पूर्व मंत्री के पुत्र समेत 20 लोगों पर मुकदमा
रामपुर मनिहारान (सहारनपुर)। तहसीलदार रामपुर मनिहारान कमलेश कुमार ने सपा सरकार में मंत्री रहे दिवंगत राजेंद्र सिंह राणा के पुत्र कार्तिकेय राणा सहित तीन नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने, सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
थाने में दर्ज रिपोर्ट में कहा है कि रामपुर मनिहारान तहसील के गांव शिमलाना निवासी मोहन राणा पुत्र अर्जुन सिंह के 16 नवंबर के प्रार्थना पत्र पर एसडीएम के आदेश के अनुपालन में स्थलीय पैमाइश राजस्व टीम के नीतीश कुमार, लेखपाल सुरेंद्र कुमार, पवन कुमार और राज कुमार ने की थी। मौके पर मोहन राणा के खेत खसरा संख्या नौ में कड़ी व ब्रजपाल के खेत में छह कड़ी शामिल पाई गईं। इसकी निशानदेही दोनों पक्षों के समक्ष करा दी। आरोप है कि 16 नवंबर की शाम को ही मोहन राणा एक अन्य व्यक्ति के साथ तहसीलदार कार्यालय पहुंचे और आत्मदाह करने की धमकी दी। इस पर मोहन राणा को वहां मौजूद तहसील कर्मचारियों ने बाहर निकाल दिया था। इसके बाद दो दिसंबर को कार्तिकेय राणा, केपी सिंह और मोहन राणा समेत 20 अज्ञात लोग तहसीलदार कार्यालय में घुसे और उनके साथ गालीगलौज, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी। साथ ही तहसीलदार पर ब्लैकमेल करने के लिए आरोप लगाया कि उन्हें 10 हजार रुपये दिए, अब ब्याज सहित 15 हजार रुपये वापस करो। तहसीलदार कमलेश कुमार की तहरीर पर कार्तिकेय राणा, मोहन राणा, केपी सिंह और अन्य अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। बता दें कि मंगलवार को सोशल मीडिया पर तहसीलदार के साथ रुपये वापस किये जाने को लेकर हुई बहस का वीडियो भी वायरल हुआ था। इसमें कार्तिकेय राणा बार-बार तहसीलदार से पैसे वापस करने की बात दोहरा रहे हैं।
तहसीलदार सही हैं तो डीएम ने क्यों हटाया : कार्तिकेय राणा
देवबंद। सपा नेता कार्तिकेय राणा ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। मजनू वाला रोड स्थित सभागार में पत्रकार वार्ता में कार्तिकेय राणा ने कहा कि शिमलाना गांव के किसान मोहन राणा ने तहसीलदार रामपुर मनिहारान पर आरोप लगाया था कि चकरोड के काम के नाम पर रुपये लिए गए थे। इसके बावजूद काम नहीं किया है। बीती दो दिसंबर को इस संबंध में वह बात करने के लिए तहसीलदार कमलेश कुमार के कार्यालय में गए थे। जहां उन्होंने तहसीलदार से दी गई रकम ब्याज समेत पीड़ित किसान को वापस दिलवाई थी। इस दौरान उनकी ओर से कोई अभद्र व्यवहार या जाति सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया। उनका यह कार्य सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद डीएम ने तहसीलदार को रामपुर मनिहारान से हटाते हुए अपने कार्यालय से अटैच कर दिया। कार्तिकेय ने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि तहसीलदार सही थे तो डीएम ने उन्हें तहसील से क्यों हटाया। तहसीलदार ने उन पर जो आरोप लगाए हैं, यदि उनका सबूत उच्च अधिकारियों के पास है, तो वह साथियों सहित गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं। पत्रकार वार्ता में मोहन राणा, केपी सिंह, सुखपाल राणा, रोबिन सिंह ठकराल आदि मौजूद रहे।