प्रतापगढ़। चिलबिला स्थित एआरटीओ दफ्तर कमाई का अड्डा बन चुका है। यहां बाबू की जगह दर्जन भर से अधिक बाहरी लोग काम कर रहे हैं। इनकी वजह से सरकारी दस्तावेज भी खतरे में हैं। लर्निंग लाइसेंस के लिए फीस जमा कर दिए गए दर्जनों फार्म कार्यालय से गायब हैं। विरोध करने वालों को दोबारा फार्म जमा करने की सलाह दे दी जाती है। हर फार्म पर निर्धारित फीस से दस से बीस रुपए अधिक की वसूली हो रही है। आंखों के सामने चल रहे इस गोरखधंधे रोकने के बजाय अफसर खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। शुक्रवार को ‘अमर उजाला के स्टिंग आपरेशन’ में घूसखोरी और दलालों का वर्चस्व सामने आया।
चिलबिला स्थित महुली मंडी में एआरटीओ कार्यालय संचालित है। यहां दलालों और घूसखोरी का धंधा खुलेआम फलफूल रहा है। दफ्तर में चार मुख्य काउंटर हैं। इन्हीं काउंटरों से लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस की फीस व फार्म आदि जमा किए जाते हैं। करीब हर सीट पर बाहरी लोगों को सरकारी कर्मी की तरह काम करते देखा गया। विभाग के बाबुओं का कहीं पता नहीं था। यहां करीब 19 बाहरी लोग विभिन्न पटलों का काम संभाले हुए हैं। लाइसेंस फीस जमा करने वाले काउंटर पर प्रति फार्म दस रुपए से बीस रुपए अधिक लिए जा रहे हैं। दर्जन भर से ज्यादा लोगों ने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फीस व फार्म जमा किया। इनके फार्म रजिस्टर पर चढ़ने के बजाय गायब कर दिए गए। इनमें कुंडा की नीतू श्रीवास्तव व इनके पिता और पट्टी के धीरेन्द्र ओझा, मो. मकसूद, रिजवान आदि शामिल हैं। नवंबर में इन लोगों ने फार्म जमा किया था। सभी को बताया गया था कि डाक के जरिए लाइसेंस भेजा जाएगा। करीब दो माह बाद भी लाइसेंस न पहुंचने पर लोग विभाग का चक्कर काट रहे हैं। अब इन लोगों से दोबारा फार्म जमा करने को कहा जा रहा है। फार्म गायब होने की वजह यह है कि इन लोगों ने बाबुओं और उनके कारिंदों को घूस नहीं दी थी। सभी कार्यालय के बाहर अपना आक्रोश व्यक्त करते दिखाई दिए। यह स्थिति अफसरों की मौजूदगी में नजर आई। कुछ कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर ‘स्टिंग आपरेशन’ टीम को बताया कि बाबू सिर्फ हस्ताक्षर करने आते हैं। इसके बाद तीन बजे के करीब घूस का पैसा बंटवाने पहुंचते है। बाकी समय कार्यालय बाहरी कर्मियों के हवाले छोड़ कर चले जाते हैं। बाहरी कर्मी फार्म की तरह कब कौन सी फाइल गायब कर दें यह कह पाना मुश्किल है।
लर्निंग लाइसेंस से लेकर रजिस्ट्रेशन तक की सीट पर बाबुओं के बाकायदा दलाल सेट हैं। इनके हिस्से का घूस यही लोग वसूल कर काम कराने पहुंच जाते हैं। सीधे काम कराने के लिए पहुंचने वालों का फार्म गायब करने से लेकर तमाम खामियां बताकर टहला दिया जाता है। इस समस्या से यहां रोजाना सैकड़ों लोगों को जूझना पड़ रहा है।
जिस काउंटर पर फार्म जमा होता है वहां भी बीस से तीस रुपए की वसूली की जाती है। पैसा न देने वालों का फार्म यहीं से गायब कर दिया जाता है। जिन लोगों से पैसा मिल जाता है उन्हीं का लाइसेंस डाक के जरिए भेजा जाता। बाकी लोगों को टहलाते रहते हैं।
एआरटीओ उदयवीर सिंह का कहना है कि किसी बाबू के सीट से फार्म गायब कैसे हो सकते हैं। जिनके फार्म गायब हुए हों वे शिकायत करें तो खोजवाया जाएगा। अवैध रूप से लिया जा रहा पैसा लोग कतई न दें। दफ्तर में प्राइवेट लोगों से काम कराने वाले बाबुओं की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
प्रतापगढ़। चिलबिला स्थित एआरटीओ दफ्तर कमाई का अड्डा बन चुका है। यहां बाबू की जगह दर्जन भर से अधिक बाहरी लोग काम कर रहे हैं। इनकी वजह से सरकारी दस्तावेज भी खतरे में हैं। लर्निंग लाइसेंस के लिए फीस जमा कर दिए गए दर्जनों फार्म कार्यालय से गायब हैं। विरोध करने वालों को दोबारा फार्म जमा करने की सलाह दे दी जाती है। हर फार्म पर निर्धारित फीस से दस से बीस रुपए अधिक की वसूली हो रही है। आंखों के सामने चल रहे इस गोरखधंधे रोकने के बजाय अफसर खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। शुक्रवार को ‘अमर उजाला के स्टिंग आपरेशन’ में घूसखोरी और दलालों का वर्चस्व सामने आया।
चिलबिला स्थित महुली मंडी में एआरटीओ कार्यालय संचालित है। यहां दलालों और घूसखोरी का धंधा खुलेआम फलफूल रहा है। दफ्तर में चार मुख्य काउंटर हैं। इन्हीं काउंटरों से लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस की फीस व फार्म आदि जमा किए जाते हैं। करीब हर सीट पर बाहरी लोगों को सरकारी कर्मी की तरह काम करते देखा गया। विभाग के बाबुओं का कहीं पता नहीं था। यहां करीब 19 बाहरी लोग विभिन्न पटलों का काम संभाले हुए हैं। लाइसेंस फीस जमा करने वाले काउंटर पर प्रति फार्म दस रुपए से बीस रुपए अधिक लिए जा रहे हैं। दर्जन भर से ज्यादा लोगों ने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फीस व फार्म जमा किया। इनके फार्म रजिस्टर पर चढ़ने के बजाय गायब कर दिए गए। इनमें कुंडा की नीतू श्रीवास्तव व इनके पिता और पट्टी के धीरेन्द्र ओझा, मो. मकसूद, रिजवान आदि शामिल हैं। नवंबर में इन लोगों ने फार्म जमा किया था। सभी को बताया गया था कि डाक के जरिए लाइसेंस भेजा जाएगा। करीब दो माह बाद भी लाइसेंस न पहुंचने पर लोग विभाग का चक्कर काट रहे हैं। अब इन लोगों से दोबारा फार्म जमा करने को कहा जा रहा है। फार्म गायब होने की वजह यह है कि इन लोगों ने बाबुओं और उनके कारिंदों को घूस नहीं दी थी। सभी कार्यालय के बाहर अपना आक्रोश व्यक्त करते दिखाई दिए। यह स्थिति अफसरों की मौजूदगी में नजर आई। कुछ कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर ‘स्टिंग आपरेशन’ टीम को बताया कि बाबू सिर्फ हस्ताक्षर करने आते हैं। इसके बाद तीन बजे के करीब घूस का पैसा बंटवाने पहुंचते है। बाकी समय कार्यालय बाहरी कर्मियों के हवाले छोड़ कर चले जाते हैं। बाहरी कर्मी फार्म की तरह कब कौन सी फाइल गायब कर दें यह कह पाना मुश्किल है।
लर्निंग लाइसेंस से लेकर रजिस्ट्रेशन तक की सीट पर बाबुओं के बाकायदा दलाल सेट हैं। इनके हिस्से का घूस यही लोग वसूल कर काम कराने पहुंच जाते हैं। सीधे काम कराने के लिए पहुंचने वालों का फार्म गायब करने से लेकर तमाम खामियां बताकर टहला दिया जाता है। इस समस्या से यहां रोजाना सैकड़ों लोगों को जूझना पड़ रहा है।
जिस काउंटर पर फार्म जमा होता है वहां भी बीस से तीस रुपए की वसूली की जाती है। पैसा न देने वालों का फार्म यहीं से गायब कर दिया जाता है। जिन लोगों से पैसा मिल जाता है उन्हीं का लाइसेंस डाक के जरिए भेजा जाता। बाकी लोगों को टहलाते रहते हैं।
एआरटीओ उदयवीर सिंह का कहना है कि किसी बाबू के सीट से फार्म गायब कैसे हो सकते हैं। जिनके फार्म गायब हुए हों वे शिकायत करें तो खोजवाया जाएगा। अवैध रूप से लिया जा रहा पैसा लोग कतई न दें। दफ्तर में प्राइवेट लोगों से काम कराने वाले बाबुओं की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।