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संघ की पहल: दलित दूसरों की तरह चढ़ें घोड़ी, शिव मंदिरों में करें जलाभिषेक, नौकर और नौकरानी के साथ भी चाय पीएं

सचिन मुद्गल, अमर उजाला, लखनऊ Published by: शाहरुख खान Updated Tue, 21 Mar 2023 07:58 AM IST
सार

आरएसएस सामाजिक समरसता के जरिये दलित और मलिन बस्तियों में पैठ बढ़ाने में जुटा है। संघ ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे गांव में किसी भी दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से न रोका जाए। उसकी बरात सामान्य वर्ग के परिवार के दूल्हे की तरह ही धूमधाम से निकले।  

RSS engaged in increasing penetration in Dalit and slums through social harmony
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत(फाइल फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सामाजिक समरसता कार्यक्रमों के जरिए दलित और मलिन बस्तियों में अपनी पैठ बढ़ा रहा है। इसी क्रम में संघ गांवों और शहरों में सामूहिक पूजन व शिव मंदिरों में जलाभिषेक, सफाईकर्मियों का सम्मान और उनके बीच जलपान जैसे आयोजन करने जा रहा है। 


इससे दलित समाज में संघ के प्रति विश्वास बढ़ेगा तो इनके बीच संघ भी अपना दायरा बढ़ाएगा। संघ ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे गांव में किसी भी दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से न रोका जाए। उसकी बरात सामान्य वर्ग के परिवार के दूल्हे की तरह ही धूमधाम से निकले। 


दलित वर्ग को सार्वजनिक कुएं से पानी भरने से रोकने की कुरीति भी खत्म की जाए। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक लोगों को जागरूक करेंगे। जहां भी दिक्कत होगी, वहां समस्या का समाधान किया जाएगा। 

संघ वाल्मीकि, डॉ. भीमराव आंबेडकर और संत रविदास जयंती पर गांवों में कार्यक्रम कर समाज को जोड़ने का काम करेगा। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मिले एजेंडे के तहत संघ अब पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के सभी प्रांतों में इसे धरातल पर उतारने में जुट गया है।

...ताकि हिन्दुओं की सभी जातियां एकजुट रहे
संघ के समरसता कार्यक्रम से जुड़े पदाधिकारी ने बताया कि सामाजिक समरसता का मुख्य उद्देश्य हिन्दुओं की सभी जातियों को जोड़ना है। यदि हिन्दू धर्म की जातियां आपस में लड़ती रहेंगी, तो हिन्दू धर्म कमजोर होगा।

 

....तो चाय क्यों नहीं पी सकते
संघ का मानना है कि जब घर में काम करने आने वाली महिला से चाय बनवा सकते हैं, तो उसके साथ बैठकर चाय क्यों नहीं पी सकते हैं। इस विचार को लेकर संघ लोगों के बीच जाएगा। लोगों से आग्रह करेगा कि सप्ताह में कम से कम एक दिन घर में काम करने वाले नौकर, नौकरानी के साथ बैठकर चाय-जलपान करें। उनके दुख तकलीफ की बात सुनें और उनका यथासंभव समाधान का प्रयास करें।

 

सावन में होंगे जलाभिषेक कार्यक्रम
संघ आगामी सावन महीने में गांवों और शहरों के शिव मंदिरों में दलितों के साथ जलाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन करेगा। गांव में अगड़े, पिछड़े और दलित वर्ग के लोग एक साथ मिलकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करेंगे। हालांकि अभी मंदिरों में दलितों के साथ हवन पूजन का आयोजन किया जाता रहा है। बहराइच में बीते वर्ष दलित बस्तियों में लोगों ने एक समुदाय विशेष के प्रभाव में आने के बाद घर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखना बंद कर दिया था। इसकी सूचना पर संघ ने वहां दलितों के बीच जाकर अभियान चलाया, जिससे वह फिर से पूजा पाठ करने लगे।

 

पर्यावरण और पक्षियों भी पर भी काम
संघ के स्वयंसेवक अपने घरों या घर के आसपास पेड़ लगाकर उसका संरक्षण करने के साथ लोगों को भी इसके लिए जागरूक करेंगे। पक्षी संरक्षण के लिए लोगों को घर के बाहर चिड़िया, कबूतर व अन्य पक्षियों के लिए दाना-पानी का प्रबंध करने के लिए जागरूक करेंगे।

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इनका कहना है
संघ का प्रयास है कि सामाजिक सौहार्द बना रहे। जब तक लोगों के स्वभाव में यह नहीं आएगा तब तक समरसता संभव नहीं है। इसके लिए संघ सामूहिक हवन और पूजन जैसे कार्यक्रमों के जरिये लोगों के स्वभाव में लाने का प्रयास कर रहा है। -डॉ. अशोक दुबे, अवध प्रांत प्रचार प्रमुख, आरएसएस

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