‘रमजान में गरीबों का ख्याल रखने की हिदायत’
सहारनपुर। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक और इमाम कारी इसहाक गोरा ने हेल्पलाइन के माध्यम रोजेदारों को बताया कि रमजान का रोजा मुसलमानों पर फर्ज इबादत है। अल्लाह ने इस मुबारक महीने में हमें गरीबों, जरूरतमंदों, यतीमों, और असहायों का ख्याल रखने की हिदायत की है।
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सवाल:- मुजफ्फरनगर निवासी रिहान अहमद ने पूछा कि उनके कान में नहाते समय पानी चला गया। क्या इससे उनका रोजा टूट जाता है। क्या रोजे में हम कान में दवा डाल सकते हैं।
जवाब:- शरीयत में आया है कि रोजे की हालत में जानबूझकर कर यदि कोई रोजेदार कान के अंदर पानी या दवा डालता है तो उसका रोजा टूट जाएगा। लेकिन खुद पानी जाने से रोजा नहीं टूटता।
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सवाल:- देवबंद मोहल्ला दीवान निवासी जावेद इस्माइल ने पूछा कि उनके काफी रुपये लोगों पर उधार हैं। वह राशि कितने समय में वापस आएगी मालूम नहीं। अब ऐसी सूरत में उन रुपयों की जकात देना किस पर फर्ज है।
जवाब:- शरीयत में आया है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी को उधार रुपये दे रखे हैं और उस उधार की राशि निसाब के बराबर या उससे ज्यादा है तो राशि हासिल होने के बाद जकात अदा करना उसके मालिक पर फर्ज है।
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सवाल:- पुराना घास कांटा निवासी अब्दुल वाजिद ने सवाल किया कि रमजान के रोजे इस्लाम पर किस सन में फर्ज हुए। शरीयत में इसका कुछ जिक्र है।
जवाब- जी हां! रमजान के रोजे ऐलान ए नबुवत के बाद दस श्ववाल हिजरी सन दो में फर्ज हुए।
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सवाल:- मानकमऊ निवासी आकाश ने सवाल किया कि उनके मोहल्ले में सभी धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। सहरी से तकरीबन दो घंटे पहले कुछ व्यक्ति माइक से लोगों को उठाने का ऐलान करते रहते हैं। इससे बीमारों, बच्चों और बूढों के साथ काफी लोगों को परेशानी होती है। इस सूरत में लाउडस्पीकर से घोषणाएं करने वालों के बारे में शरीयत क्या कहती है।
जवाब:- शरीयत के अनुसार इस्लाम में किसी को तकलीफ पहुंचाना जायज नहीं है बल्कि सख्त गुनाह है। इस्लाम कहता है किसी को तकलीफ पहुंचाना ऐसे है, जैसे अल्लाह से गद्दारी की हो। उन लोगों को चाहिए कोई ऐसा काम न करें, जिससे अल्लाह नाराज हो। सभी को सभी का ख्याल रखना चाहिए।