी ने सीजीआई को एक पत्र लिखा था, जिसमें उसने पेशी के दौरान जीवा की हत्या होने का शक जाहिर किया था।

एके-47 कनेक्शन

पश्चिमी यूपी में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया कि संजीव अपराध की दुनिया में आने से पहले एक दवाखाने में काम करता था। सबसे पहले वह उत्तराखंड के नाजिम गैंग के लिए काम करने लगा। कुछ दिन उसने सतेंद्र बरनाला गैंग के लिए काम किया और फिर मुन्ना बजरंगी का हाथ थाम लिया और मुख्तार अंसारी का करीबी हो गया।

संजीव उर्फ जीवा हथियारों का डीलिंग का काम मुख्तार के लिए करता था। बताया जाता है कि कृष्णानंद राय हत्याकांड में इस्तेमाल की गई एके-47 जीवा ने ही जुटाई थी। हालांकि इस हत्याकांड में वह बरी हो गया था।
 

हाई सिक्योरिटी बैरक में था
संजीव पिछले दो दशक से सलाखों के पीछे है। उसको भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड व हरिद्वार के एक हत्या के केस में सजा हा चुकी थी। 2019 में वह मैनपुरी से लखनऊ जेल शिफ्ट किया गया था। तब से वह लखनऊ जेल में बंद था। उसको हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।

कुख्यात संजीव उर्फ जीवा का पूरा इतिहास
नाम- संजीव माहेश्वरी उर्फ जीव
पिता का नाम- ओमप्रकाश माहेश्वरी
मूल पता- मुजफ्फरनगर प्रेमपुरी
अस्थाई पता- सोनिया विहार दिल्ली
मां- कुंति
पत्नी- पायल माहेश्वरी
भाई- राजीव माहेश्वरी
बहन- पूनम, सुमन
पुत्र- तुषार, हरिओम, वीरभद्र
पुत्री- आर्य

- संजीव उर्फ जीवा का गैंग संख्या- आईएस -01 जो 9 सितंबर 2019 में पंजीकृत किया गया था।
- संजीव के गैंग में कुल सक्रिय सदस्य 10 हैं और 26 सहयोगी हैं।
- संजीव उर्फ जीवा पर दर्ज मुकदमों की संख्या-25।
- अपराधिक मुकदमों की प्रकृति- हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, जालसाली।
- राजनैतिक संबंध- मुख्तार अंसारी का सहयोगी।
- संजीव के पास मौजूद असलहे- दोनाली बंदूक और पिस्टल।
- गैंगस्टर एक्ट के तहत पुलिस संजीव उर्फ जीवा की चार करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है।

कोर्ट रूम में जीवा की हत्या

आपको बता दें कि पुलिस हिरासत में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि लखनऊ के एससीएसटी कोर्ट रूम में बुधवार दोपहर बाद मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी कुख्यात अपराधी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा (50) की हत्या कर दी गई। वकील के लिबास में आए हमलावर ने कोर्ट रूम में ही रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ छह राउंड फायरिंग की। 

 

इस दौरान दो पुलिसकर्मियों, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी। जीवा पर हमलावर ने पीछे से फायरिंग की। वारदात के बाद वकीलों ने दौड़कर हमलावर को दबोच लिया और पीटकर पुलिस को सौंप दिया। घायलों को ट्रामा में भर्ती कराया गया है। 

 

वारदात के बाद आक्रोशित वकीलों ने प्रदर्शन कर पथराव कर दिया। जिसमें एसीपी चौक का सिर फट गया। कई वाहन भी छतिग्रस्त हो गए। आलाधिकारी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तब हालात पर काबू पा सके।

 

भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारवास की सजा पाने वाला मुजफ्फरनगर के शाहपुर आदमपुर निवासी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा पिछले बीस साल से जेल में बंद था। उस पर दो दर्जन केस दर्ज हैं। वह हत्या व एससीएसटी के एक केस में बुधवार दोपहर पुलिस अभिरक्षा में पेशी पर लाया गया था। 

 

दोपहर बाद करीब 3:50 बजे उसके केस की बारी आई। जैसे ही वह उठकर चला वैसे ही अंदर बैठे हमलावर ने उस पर गोलियां दागनी शुरू दीं। कोर्ट रूम से लेकर पूरे परिसर में भगदड़ मच गया। संजीव वहीं पर लहूलुहान होकर औंधे मुंह गिर गया। हमलावर ने भागने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद वकीलों ने उसे पकड़ लिया। 

 

पूछताछ में उसने बताया कि वह जौनपुर के केराकत का रहने वाला है। उसका नाम विजय यादव उर्फ आनंद है। पुलिस जीवा को अस्पताल लेकर गई। जहां उसे मृत घोषित कर दिया। संजीव पर पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप था लेकिन बाद में वह कोर्ट से बरी हो गया था।
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