कुदरत की मार, आग न किया तबाह
पीलीभीत। एक-एक रुपया जोड़कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने वाली विकलांग हशमती और उसकी 35 वर्षीय अविवाहित बहन तारा के सपने उस समय बिखर गए जब आग की लपटों में एक बहन की छोटी सी परचून की दुकान और दूसरी के तैयार बान जलकर राख हो गए। इस अग्निकांड ने दोनों बहनों के चेहरों पर चिंता की लकीरें गहरा गई हैं।
तारा और विकलांग हशमती सगी बहनें हैं। इनके चार भाई हैं। वालिद अली अहमद की करीब 20 वर्ष पहले निधन हो चुका है। अम्मी खुशनूदी का दो साल पहले इंतकाल हो गया। दोनों बहने मोहल्ला मोहम्मद वासिल में अपने पुश्तैनी मकान में ही रह रही हैं। दोनों बहनों ने निकाह नहीं किया है। चारों भाई अलग-अलग मकान बनाकर रह रहे हैं।
तारा बताती हैं कि परिवार की आर्थिक स्थित ठीक नहीं थी। माता-पिता के निधन के बाद दोनों बहनों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। जैसे - तैसे मजदूरी मेहनत और भाइयोें ने सहयोग कर विकलांग हशमती बेगम को परचून की दुकान खुलवा दी और तारा ने खुद बान बनाने का काम शुरू कर दिया। मेहनत रंग लाई और दोनों बहनें अपने पैरों पर खड़ी हो गईं।
दोनों ने सोचा था कि वह पैसे बचाकर अब अपना खंडहर सा मकान भी ठीक करा लेंगी। सोमवार की रात दोनों के लिए काली साबित हुई। घर के बाहर के कमरे में लगी अचानक आग ने दोनों के सपने चकनाचूर कर दिए। इस घटना के बाद वह काफी दु:खी हैं। कहती हैं कि अल्लाह को जो मंजूर था वहीं हुआ। उन्हें आग में हुए नुकसान से माथे पर चिंता की लकीरें तो जरूरी खिची हैं, लेकिन नए तरीके से कारोबार शुरू करने का हौसला भी बुलंद हैं।