माधोटांडा। नौजल्हा में शारदा नदी पर चल रहे ठोकर निर्माण कार्यों में यदि सिंचाई विभाग ने ठोकर निर्माण के सामने से ही रेत उठानी बंद नहीं की तो नदी की धार की चौड़ाई बढ़ने से पहली बरसात में ही ठोकरे नदीं की भेंट चढ़ जाएंगी। यहां सीमेंट के बोरों में रेत भरकर नदी के भीतरी हिस्से में एप्रैन बनाया जा रहा है।
शारदा ने नौजल्हा क्षेत्र में अपने दाएं किनारे पर गत वर्ष बरसात में भीषण कटान किया था, जिससे अंबेडकर गांव की कृषि भूमि तो कटी ही साथ ही आबादी को भी खतरा हो गया था। बाढ़ खंड ने यहां ठोकर निर्माण कार्य शुरू कराया है। प्रथम चरण में सीमेंट के बोरों में रेत भरकर जमीनी तल पर स्पर का फाउनडेशन बनाया जा रहा है और उसके भीतरी भाग में एप्रैन डाला जा रहा है। एप्रैन इसलिए डाला जाता है कि यदि नदी नीचे से कटान करे तो यह एप्रैन मुख्य बाडी की सुरक्षा करेगा, लेकिन यहां मात्र बोरों में रेत भरकर उल्टे सीधे बोरे ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर लाकर डाल दिए गए हैं और दिखावे के लिए ऊपरी हिस्से में बोरों की चुनाई की जा रही है ताकि यह न लगे कि बोरे बेतरतीब ढंग से फेंके गए हैं और इन बोरों के भीतर जीओ बैग (एक मजबूत बोरा) की चुनाई कर ऊपर ठोकर बनाई जाएगी। इसी के चलते अब सिंचाई विभाग ने इस समूची योजना स्थल के अपस्ट्रीम में एक करोड़ की लागत का नई तकनीक से विशाल स्पर बनाने का टेंडर किया है। इधर, ठेकेदार अब इस जुगत में है कि यह कार्य सीआरएफ के धन का है, जिसमें डीएम द्वारा गठित कमेटी सत्यापन करने के बाद रिपोर्ट देती है। तब भुगतान होता है। ऐसे में ठेकेदार बरसात से पहले दो टुकड़ों में अपना भुगतान कराने की फिराग में जुट गए है।