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प्रतापगढ़। महिला अस्पताल की देहरी पर एक गर्भवती घंटों तड़पती रही। इलाज न मिलने से वह ओपीडी के सामने बेहोश हो गई। संवेदनाशून्य डॉक्टर ने उसे देखना जरूरी नहीं समझा। गर्भवती का पति इलाज के लिए डाक्टरों से गिड़गिड़ाता रहा। फिर भी महिला डॉक्टरों को तरस नहीं आया। सीएमओ और सीएमएस से शिकायत बाद उसे देखा गया। हद तो तब हो गई जब बाहरी महिलाएं स्ट्रेचर पर उसे ओटी तक ले गईं। अस्पताल के किसी कर्मी ने हाथ लगाने की जहमत भी नहीं उठाई।
जिला महिला अस्पताल में गरीब महिलाओं का इलाज मुश्किल हो गया है। जेठवारा के तारापुर गांव निवासी रामगोपाल विश्वकर्मा मंगलवार को गर्भवती पत्नी लालती देवी को प्रसव के लिए लेकर पहुंचे। मध्याह्न बारह बजे उसे ओपीडी के सामने बैठा कर भर्ती करने के लिए पर्चा बनवा लिया। वह दर्द से डॉक्टरों की चौखट पर तड़पती व चिल्लाती रही। अस्पताल आई कुछ महिलाएं उसे आसरा देने लगीं। उन्होंने डॉक्टरों को इत्तला दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। करीब दो घंटे तड़पने के बाद लालती बेहोश हो गई। पति के गुहार लगाने पर भी ओपडी में बैठी डॉक्टर ने उसे देखना तक जरूरी नहीं समझा। वह इमरजेंसी ड्यूटी में लगी डॉ. सुलभा पाठक का केस बताती रहीं। इसी बीच ‘अमर उजाला’ की नजर अचेत महिला पर पड़ी। हालात की जानकारी सीएमओ व सीएमएस को दी गई। इसके बाद उपेक्षा कर रही महिला डॉक्टरों के बदन में करंट दौड़ पड़ा। चेहरे पर पानी का छींटा मार रही एक महिला भाग कर स्ट्रेचर लाई। उसे लाद ओटी ले जाया गया। स्ट्रेचर को ऊपर ओटी तक ले जाने के लिए किसी कर्मचारी ने हाथ तक नहीं लगाया। ओटी पहुंचने के बाद भी उस महिला की उपेक्षा बरकरार रही। ‘अमर उजाला’ ने वहां भी दखल दिया तो उसे इंजेक्शन आदि की सुविधा मिली। सीएमएस डॉ. मधुरिमा श्रीवास्तव अवकाश पर हैं। उन्होंने कहा कि आने के बाद इस मामले की जांच व कार्रवाई होगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीके पांडेय ने बताया कि ओपीडी के सामने वह तड़प कर बेहोश हुई तो बेहद खेद का विषय है। डॉक्टरों को उसे उपचार दिलाना चाहिए था। इमरजेंसी ड्यूटी पर रही डॉक्टर आपरेशन कक्ष में बताई गईं हैं। सीएमएस के लौटने पर सख्त कदम उठाया जाएगा।
प्रतापगढ़। महिला अस्पताल की देहरी पर एक गर्भवती घंटों तड़पती रही। इलाज न मिलने से वह ओपीडी के सामने बेहोश हो गई। संवेदनाशून्य डॉक्टर ने उसे देखना जरूरी नहीं समझा। गर्भवती का पति इलाज के लिए डाक्टरों से गिड़गिड़ाता रहा। फिर भी महिला डॉक्टरों को तरस नहीं आया। सीएमओ और सीएमएस से शिकायत बाद उसे देखा गया। हद तो तब हो गई जब बाहरी महिलाएं स्ट्रेचर पर उसे ओटी तक ले गईं। अस्पताल के किसी कर्मी ने हाथ लगाने की जहमत भी नहीं उठाई।
जिला महिला अस्पताल में गरीब महिलाओं का इलाज मुश्किल हो गया है। जेठवारा के तारापुर गांव निवासी रामगोपाल विश्वकर्मा मंगलवार को गर्भवती पत्नी लालती देवी को प्रसव के लिए लेकर पहुंचे। मध्याह्न बारह बजे उसे ओपीडी के सामने बैठा कर भर्ती करने के लिए पर्चा बनवा लिया। वह दर्द से डॉक्टरों की चौखट पर तड़पती व चिल्लाती रही। अस्पताल आई कुछ महिलाएं उसे आसरा देने लगीं। उन्होंने डॉक्टरों को इत्तला दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। करीब दो घंटे तड़पने के बाद लालती बेहोश हो गई। पति के गुहार लगाने पर भी ओपडी में बैठी डॉक्टर ने उसे देखना तक जरूरी नहीं समझा। वह इमरजेंसी ड्यूटी में लगी डॉ. सुलभा पाठक का केस बताती रहीं। इसी बीच ‘अमर उजाला’ की नजर अचेत महिला पर पड़ी। हालात की जानकारी सीएमओ व सीएमएस को दी गई। इसके बाद उपेक्षा कर रही महिला डॉक्टरों के बदन में करंट दौड़ पड़ा। चेहरे पर पानी का छींटा मार रही एक महिला भाग कर स्ट्रेचर लाई। उसे लाद ओटी ले जाया गया। स्ट्रेचर को ऊपर ओटी तक ले जाने के लिए किसी कर्मचारी ने हाथ तक नहीं लगाया। ओटी पहुंचने के बाद भी उस महिला की उपेक्षा बरकरार रही। ‘अमर उजाला’ ने वहां भी दखल दिया तो उसे इंजेक्शन आदि की सुविधा मिली। सीएमएस डॉ. मधुरिमा श्रीवास्तव अवकाश पर हैं। उन्होंने कहा कि आने के बाद इस मामले की जांच व कार्रवाई होगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीके पांडेय ने बताया कि ओपीडी के सामने वह तड़प कर बेहोश हुई तो बेहद खेद का विषय है। डॉक्टरों को उसे उपचार दिलाना चाहिए था। इमरजेंसी ड्यूटी पर रही डॉक्टर आपरेशन कक्ष में बताई गईं हैं। सीएमएस के लौटने पर सख्त कदम उठाया जाएगा।