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प्रतापगढ़। लैकफेड (निर्माण संस्था) घोटाले की आंच से प्रतापगढ़ भी झुलस रहा है। पुलिस कोआपरेटिव सेल के जरिए तलब किए गए अफसरों में यहां के अधिकारी भी शामिल हैं। पिछड़ा क्षेत्र विकास अनुदान निधि (बीआरजीएफ) में करोड़ों रुपए के घोटाले की बात सामने आई है। योजना के तहत कराए गए कार्यों की सच्चाई खंगाली जा रही है। हकीकत की जड़ कहां तक फैली है यह पड़ताल के बाद ही साबित होगा। फिलहाल मामले को लेकर जिला पंचायत व विकास भवन के संबंधित अफसरों में हड़कंप है।
पिछड़ा क्षेत्र विकास अनुदान निधि के तहत वर्ष 2010-2011 में विकास कार्य कराए गए थे। शीर्ष अफसरों ने लैकफेड नामक संस्था को विकास के निर्माण कार्य कराने की अनुमति दी। सूत्र बताते हैं कि बीआरजीएफ मद से तकरीबन 10 से 11 करोड़ रुपए जिला पंचायत के खाते में भेजे गए। धन मिलने के बाद लैकफेड से काम कराने का निर्देश अपर मुख्य अधिकारी को मिला। इस पर जिले में विकास से संबंधित नाली, पुलिया, सड़क, पुल उस संस्था ने बनाना शुरू कर दिया। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो दो लाख में पुलिया भले न बने पर दस्तावेज में लैकफेड से पुल निर्माण कराए जाने का दावा किया गया है। मामला काफी काफी दिनों तक दबा रहा। हाल में पुलिस कोआपरेटिव सेल के अफसरों को इस काम में घपले की दुर्गंध मिली। इस पर कई जनपदों के अफसर तलब किए गए। इनमें प्रतापगढ़ के भी अफसर शामिल हैं। वहां पहुंचे अधिकारियों से सेल के अफसरों ने कड़ी पूछताछ की। आशंका जताई गई कि मामले में लंबा खेल हुआ है। इस मसले पर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी मुंह खोलना उचित नहीं समझ रहे। उधर विकास भवन के कुछ अफसर इस प्रकरण को लेकर खासे उलझन में हैं। लैकफेड के जरिए कराए गए कार्यों की स्थलीय जांच में तेजी से लगे हैं। सभी ब्लाकों के बीडीओ को भी पड़ताल की जिम्मेदारी दी गई है।
लैकफेड के जरिए कराए जा रहे कार्यों पर नजर रखने के लिए निगरानी समिति गठित थी। समिति में सीडीओ, डीपीआरओ, पीडब्लूडी सहित कुछ अन्य अफसर शामिल थे। समिति का काम था कि लैकफेड के जरिए हो रहे कार्यों की गुणवत्ता व स्थिति पर नजर रखे। समिति में शामिल एक अफसर की मानें तो किन स्थानों पर निर्माण कराया गया यह खबर ही नहीं दी गई। हरकत में आए पुलिस कोआपरेटिव सेल को देख अब सभी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं।
मुख्य विकास अधिकारी राम सिंह ने बताया कि सारे काम शीर्ष अफसरों के निर्देश पर जिला पंचायत ने कराए हैं। इसमें जिले स्तर के किसी अफसर का दोष नहीं बनता। निगरानी समिति को जांच केलिए रिपोर्ट नहीं मिली इसमें समिति के अधिकारियों की गलती नहीं है। जांच हो रही है पूर्ण होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
प्रतापगढ़। लैकफेड (निर्माण संस्था) घोटाले की आंच से प्रतापगढ़ भी झुलस रहा है। पुलिस कोआपरेटिव सेल के जरिए तलब किए गए अफसरों में यहां के अधिकारी भी शामिल हैं। पिछड़ा क्षेत्र विकास अनुदान निधि (बीआरजीएफ) में करोड़ों रुपए के घोटाले की बात सामने आई है। योजना के तहत कराए गए कार्यों की सच्चाई खंगाली जा रही है। हकीकत की जड़ कहां तक फैली है यह पड़ताल के बाद ही साबित होगा। फिलहाल मामले को लेकर जिला पंचायत व विकास भवन के संबंधित अफसरों में हड़कंप है।
पिछड़ा क्षेत्र विकास अनुदान निधि के तहत वर्ष 2010-2011 में विकास कार्य कराए गए थे। शीर्ष अफसरों ने लैकफेड नामक संस्था को विकास के निर्माण कार्य कराने की अनुमति दी। सूत्र बताते हैं कि बीआरजीएफ मद से तकरीबन 10 से 11 करोड़ रुपए जिला पंचायत के खाते में भेजे गए। धन मिलने के बाद लैकफेड से काम कराने का निर्देश अपर मुख्य अधिकारी को मिला। इस पर जिले में विकास से संबंधित नाली, पुलिया, सड़क, पुल उस संस्था ने बनाना शुरू कर दिया। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो दो लाख में पुलिया भले न बने पर दस्तावेज में लैकफेड से पुल निर्माण कराए जाने का दावा किया गया है। मामला काफी काफी दिनों तक दबा रहा। हाल में पुलिस कोआपरेटिव सेल के अफसरों को इस काम में घपले की दुर्गंध मिली। इस पर कई जनपदों के अफसर तलब किए गए। इनमें प्रतापगढ़ के भी अफसर शामिल हैं। वहां पहुंचे अधिकारियों से सेल के अफसरों ने कड़ी पूछताछ की। आशंका जताई गई कि मामले में लंबा खेल हुआ है। इस मसले पर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी मुंह खोलना उचित नहीं समझ रहे। उधर विकास भवन के कुछ अफसर इस प्रकरण को लेकर खासे उलझन में हैं। लैकफेड के जरिए कराए गए कार्यों की स्थलीय जांच में तेजी से लगे हैं। सभी ब्लाकों के बीडीओ को भी पड़ताल की जिम्मेदारी दी गई है।
लैकफेड के जरिए कराए जा रहे कार्यों पर नजर रखने के लिए निगरानी समिति गठित थी। समिति में सीडीओ, डीपीआरओ, पीडब्लूडी सहित कुछ अन्य अफसर शामिल थे। समिति का काम था कि लैकफेड के जरिए हो रहे कार्यों की गुणवत्ता व स्थिति पर नजर रखे। समिति में शामिल एक अफसर की मानें तो किन स्थानों पर निर्माण कराया गया यह खबर ही नहीं दी गई। हरकत में आए पुलिस कोआपरेटिव सेल को देख अब सभी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं।
मुख्य विकास अधिकारी राम सिंह ने बताया कि सारे काम शीर्ष अफसरों के निर्देश पर जिला पंचायत ने कराए हैं। इसमें जिले स्तर के किसी अफसर का दोष नहीं बनता। निगरानी समिति को जांच केलिए रिपोर्ट नहीं मिली इसमें समिति के अधिकारियों की गलती नहीं है। जांच हो रही है पूर्ण होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।